NEET-PG: सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के एमईए नोटीफिकेशन के आधार पर ओसीआई कार्ड धारक के लाभ से वंचित महिला उम्मीदवार को राहत दी

Avanish Pathak

2 Sep 2023 1:54 PM GMT

  • NEET-PG: सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के एमईए नोटीफिकेशन के आधार पर ओसीआई कार्ड धारक के लाभ से वंचित महिला उम्मीदवार को राहत दी

    सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के जारी किए गए एमईए के एक नोटीफिकेशन के आधार पर ओसीआई कार्ड धारक के लाभ से वंचित की गई एक महिला उम्मीदवार को राहत प्रदान की है।

    अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड धारक महिला उम्‍मीदवार की उम्‍मीदवारी खारिज कर दी थी, जिससे परेशान होकर उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज खटखटाया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने ओसीआई उम्मीदवार के रूप में उसके आवेदन की अस्वीकृति को अवैध पाया और उसकी उम्‍मीदवारी पर एम्स और NEET-PG मेडिकल सीटों के लिए काउंसलिंग के अन्य राउंड में विचार करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने आगे कहा कि जिन लोगों ने चार मार्च 2021 से पहले ओसीआई कार्ड प्राप्त किए थे, वे NEET-PG प्रवेश प्रक्रिया में समान लाभ के हकदार हैं।

    चार मार्च 2021 वह तारीख है जिस दिन गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी कि ओसीआई उम्मीदवार कॉलेज प्रवेश में भारतीय नागरिकों के लिए सीटों पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं और केवल एनआरआई सीटों के लिए उनकी उम्‍मीदवारी पर विचार किया जाएगा।

    मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता चाहती थी कि ओसीआई उम्मीदवार के रूप में विदेशी सीट के लिए उस पर विचार किया जाए। हालांकि, अधिकारियों ने फैसला किया कि उन्हें विदेशी सीट के लिए उम्मीदवार नहीं माना जा सकता और उनके साथ भारतीय नागरिक के रूप में व्यवहार किया गया।

    अधिकारियों ने अनुष्का रेनगुंथवार और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 2023 लाइव लॉ (एससी) 73 मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया था कि चार मार्च 2021 की अधिसूचना उन लोगों पर लागू होगी जो उस तारीख के बाद ओसीआई उम्मीदवारों के रूप में पंजीकरण कराते हैं।

    इस कार्रवाई से परेशान होकर याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की।

    जिन लोगों ने चार मार्च 2021 से पहले ओसीआई कार्ड प्राप्त किए हैं वे समान लाभ के पात्र हैं

    जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने अनुष्का रेनगुंथवार मामले के फैसले का हवाला दिया, जिसमें उस अधिसूचना की वैधता की जांच की गई थी। उस फैसले में न्यायालय ने अधिसूचना को मनमाना और बिना सोचे समझे किया गया कदम माना था।

    उक्त मामले में यह माना गया कि अधिसूचना केवल उन व्यक्तियों पर लागू होगी, जिन्होंने चार मार्च 2021 के बाद ओसीआई कार्ड प्राप्त किए, जिससे वे अयोग्य हो जाएंगे।

    अनुष्का (सुप्रा) के फैसले पर भरोसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राहत देते हुए कहा कि वह ओसीआई कार्ड धारक के लाभ का दावा करने के लिए पात्र थी क्योंकि उसे 2015 में पहली बार ओसीआई कार्ड जारी किया गया था। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह लाभ अन्य समान स्थिति वाले उम्मीदवारों को भी मिलेगा जिनके पास चार मार्च 2021 से पहले ओसीआई कार्ड हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    “…याचिकाकर्ता ने चार अगस्त, 2022 को जारी ओसीआई कार्ड पर भरोसा किया था, तथ्य यह है कि उसे वास्तव में ओसीआई पंजीकरण कार्ड सबसे पहले दो नवंबर, 2015 को जारी किया गया था। ऐसी परिस्थितियों में, अनुष्का (सुप्रा) में फैसले के संदर्भ में ओसीआई कार्ड धारक के लाभ का दावा करने के लिए याचिकाकर्ता की पात्रता निर्विवाद है। इस स्तर पर, यानी 19 जून, 2023 को उनकी उम्मीदवारी की अस्वीकृति कानून में समर्थन योग्य नहीं है। परिणामस्वरूप उसे एम्स और पीजी मेडिकल सीटों के लिए शेष काउंसलिंग राउंड में विचार करने का निर्देश दिया गया है।"

    न्यायालय ने अनुषा (सुप्रा) में निर्णय का विश्लेषण करके यह निष्कर्ष निकाला कि फैसले में अधिसूचना को विवेक का उपयोग न करने के कारण मनमाना माना गया था।

    केस टाइटल: पल्लवी बनाम यूनियन ऑफ इं‌डिया, Writ Petition (Civil) No(S). 642/2023

    साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 741

    निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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