मुल्‍लापेरियार बांध मामलाः सुप्रीम कोर्ट तेजी से अंतिम सुनवाई के लिए तैयार, मामला 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित

LiveLaw News Network

22 Nov 2021 11:06 AM GMT

  • मुल्‍लापेरियार बांध मामलाः सुप्रीम कोर्ट तेजी से अंतिम सुनवाई के लिए तैयार, मामला 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विवाद के सभी बिंदुओं के अंतिम समाधान के लिए मुल्लापेरियार बांध मामले में तेजी से सुनवाई करने पर सहमति जताई और मामले को 10 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि 10 दिसंबर को मामले की सुनवाई दो अन्य चल रही आंशिक सुनवाई के मामलों में सुनवाई के पूरा होने के अधीन होगी।

    केरल राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने प्रस्तुत किया कि अब आपातकालीन आदेशों की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जल स्तर की स्थिति पर्यवेक्षी समिति की निगरानी में है। हालांकि, उन्होंने कहा कि तमिलनाडु द्वारा सुझाए गए नियम वक्र पर केरल द्वारा उठाई गई आपत्तियों को निपटाने की जरूरत है।

    गुप्ता ने कहा,

    "हम आपातकालीन आदेशों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे हैं, हालांकि भारी बारिश हुई थी, लॉर्डशिप ने पर्यवेक्षी समिति को निगरानी करने के लिए कहा था। अब नियम वक्र मुद्दा है, जिसे निपटाने की जरूरत है।"

    पीठ ने कहा कि यह अंतिम निर्णय का मामला होगा। तमिलनाडु राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफड़े ने भी सहमति व्यक्त की कि तत्काल निर्देश की आवश्यकता नहीं है और मामले को अंतिम सुनवाई के लिए पोस्ट किया जा सकता है।

    पीठ ने आदेश में कहा,

    "हमने वकीलों को सुना है।..यह प्रस्तुत किया गया है कि इस स्तर पर तत्काल निर्देश की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, यह प्रस्तुत किया जाता है कि मुख्य मामले को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। हमें मुख्य कार्यवाही में तेजी लाने के अनुरोध को स्वीकार करने में कोई कठिनाई नहीं है।"

    एडवोकेट विल्स मैथ्यू, 'सुरक्षा पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट' की ओर से दायर याचिका में पेश हुए, जिसके तहत तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी और त्रावणकोर साम्राज्य के लीज़ एग्रीमेंट को समाप्त करने की मांग की गई है, जिसे बाद में केरल और तमिलनाडु राज्यों ने जारी रखा था, जिसके अनुसार बाद के पक्ष को मुल्लापेरियार जलाशय के पानी पर अधिकार मिल जाता है।

    मैथ्यू ने कहा, "हमारा इरादा है कि तमिलनाडु को पानी मिलना चाहिए, लेकिन केरल के लोगों की सुरक्षा चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।"

    पेरियार प्रोटेक्शन मूवमेंट द्वारा दायर रिट याचिका में पेश अधिवक्ता वीके बीजू ने यह निर्देश देने की मांग की कि तमिलनाडु को बांध से संबंधित सीपेज डेटा प्रस्तुत करना चाहिए। तमिलनाडु के वकील ने पीठ को बताया कि केरल के साथ साप्ताहिक आधार पर सभी रिकॉर्ड का आदान-प्रदान किया जाता है।

    पीठ केरल स्थित पक्षों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें 126 साल पुराने बांध की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई है।

    केरल सरकार ने पहले तमिलनाडु के सुझाव पर पर्यवेक्षी समिति द्वारा अपनाए गए नियम वक्र पर विवाद करते हुए एक हलफनामा दायर किया था। केरल ने यह भी कहा कि समस्या का दीर्घकालिक समाधान एक नया बांध बनाने के लिए मौजूदा बांध को बंद करना था। बाद में तमिलनाडु ने केरल के तर्कों का खंडन करते हुए एक जवाबी हलफनामा दायर किया । इसने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बांध को "हाइड्रोलॉजिकल, संरचनात्मक और भूकंपीय रूप से सुरक्षित" पाया गया है और समिति की देखरेख में इसे बार-बार मजबूत किया गया है।

    मामला: डॉ जो जोसेफ और अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य (WP(c) No.880 of 2020), सुरक्षा पब्लिक चैरिटेलबे ट्रस्ट बनाम केरल राज्य और अन्य (SLP(c) No.3924/2021)

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