गोरखपुर से नाबालिग लड़की का अपहरण : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से जांच दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की

LiveLaw News Network

7 Sep 2021 8:35 AM GMT

  • गोरखपुर से नाबालिग लड़की का अपहरण : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से जांच दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गोरखपुर की उस 13 वर्षीय लड़की के अपहरण के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस से दिल्ली पुलिस को तत्काल आधार पर जांच स्थानांतरित करने का निर्देश दिया, जो 2 महीने से लापता थी।

    एक सितंबर को कोर्ट ने यूपी पुलिस को मामले की फाइल दिल्ली पुलिस को सौंपने का निर्देश दिया था।

    अगले दिन, दिल्ली पुलिस ने कोलकाता से लापता लड़की का पता लगाया था, और उसके अपहरणकर्ता, दिल्ली निवासी को गिरफ्तार कर लिया था।

    जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने मंगलवार को कहा,

    "पक्षकारों के वकीलों को सुनने के बाद और उत्तर प्रदेश राज्य की गोरखपुर पुलिस द्वारा की गई जांच की प्रकृति पर कोई निष्कर्ष दर्ज किए बिना, न्याय के हित में 8 जुलाई, 2021 की एफआईआर 125/2021 की जांच को मालवीयनगर पुलिस स्टेशन, दिल्ली स्थानांतरित कर दिया जाए। मामले की जांच मालवीयनगर पुलिस द्वारा तत्काल प्रभाव से आगे बढ़ाई जाएगी।"

    पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए कि नाबालिग लड़की को किसी भी अप्रिय स्थिति के संपर्क में आने से बचाया जाए। गोरखपुर थाने के प्रभारी पुलिस अधिकारी को भी मामले के सभी संबंधित रिकॉर्ड दिल्ली पुलिस को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

    इसके अलावा, अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि नाबालिग लड़की का कोई कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं है, नाबालिग लड़की का प्रतिनिधित्व करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन को नियुक्त किया।

    अदालत ने लड़की की मां द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में निर्देश पारित किया, जिसमें उसका पता लगाने के लिए कदम उठाने की मांग की गई थी।

    मंगलवार को, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एएसजी रूपिंदर सिंह सूरी ने अदालत को सूचित किया कि नाबालिग लड़की का एम्स दिल्ली में मेडिकल परीक्षण किया गया था, जिसमें आघात से निपटने के लिए काउंसलिंग भी शामिल थी।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अमित पई ने अदालत को अवगत कराया कि नाबालिग पीड़िता वर्तमान में गर्भवती है और अदालत से उसकी सुरक्षा के लिए तत्काल आधार पर उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने आगे कहा कि पीड़िता की उम्र के संबंध में एक विसंगति है। हालांकि उसके स्कूल प्रमाण पत्र और आधार कार्ड में उल्लेख है कि वह केवल 13 वर्ष की है, पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि वह 16 वर्ष की है।

    इस पर एएसजी सूरी ने कोर्ट को बताया कि एम्स दिल्ली ने नाबालिग पीड़िता को उम्र निर्धारण के लिए फॉरेंसिक विभाग में रेफर कर दिया है।

    पीठ ने परामर्श सत्र की रिपोर्ट से यह भी नोट किया कि नाबालिग पीड़िता ने स्वीकार किया है कि उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था। तदनुसार, बेंच ने एएसजी सूरी को दिल्ली पुलिस अधिकारियों से उनकी कार्ययोजना के बारे में बात करने और उसके बाद सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया।

    मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होनी है।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह दिल्ली में घरेलू नौकरानी के रूप में काम कर रही थी, और संदिग्ध लंबे समय से उसकी नाबालिग बेटी को लुभाने और बहकाने की कोशिश कर रहा था। इस संबंध में उसने दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।

    जुलाई में, जब याचिकाकर्ता अपनी बेटियों के साथ गोरखपुर में अपने पति के परिवार के साथ थी, सबसे बड़ी बेटी लापता हो गई।

    याचिका के अनुसार, छोटी बेटी ने संदिग्ध और उसकी बहन के बीच कुछ फोन पर बातचीत सुनी, जहां वो उसे धमकी दे रहा था कि अगर वह दिल्ली में अपने फ्लैट में नहीं आई तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस बातचीत के तुरंत बाद लड़की लापता हो गई।

    याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि हालांकि जल्द ही गोरखपुर पुलिस के समक्ष शिकायत की गई, लेकिन उसने कोई त्वरित कदम नहीं उठाया। इस पृष्ठभूमि में, सर्वोच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी, जिसमें आशंका व्यक्त की गई थी कि लड़की का यौन शोषण किया जा सकता है या देह व्यापार के लिए उसकी तस्करी की जा सकती है।

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