स्टूडेंट को डांटना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में शिक्षक को बरी किया
Shahadat
2 Jun 2025 10:27 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक द्वारा डांटने के बाद स्टूडेंट द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप का सामने कर रहे शिक्षक को बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी को कोई भी गलत मंशा नहीं दी जा सकती, क्योंकि “कोई भी सामान्य व्यक्ति यह कल्पना नहीं कर सकता कि स्टूडेंट की शिकायत के आधार पर डांटटने के कारण वह इतनी बड़ी त्रासदी हो सकती है, क्योंकि डांटने के कारण स्टूडेंट ने खुदकुशी कर ली।”
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट का वह फैसला खारिज कर दिया, जिसमें अपीलकर्ता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध के लिए बरी करने से इनकार कर दिया गया था।
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता ने शिकायत को संबोधित करते हुए जिम्मेदार अधिकारी के रूप में काम किया। कोई भी सबूत यह नहीं दर्शाता कि वह दुखद परिणाम का इरादा रखता था।
इसके अलावा, आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप को साबित करने के लिए उकसावे या ऐसा कृत्य करने में जानबूझकर सहायता जैसे तत्वों को साबित करना आवश्यक है; इन तत्वों के सबूत के बिना आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं बनता है।
चूंकि मेन्स रीया अनुपस्थित था, इसलिए अदालत ने अपीलकर्ता को आरोपमुक्त करना उचित समझा और अपील स्वीकार कर ली।
Case Title: THANGAVEL VERSUS THE STATE

