एमबीबीएस एडमिशन: सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की एक्सपर्ट बॉडी की राय पर सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित उम्मीदवार को ‌विकलांग कोटा के लिए पात्र घोषित किया

Avanish Pathak

3 Oct 2023 12:13 PM GMT

  • एमबीबीएस एडमिशन: सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की एक्सपर्ट बॉडी की राय पर सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित उम्मीदवार को ‌विकलांग कोटा के लिए पात्र घोषित किया

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित एक उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने उसे एमबीबीएस में एडमिशन के लिए पर्सन विद डिसएबिलिटी (पीडब्ल्यूडी) एक्ट, 2016 के तहत आरक्षण के लिए पात्र माना। कोर्ट ने 22 सितंबर 2023 को एम्स से विशेषज्ञों के एक बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने उम्मीदवार को योग्य घोषित किया था।

    कोर्ट ने कहा,

    “बोर्ड ने गुढ़ और अतार्किक व‌िचारों से उम्मीदवार के विकालांग मानने के दावे को खारिज़ कर दिया था। इस अदालत ने 22 सितंबर, 2023 के आदेश के जर‌िए यह राय दी थी कि विशेषज्ञ रिपोर्ट अपर्याप्त है, और इसमें कोई कारण नहीं दिया गया है क‌ि अपीलकर्ता को विकलांग क्यों नहीं माना जा सकता। निर्देशों के अनुसार, बोर्ड ने 27 सितंबर को फिर से बैठक की और कारण बताए और उन्हें योग्य माना। प्रतिवादी की ओर से भी विशेषज्ञ की राय पर विवाद नहीं किया गया है। अपीलकर्ता को पात्र घोषित किया जाता है- उसे विकलांग के रूप में माना जाता है और परिणामस्वरूप उसके आवेदन पर उसकी योग्यता के आधार पर विचार किया जाना चाहिए और उसी के मुताबिक, प्रोसेस किया जाना चाहिए।

    जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ विकलांग कोटा के तहत एमबीबीएस (2023-24) में एडमिशन के लिए इच्छुक उम्मीदवारों की दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उन्हें मेडिकल बोर्ड ऑफ एडमिशन ने अनुमति नहीं दी थी।

    पहले याचिकाकर्ता गौरव ने बॉम्बे हाईकोर्ट में असफल रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका पर एम्स को याचिकाकर्ता की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक विशेषज्ञ बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता की स्थिति का आकलन करने के लिए बोर्ड ने पहले दो सितंबर, 2023 को बैठक बुलाई थी और बाद में व्यापक मूल्यांकन के लिए एक सप्ताह का समय मांगा थ, जिसे उसने 9 सितंबर, 2023 को किया था।

    हालांकि, विशेषज्ञ बोर्ड की प्रारंभिक राय बहुत ही गूढ़ थी और इसमें स्पष्ट तर्क का अभाव था, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपर्याप्त माना।

    अदालत ने बोर्ड की रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया, क्योंकि यह याचिकाकर्ता को विकलांग माने जाने के दावे को खारिज करने के लिए पर्याप्त आधार प्रदान नहीं कर पा रही थी।

    अदालत के निर्देश के जवाब में, विशेषज्ञ बोर्ड ने फिर से बैठक की और 27 सितंबर, 2023 को एक संशोधित राय प्रस्तुत की। इस राय में, बोर्ड ने याचिकाकर्ता को पीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 के तहत आरक्षण के लिए पात्र घोषित किया।

    सुप्रीम कोर्ट के 22 सितंबर, 2023 के आदेश ने पहले संबंधित राज्यों को याचिकाकर्ता की संभावित पात्रता को समायोजित करने के लिए जारी काउंसलिंग सत्रों में एक सीट अलग रखने का निर्देश दिया था।

    प्रतिवादी ने विशेषज्ञ बोर्ड की राय पर विवाद नहीं किया।

    अदालत ने याचिकाकर्ता को पीडब्लूडी एक्ट, 2016 के तहत विकलांग के रूप में इलाज के लिए पात्र घोषित किया। अदालत ने प्रतिवादी को काउसलिंग सेशन में याचिकाकर्ता के दावे पर विचार करने और उसके आवेदन पर उसी के मुताबिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

    जहां तक दूसरे याचिकाकर्ता बांभनिया सागर सवाल है, अदालत ने कहा कि एम्स के विशेषज्ञों के बोर्ड से रिपोर्ट प्राप्त हुई है। कोर्ट ने उसकी प्रतियां पक्षकारों को देने को कहा और मामले को एक सप्ताह बाद सोमवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    केस का शीर्षक: बांभनिया सागर वाशरमभाई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डब्ल्यूपी (सी) नंबर 856/2023, गौरव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एसएलपी सी 18017/2023 [ऐसे मामले, जहां एम्स कमेटी को कारण बताने के लिए कहा गया]

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