मणिपुर यौन हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों का बयान रिकॉर्ड करने से सीबीआई को रोका
Shahadat
1 Aug 2023 11:49 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मणिपुर यौन हिंसा मामले की पीड़ितों के बयान लेने से रोक दिया। पीड़ितों की पहचान उस वीडियो में की गई, जिसमें दो महिलाओं की नग्न परेड कराई गई थी। बाद में यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल से मौखिक रूप से कहा कि वह सीबीआई को इंतजार करने के लिए कहें, क्योंकि अदालत आज (सोमवार) दोपहर 2 बजे मणिपुर से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली है। अदालत पीड़ित लोगों के बयान दर्ज करने के लिए पैनल गठित करने पर विचार कर रही है और विशेष जांच दल की याचिका पर विचार करने जा रही है।
वकील निज़ाम पाशा ने सोमवार सुबह बचे हुए लोगों के बयान दर्ज करने के लिए सीबीआई के कदम के बारे में सूचित करने के लिए सीजेआई के समक्ष तत्काल उल्लेख किया।
पाशा ने कहा,
"सीबीआई दोपहर तक पीड़ितों का बयान दर्ज करने आ रही है। उसे दोपहर 2 बजे सुनवाई का इंतजार करने दें।"
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुरोध पर सहमति जताई और कहा,
"मिस्टर एसजी, बस उन्हें इंतजार करने के लिए कहें। हम इसे आज दोपहर 2 बजे लेने जा रहे हैं।"
एसजी ने सीबीआई को संदेश देने पर सहमति व्यक्त की और कहा कि वे "अच्छे विश्वास" के साथ गए होंगे।
सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में मणिपुर राज्य में हिंसा विशेष रूप से लक्षित यौन हिंसा की जांच के लिए एक स्वतंत्र अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
गौरतलब है कि वीडियो में दिख रही दो जीवित बची महिलाओं ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि वे जांच को सीबीआई को सौंपने और मुकदमे को असम ट्रांसफर करने के केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करती हैं।
पिछली सुनवाई में उनके वकील सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,
"उन्होंने (केंद्र सरकार) मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया और वे मामले को असम ले जाना चाहते हैं। हम दोनों के खिलाफ हैं।"
सिब्बल ने दलील दी कि जांच ऐसी एजेंसी से कराई जानी चाहिए, जिस पर पीड़ितों को भरोसा हो।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया और केंद्र और राज्य सरकार को अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देगी, लेकिन अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो वह हस्तक्षेप करेगी।
जवाब में केंद्र सरकार ने मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का फैसला किया। अपराध की गंभीरता को देखते हुए मणिपुर राज्य सरकार की सहमति से यह कदम उठाया गया।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मुकदमे को मणिपुर राज्य से बाहर किसी अन्य राज्य में ट्रांसफर करने का भी अनुरोध किया। इसके साथ ही उसने आरोपपत्र दाखिल करने के छह महीने के भीतर मुकदमा पूरा करने का निर्देश देने की भी मांग की।