एनबीडीए केबल टीवी नियमों के तहत केंद्र के पास औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड नहीं, एनडीएफ आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त : आईएंडबी मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
LiveLaw News Network
21 Sept 2023 10:55 AM IST
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपने हालिया हलफनामे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि एनबीडीए (न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन) समाचार प्रसारकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र में वैधानिक जवाबदेही और कार्रवाई से मुक्त एकाधिकार अधिकार बनाने की कोशिश कर रहा है।
मीडिया के लिए स्व-नियामक तंत्र के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा की गई आलोचनात्मक टिप्पणियों को चुनौती देने वाली एनबीडीए (पूर्व में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन) द्वारा दायर याचिका में केंद्र द्वारा हलफनामा दायर किया गया है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ट्रायल पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिकाओं के एक बैच का फैसला करते हुए जनवरी 2021 में पारित एक फैसले में हाईकोर्ट की टिप्पणियां आईं।
अगस्त में, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) और समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) द्वारा स्थापित स्व-नियामक तंत्र के गैर- प्रभाव के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की थी।
वैधानिक तंत्र के माध्यम से समाचार चैनलों पर प्री-सेंसरशिप या पोस्ट-सेंसरशिप के खिलाफ एनबीडीए के रुख को स्वीकार करते हुए, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एक प्रभावी स्व-नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने विवादित समाचार प्रसारित करके समाचार चैनलों से अर्जित लाभ को प्रतिबिंबित करने वाले आनुपातिक जुर्माने की आवश्यकता का हवाला देते हुए एनबीडीए द्वारा लगाए गए मौजूदा दंड की पर्याप्तता पर सवाल उठाया। पीठ ने कहा कि उल्लंघन के लिए जुर्माना 1 लाख रुपये है, यह आंकड़ा 2008 में निर्धारित किया गया था।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि एनबीडीए एक स्वैच्छिक संगठन है और सभी प्रसारक इसके सदस्य नहीं हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त 394 समाचार प्रसारण चैनलों में से एनबीडीए के सदस्यों की संख्या केवल 71 है। केंद्र ने यह भी बताया है कि एनबीडीए केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 के तहत केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत नहीं है और दावा किया है कि इसके सदस्य शिकायत निवारण संरचना से संबंधित नियमों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
केंद्र ने कहा है कि उसने ब्रॉडकास्टरों और उनके स्व-विनियमन निकायों पर जवाबदेही और जिम्मेदारी डालते हुए शिकायतों के निवारण के लिए वैधानिक रूप से समर्थित प्रणाली के लिए केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम 2021 पेश किया है।
केंद्र ने कहा है कि हालांकि उसने मीडिया में स्व-नियमन की अवधारणा को मान्यता दी है और केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत कार्यक्रम/विज्ञापन संहिता के उल्लंघन से संबंधित नागरिकों की शिकायतों को दूर करने के लिए स्व-नियामक निकायों को जगह दी है। ऐसा तंत्र स्व-विनियमन निकायों को कोई कानूनी या वैधानिक शक्ति नहीं देता है।
केंद्र ने यह भी कहा है कि हाल ही में सीटीएन (संशोधन) नियम, 2021 द्वारा शुरू की गई त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र एक वैधानिक ढांचा प्रदान करता है और स्व-विनियमन निकायों को कार्यक्रम/विज्ञापन कोड का उल्लंघन होने पर अपने कार्यों को सुधारने के लिए प्रसारकों को उचित सलाह देने की अनुमति देता है।
हालांकि, केंद्र यह भी स्पष्ट करता है कि जब कोड के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की बात आती है तो वह अंतिम प्राधिकारी है:
“…केंद्र सरकार की भूमिका यह सुनिश्चित करने में है कि कोड के उल्लंघन की शिकायतों पर ध्यान दिया जाए और प्रसारकों के खिलाफ की गई विश्वसनीय कार्रवाई सर्वोपरि रहे और ऐसी कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार अंतिम प्राधिकारी है। इस प्रकार, किसी भी तरह की कल्पना से यह नहीं कहा जा सकता है कि एक स्व-विनियमन निकाय एक वैधानिक निकाय/प्राधिकरण के चरित्र में भाग लेता है।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि 'पत्रकारिता के क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों का न्यूनतम हस्तक्षेप है'। केंद्र का कहना है कि सार्वजनिक भलाई, सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले चरम मामलों में ही सरकार हस्तक्षेप करती है।
हलफनामे में कहा गया है,
“भारत संघ ने हमेशा पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा की है और पत्रकारिता के क्षेत्र में विनियमन व आत्म-संयम को बढ़ावा देने की नीति को प्रोत्साहित किया है ।”
केंद्र ने कहा है कि मीडिया को विनियमित करने के लिए एक नियामक ढांचा मौजूद है जिसमें मुख्य रूप से "वैधानिक विनियमन" और "स्व-नियमन" दोनों शामिल हैं। वैधानिक नियामक ढांचा केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम और नियमों और टीवी चैनलों के लिए अप-लिंकिंग और डाउन-लिंकिंग दिशानिर्देशों में निहित है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह आत्म-संयम लगाती है और मीडिया घरानों और पत्रकारों द्वारा स्व-नियमन के एक तंत्र को बढ़ावा दिया है लेकिन कई स्वैच्छिक संघों द्वारा इसे गलत समझा गया है। एनबीडीए जैसे संघों ने इस बात पर जोर दिया है कि केंद्र सरकार के वैधानिक नियमों के बजाय, केंद्र को समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को समाचार प्रसारण में एकमात्र प्राधिकरण के रूप में, एक स्व-विनियमन निकाय के रूप में मान्यता देनी चाहिए और एनबीएसए के दिशानिर्देशों को वैधानिक कोड के रूप में और कार्यक्रम कोड के तहत अधिसूचित करना चाहिए ।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि एनबीडीए ने केरल हाईकोर्ट के समक्ष सीटीएन संशोधन नियम 2021 को चुनौती दी है और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सूचित किया है कि हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनज़र वह शिकायत निवारण संरचना से संबंधित नियमों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है।
केंद्र का कहना है कि एनबीडीए की कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है, क्योंकि हाईकोर्ट ने कभी नहीं कहा कि ब्रॉडकास्टर्स को सीटीएन नियमों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है,
“माननीय हाईकोर्ट ने केवल यह उल्लेख किया है कि प्रसारकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जो स्पष्ट रूप से किसी भी तरह से स्थगन देने या प्रसारक को सीटीएन नियमों के तहत उसके दायित्वों से मुक्त करने के समान नहीं है। तदनुसार, सीटीएन नियमों के तहत कार्यक्रम संहिता के उल्लंघन के लिए नागरिकों की किसी भी शिकायत पर विचार नहीं करने का एनबीडीए का निर्णय कानून का घोर उल्लंघन है।"
एनबीएफ को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई
केंद्र ने यह भी बताया है कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) की स्व-नियामक संस्था, एक अन्य स्वैच्छिक संगठन, प्रोफेशनल न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (पीएनबीएसए) को आधिकारिक तौर पर आईएंडबी मंत्रालय द्वारा मान्यता दी गई है।
केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है कि एनबीएफ एकमात्र स्वैच्छिक संघ और स्व-नियामक निकाय है जो औपचारिक रूप से पंजीकृत है और आधिकारिक तौर पर सीटीएन नियम 2021 के तहत टीवी समाचार चैनलों के लिए और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत डिजिटल समाचार प्लेटफार्मों के लिए लेवल- II स्व-नियामक के रूप में मान्यता प्राप्त है । केंद्र ने कहा है कि पीएनबीएसए एकमात्र स्व-नियामक निकाय है जिसे सीटीएन नियम 2021 द्वारा मान्यता दी गई है, जिसके पास दर्शकों की शिकायतों पर विचार करने और निर्णय लेने का वैधानिक अधिकार है ।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है,
“एनबीडीए और एनबीएफ के बीच एकमात्र अंतर यह है कि जहां एनबीएफ औपचारिक रूप से सीटीएन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत है और केंद्र सरकार के वैधानिक शासन का पालन कर रहा है, वहीं एनबीडीए ने सीटीएन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत इसके पंजीकरण का विरोध किया है और कानूनी ढांचे के दायरे से परे काम कर रहा है।"
विशेष रूप से, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि न्यायालय समाचार मीडिया संगठनों के बीच प्रतिद्वंद्विता में नहीं फंसना चाहता है और वह केवल टीवी चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र को "कुछ अधिकार" देने के बारे में चिंतित है।
सीजेआई ने कहा था,
"हम आपके वैचारिक मतभेदों (एनबीडीए और एनबीएफआई) को यहां नहीं सुलझा सकते। हम नहीं चाहते कि यह याचिका प्रतिद्वंद्वी संगठनों के शोरगुल में खो जाए।"
केस : न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन बनाम भारत संघ और अन्य डायरी नंबर 10801-2021