एनबीएसए ने 'टाइम्स नाउ' को लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता संजुक्ता बसु से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

25 Oct 2020 11:05 AM GMT

  • एनबीएसए ने टाइम्स नाउ को लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता संजुक्ता बसु से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया

    न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने शनिवार को टाइम्स नाऊ टीवी चैनल को निर्देश दिया कि वह 2018 में एक टीवी बहस के दौरान लेख‌िका और समााजिक कार्यकर्ता संजु‌क्ता बसु के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी प्रसा‌‌रित करने के मामले में सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।

    अथॉरिटी ने टाइम्स नाउ चैनल के खिलाफ सुश्री बसु की शिकायत पर अपना निर्णय दिया है, जिन्होंने टाइम्स नाउ चैनल पर प्रसारित हुए दो कार्यक्रम के खिलाफ दिनांक 25.3.2019 को शिकायत दर्ज कराई थी। 6.4.2018 की रात 8 बजे प्रसारित पहले कार्यक्रम का शीर्षक था, "इंडिया अपफ्रंट" जब कि दूसरा कार्यक्रम "न्यूज़ आवर डिबेट" था, जिसका प्रसारण रात 9 बजे किया गया था। प्रसारक ने सुश्री बसु की लीगल नोटिस का जवाब 16. 5.2018 को उन्हें भेज दिया था, हालांकि वह जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं और उन्होंने एनबीएसए को शिकायत भेजी थी, जो कि शिकायत निवारण का दूसरा स्तर है।

    25.3.2019 को भेजे ईमेल में शिकायतकर्ता ने कहा था कि 6 अप्रैल 2018 को उसके खिलाफ मानहानिपूर्ण कार्यक्रम चलाने के मामले में वह टाइम्स नाउ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना चाहती हैं। उन्होंने कहा ‌था कि प्रसारण सामग्री, प्रसारण संबंधी दिशानिर्देशों, मूल दिशानिर्देशों 5, 8 और अन्य का उल्‍लंघन करती है।

    उन्होंने टाइम्स नाउ पर प्रसार‌ित किए गए दो घंटे के कार्यक्रमों के दो लिंक भी भेजे थे, जिसमें उन्हें "हिंदुओं से घृणा करने वाला," दुष्ट ट्रोल" जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया था, और आगे संकेत दिया गया था कि उन्हें राजनीतिक ट्वीट करने के लिए एक निश्चित राजनीतिज्ञ ने भर्ती किया, जिससे ऐसा लग रहा था कि वह पैसे या अन्य लाभ ले रही हैं।

    शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने प्रसारक को समझाया था कि अपने राजनीतिक कार्यक्रम की टीआरपी के लिए उनके नाम, प्रतिष्ठा और निष्ठा पर हमला करना गलत है, और माफी मांगने का अनुरोध किया था, जिसका पालन प्रसारक ने नहीं किया। जवाब में, उन्हें "दुष्ट ट्रोल" कहा गया। उन्होंने यह भी कहा कि चैनल ने प्रोग्राम चलाने से पहले उनका बयान पाने के लिए उनसे संपर्क नहीं किया, जो कि अवमानना-संभाव्य सामग्री के प्रसारण के संबंध में जारी दिशानिर्देश 8 का उल्लंघन है। ब्रॉडकास्टर ने उन तथ्यों को सत्यापित भी नहीं किया है जो दिशानिर्देश 5 का उल्लंघन है।

    28.3.2019 को आयोजित बैठक में एनबीएसए ने शिकायत, ब्रॉडकास्टर की प्रतिक्रिया पर पर विचार किया, और प्रसारण को भी देखा। एनबीएसए ने कहा कि कार्यक्रम में शिकायतकर्ता की तस्वीर दिखाई गई थी और एंकर ने उन्हें "हिंदुओं से घृणा करने वाला" और "दुष्ट ट्रोल" के रूप में वर्णित किया और कहा कि शिकायतकर्ता राहुल की "ट्रोल सेना" का हिस्सा है। एनबीएसए का प्रथमदृष्टया विचार था कि कार्यक्रम में तटस्थता नहीं थी क्योंकि कार्यक्रम में शिकायतकर्ता को अपना बयान देने या खंडन करने का अवसर नहीं दिया गया था, जो कि रिपोर्ट‌िंग के लिए जारी सटीकता, निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता, तटष्ठता और न्याय संबंधी विशिष्ट दिशानिर्देशों का उल्लंघन था।

    इसलिए, एनबीएसए ने 1.5.2019 को दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए बुलाने का फैसला किया। एनबीएसए ने प्रसारक को यह भी बताया‌ कि यदि वह अपने बचाव में कोई और दस्तावेज प्रस्तुत करना चाहता है, तो सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को बुलाने के सात दिनों के भीतर ऐसा कर सकता है। हालांकि, प्रसारक ने 1.5.2019 को सुनवाई में भाग लेने में कठिनाई व्यक्त की, जिसे एनबीएसए द्वारा स्वीकार किया गया और सुनवाई 23.9.2019 को स्थगित कर दी गई थी।

    साथ ही दोनों पक्षों की मौखिक और लिखित प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, अथॉरिटी ने कहा कि दोनों पक्षों के मध्य विभिन्न प्रकृति के आरोप और प्रतिवाद थे: "जबकि शिकायतकर्ता का आरोप है कि विचाराधीन कार्यक्रम अपमानजनक, मानहानिपूर्ण, निर्णयात्मक और अपमानजनक थे और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को कम किया, प्रसारक ने उनका खंडन किया।"

    एनबीएसए के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके सीकरी ने कहा, "प्रसारक ने भी उक्त कार्यक्रम के संबंध में अपना दृष्ट‌िकोण पेश किया और कहा कि शिकायतकर्ता न तो कार्यक्रमों की केंद्रबिंदु थीं और न ही इन कार्यक्रमों का लक्ष्य थीं। प्रसारक की दलील थी कि शिकायतकर्ता ने खुद स्वीकार किया है वह सार्वजनिक शख्सियत हैं और ऐसी स्थिति में, किसी भी व्यक्ति के लिए यह खुला है, जिसमें प्रसारक भी शामिल है, कि वह उनकी गतिविधियों/ विचारों के बारे में प्रामाणिक विचार बनाए और जनता को उस बारे में सूचित करे।"

    एनबीएसए पाया कि चैनल का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के तहत किसी व्यक्ति की आलोचना तब तक स्वीकार्य है, जब तक वह द्वेषपूर्ण न हो।

    अथॉरिटी ने कहा, "यह स्पष्ट किया जा सकता है कि एनबीएसए को शिकायतकर्ता या प्रसारक द्वारा लाये गए पूर्वोक्त कानूनी मुद्दों के दायरे में नहीं जाना है। पूरे मामले की गाइडलाइन 5 और 8 के संदर्भ में जांच की जानी है। और यह देखने के लिए कि क्या इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन उपरोक्त कार्यक्रमों के प्रसारण में किया गया है, क्योंकि समाचार प्रसारणकर्ता सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, जो बड़ी जिम्मेदारी के साथ आता है।"

    इसलिए, अथॉरिटी ने कहा कि संतुलित रिपोर्टिंग के सार्वजनिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए, प्रसारक/प्रसारकों को न्याय,निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता और तटस्थता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। जिस व्यक्ति के बारे में रिपोर्ट‌िंग की जा रही है, उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए प्रसारक को उसका बयान भी लेना चाहिए। एनबीएसए ने माना कि प्रसारक ने निष्पक्षता और वस्तुनिष्ता से संबंधित स्व-विनियमन के सिद्धांतों का उल्‍लंघन किया है।

    फैसले में कहा गया, "एनबीएसए ने प्रसारक को चेतावनी जारी करने का फैसला किया और यह भी तय किया कि एनबीएसए द्वारा बताई गई तारीख, समय और पाठ के अनुसार प्रसारक शिकायतकर्ता से माफी का प्रसारण करे।"

    एनबीएसए ने फैसला में आगे कहा कि उक्त प्रसारण का वीडियो, अगर अभी भी चैनल, या YouTube या किसी अन्य लिंक पर उपलब्ध है, तो उसे तुरंत हटा दिया जाए और 7 दिनों के भीतर लिखित रूप में इसकी पुष्टि की जाए।

    वहीं, सुश्री बसु ने शनिवार को कहा कि एनबीएसए के फैसले को "एक नाटकीय विकास" बताया। उन्होंने कहा कि चौबीस घंटे पहले ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्‍तक्षेप दायर किया था और एनबीएसए के कामकाज नहीं करने पर सवाल उठाए थे। इससे पहले कि मामला सूचीबद्ध हो और सुनवाई शुरू हो सके, एनबीएसए ने चैनल के खिलाफ उनकी लंबे समय से पड़ी शिकायत पर उनके पक्ष में फैसला सुनाया है।

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