'गंभीर चिंता का विषय': सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा बिलों और फाइलों को मंजूरी नहीं देने पर चिंता व्यक्त की
Shahadat
10 Nov 2023 8:26 AM GMT
![गंभीर चिंता का विषय: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा बिलों और फाइलों को मंजूरी नहीं देने पर चिंता व्यक्त की गंभीर चिंता का विषय: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा बिलों और फाइलों को मंजूरी नहीं देने पर चिंता व्यक्त की](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2023/11/10/750x450_503133-tamil-nadu-government.webp)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 नवंबर) को विधानसभा द्वारा पारित कई विधेयकों और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत फाइलों पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के बैठे रहने पर चिंता व्यक्त की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि राज्यपाल के पास 12 विधेयक लंबित हैं। इसके अलावा, कैदियों को समय से पहले रिहाई, अभियोजन की मंजूरी और तमिलनाडु लोक सेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में सरकार द्वारा लिए गए कई फैसले राज्यपाल के पास लंबित हैं।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सहभागिता वाली पीठ ने तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा,
"ये मुद्दे गंभीर चिंता का विषय हैं।"
मामले को 20 नवंबर के लिए पोस्ट करते हुए पीठ ने सहायता के लिए भारत के अटॉर्नी जनरल या भारत के सॉलिसिटर जनरल की उपस्थिति की भी आवश्यकता की।
राज्य सरकार ने पीठ को बताया कि 2020 और 2023 के बीच विधानसभा द्वारा पारित 12 विधेयक राज्यपाल के पास लंबित हैं। हालांकि उन्हें 13 जनवरी, 2020 और 28 अप्रैल, 2023 के बीच सहमति के लिए प्रस्तुत किया गया था। 10 अप्रैल, 2022 और 15 मई, 2023 के बीच राज्यपाल को चार फाइलें सौंपी गईं। लोक सेवकों की ओर से कथित नैतिक अधमता से जुड़े विभिन्न अपराधों के अभियोजन की मंजूरी के लिए 14 अगस्त, 2023 से 28 जून, 2023 के बीच राज्यपाल को सौंपी गई कैदियों की समयपूर्व रिहाई की 54 फाइलें लंबित हैं। साथ ही, चूंकि टीएनपीएससी सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव लंबित हैं, इसलिए आयोग 14 के बजाय 4 सदस्यों के साथ काम कर रहा है।
राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, मुकुल रोहतगी और पी विल्सन पेश हुए। वकीलों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्यपाल को "जितनी जल्दी हो सके" बिल वापस करना होगा।
उल्लेखनीय है कि पंजाब राज्य द्वारा दायर इसी तरह की याचिका से संबंधित पिछली सुनवाई में अदालत ने मौखिक रूप से कहा था कि राज्य सरकार द्वारा अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद ही राज्यपालों द्वारा विधेयकों पर कार्रवाई करने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए।
हालांकि, पंजाब और तमिलनाडु राज्य अकेले नहीं हैं, जिन्होंने राज्यों में संबंधित राज्यपालों के खिलाफ शिकायतों के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केरल राज्य की अन्य याचिका में केरल के राज्यपाल के खिलाफ इसी तरह की राहत की मांग की गई है। इससे पहले, ऐसी ही स्थिति तेलंगाना राज्य में हुई थी, जहां सरकार द्वारा रिट याचिका दायर करने के बाद ही राज्यपाल ने लंबित विधेयकों पर कार्रवाई की थी।
केस टाइटल: तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल और अन्य डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 1239/2023