NEET-AIQ : सुप्रीम कोर्ट ने EWS-OBC मामले की सुनवाई 16 नवंबर तक स्थगित की

LiveLaw News Network

28 Oct 2021 7:22 AM GMT

  • NEET-AIQ : सुप्रीम कोर्ट ने EWS-OBC मामले की सुनवाई 16 नवंबर तक स्थगित की

    सुप्रीम कोर्ट ने NEET-AIQ में 27% OBC और 10% EWS आरक्षण लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली NEET उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई गुरुवार को 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

    न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध के आधार पर सुनवाई स्थगित की।

    एसजी ने प्रस्तुत किया कि केंद्र सरकार ने EWS के लिए आठ लाख रुपये के मानदंड पर न्यायालय द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में एक जवाबी हलफनामा दायर किया है।

    एसजी ने कहा,

    "हमने वरिष्ठ अधिकारियों और अधिसूचना तैयार करने वालों के साथ विस्तृत चर्चा की। मैं अनुरोध करता हूं कि दीवाली की छुट्टियों के बाद मामले को फिर से खोला जाए।"

    एसजी ने कहा,

    "हम अधिसूचना की वैधता तय होने तक काउंसलिंग शुरू नहीं करने के संबंध में भी अपना आश्वासन देते हैं।"

    न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा,

    "हम एसजी का आश्वासन ले सकते हैं। इसे 16 नवंबर को रखें।"

    कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा,

    "केंद्र मुख्य रूप से सिंह आयोग की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहा है। यह थोड़ी जटिल और विस्तृत रिपोर्ट है।"

    केंद्र ने 25 अक्टूबर को पीठ को आश्वासन दिया था कि NEET-EIQ में EWS-OBC कोटे की वैधता तय होने तक NEE-PG की काउंसलिंग शुरू नहीं होगी।

    संबंधित घटनाक्रम में सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने एनटीए को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के बाद NEET-UG 2021 के परिणाम घोषित करने की अनुमति दी। इसमें दो छात्रों की पुन: परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर, 2021 को नीट-अखिल भारतीय कोटा में आर्थिक कमजोर वर्गों (EWS) आरक्षण के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय के मानदंड को अपनाने के अपने फैसले पर कड़े सवाल उठाए थे।

    निम्नलिखित मुद्दों को तैयार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से उसी पर प्रतिक्रिया देने को कहा था:

    1. क्या केंद्र ने EWS निर्धारित करने के लिए मानदंड पर पहुंचने से पहले कोई अभ्यास किया था।

    2. यदि उत्तर सकारात्मक है तो क्या सिंह आयोग की रिपोर्ट पर आधारित मानदंड है। यदि हां, तो रिपोर्ट को रिकार्ड में रखें।

    3. OBC और EWS में क्रीमी लेयर निर्धारित करने के लिए आय सीमा समान है यानी 8 लाख रुपये वार्षिक आय। ओबीसी श्रेणी में आर्थिक रूप से उन्नत श्रेणी को बाहर रखा गया है, क्योंकि सामाजिक पिछड़ापन कम होता है। ऐसे में क्या EWS और OBCओबीसी के लिए समान आय सीमा प्रदान करना मनमानी होगी, क्योंकि EWS के पास सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन की कोई अवधारणा नहीं है।

    4. क्या इस सीमा को प्राप्त करते समय ग्रामीण और शहरी क्रय शक्ति में अंतर को हिसाब में लिया गया।

    5. किस आधार पर परिसंपत्ति अपवाद निकाला गया और उसके लिए कोई अभ्यास किया गया।

    6. कारण आवासीय फ्लैट मानदंड b/w महानगरीय और गैर-महानगरीय क्षेत्र में अंतर नहीं करता।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में अपने रुख को सही ठहराते हुए कहा कि EWS श्रेणी का निर्धारण गंभीर विचार का परिणाम था, जो OBC के संदर्भ में मानदंड निर्धारित करने के लिए पहले ही हो चुका था।

    नोटिस का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा,

    "आक्षेपित नोटिस जारी करने की पूरी प्रक्रिया समाज में EWS को आरक्षण प्रदान करने की दृष्टि से है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि 103 वें संवैधानिक संशोधन के संदर्भ में आरक्षण का प्रावधान साबित नहीं होगा। अन्य सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए उपलब्ध सीटों की कुल संख्या में एमबीबीएस सीटों के संबंध में पिछले छह वर्षों में 56% और पीजी सीटों के संबंध में पिछले छह वर्षों में 80% की वृद्धि हुई है। आरक्षण के अभाव में नोटिस में परिकल्पित EWS छात्रों को सीटों की संख्या में वृद्धि के बावजूद आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है।"

    केस टाइटल: नील ऑरेलियो नून्स और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य; यश टेकवानी और अन्य बनाम चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) और अन्य; क्रिस्टीना एन थॉमस और एनआर बनाम यूओआई

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