मोटर एक्सीडेंट क्लेम: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एमिक्स क्यूरी की फीस की राशि जमा करने का निर्देश दिया
Shahadat
18 Sept 2023 11:21 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को संशोधित मोटर वाहन अधिनियम और केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के कार्यान्वयन से संबंधित मामले में एमिक्स क्यूरी द्वारा किए गए कार्य के लिए न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास उनकी फीस जमा करने का निर्देश दिया। राज्यों को 30,000/- रुपये फीस जमा करने के लिए कहा गया। वहीं प्रत्येक यूटी को 20,000/- रुपये फीस जमा करने के लिए कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दो मौकों पर अपने द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की खिंचाई की थी। न्यायालय ने तब सीनियर एडवोकेट जे.आर. मिधा को राज्यों की रिपोर्ट, अधिनियम और नियमों के प्रावधानों, प्रासंगिक निर्णयों को संकलित करने और सुझाव देने के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया था। वहीं एडवोकेट समरिका बिस्वाल और एडवोकेट सुमित चंदर को एमिक्स क्यूरी की सहायता के लिए नियुक्त किया गया था।
जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस के वी विश्वनाथन की खंडपीठ ने हालिया सुनवाई में कहा कि मिजोरम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख अभी भी अप्रस्तुत हैं। न्यायालय ने गुजरात, दिल्ली, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप को अपनी अनुपालन रिपोर्ट फिर से दाखिल करने का भी निर्देश दिया, क्योंकि वकीलों की दलीलों के बावजूद कि रिपोर्ट दायर की जा चुकी है, उन्हें रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया है।
खंडपीठ ने कहा,
"एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट मिधा और अन्य दो एमिक्स क्यूरी एडवोकेट सामापिका बिस्वाल और एडवोकेट सुमित चंदर द्वारा किए गए कठिन परिश्रम को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश देना हमारा कर्तव्य है कि सभी राज्य सरकारें 30,000 रुपये की राशि जमा करें। वहीं सभी केंद्र शासित प्रदेशों को 'रजिस्ट्रार, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया' के नाम पर डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से 20,000/- रुपये की राशि जमा करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश दिनांक 10.07.2023 में उन राज्यों और हाईकोर्ट से आग्रह किया, जिन्होंने मोटर दुर्घटना मुआवजे के दावों के संबंध में दिसंबर 2022 में न्यायालय द्वारा जारी किए गए कई निर्देशों के संबंध में अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की थी। न्यायालय ने चेतावनी दी कि यदि रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत नहीं की गई तो न्यायालय को संबंधित हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों की अदालत में उपस्थिति पर जोर देना होगा। मोटर वाहन संशोधन अधिनियम और नियमों के उद्देश्य को पूरा करने के लिए 2022 में दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
18 अगस्त को न्यायालय ने कहा था कि उसकी पिछली चेतावनी के बावजूद, 10 राज्यों का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ और 8 राज्यों ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अधिक समय की प्रार्थना की। कोर्ट ने राज्यों की 'सुस्त रवैये' के लिए आलोचना की थी।
केस टाइटल: गोहर मोहम्मद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम और अन्य | सिविल अपील नंबर 9322/2022
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