मणिपुर: वकील धमकियों के कारण उनकी पैरवी नहीं करना चाहते- सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने बताया

Shahadat

13 Sep 2023 6:03 AM GMT

  • मणिपुर: वकील धमकियों के कारण उनकी पैरवी नहीं करना चाहते- सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने बताया

    सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने मंगलवार (12 सितंबर) को बताया कि मणिपुर में विशेष समुदाय के सदस्य राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि वकील धमकियों के कारण उनके लिए पेश होने को तैयार नहीं हैं।

    उदाहरण के तौर पर, उन्होंने मणिपुर हाईकोर्ट में प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग के मामले से वकीलों के पीछे हटने का उदाहरण दिया, जब उनमें से एक वकील के घर और कार्यालय में तोड़फोड़ की गई।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष एडवोकेट ग्रोवर दो याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। पहले याचिकाकर्ता भारतीय सेना के 76 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्नल विजयकांत चेनजी, जिनके खिलाफ जनवरी 2022 में प्रकाशित उनकी पुस्तक "द एंग्लो-कुकी वॉर 1917-19: विक्ट्री इन डिफेट" के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। दूसरा याचिकाकर्ता हेनमिनलुन एक्टिविस्ट हैं, जो अपने द्वारा दिए गए भाषण के खिलाफ दर्ज एफआईआर का सामना कर रहे हैं।

    सुनवाई के दौरान, ग्रोवर ने कहा कि याचिकाकर्ता को मणिपुर राज्य में कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि हाईकोर्ट के समक्ष मौजूदा मामलों में पेश होने वाले वकीलों के चैंबरों में तोड़फोड़ की गई। इसके बाद वे पेश होने के इच्छुक नहीं हैं।

    ग्रोवर ने प्रस्तुत किया,

    "एक साल पहले उनके द्वारा एक पुस्तक प्रकाशित की गई। वह एक कर्नल हैं। पुस्तक में समुदायों के बारे में एक शब्द भी नहीं है, केवल सैन्य रणनीति है और उन पर मुकदमा चलाया गया है। मणिपुर में वकीलों के घरों और कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई है। उनमें से दो वकील अब शिविर में हैं। वे मुझे निर्देश नहीं दे सकते।"

    मणिपुर राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दावे पर सवाल उठाया कि कुछ पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों पर हमला किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा,

    "यह मुद्दा बार-बार उठाया जा रहा है। जब भी कोई दंगा होता है तो कोई वकील, कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर- होता है... प्रतिनिधित्व करने वाला कोई वकील नहीं..."

    इस पर ग्रोवर ने जवाब दिया,

    "निश्चित रूप से जिस वकील ने प्रतिनिधित्व किया था, उसके बारे में मुझे नहीं लगता कि मेरे मित्र को तथ्य पता हैं। मैं उन्हें तस्वीरें दिखाऊंगा। यह एक बहुत ही चौंकाने वाली घटना है। उनमें से तीन वकील उपस्थित थे। उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि मैं मुद्दों के कारण इस मामले में उपस्थित नहीं हो सकता। वे इंफाल से हैं। वे एक समुदाय से हैं। उन्होंने अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति वापस ले ली। उनके घरों और कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई। उनमें से एक को भागना पड़ा। दूसरे ने सीआरपीएफ कैंप में शरण ली है। मैं किसी से कुछ नहीं करवा सकता या कुछ भी दर्ज नहीं करा सकता।"

    हालांकि, एसजी तुषार मेहता ने जोर देकर कहा कि मणिपुर हाईकोर्ट का सत्र चल रहा है और वकीलों का एक पैटर्न है, जो सुप्रीम कोर्ट को अन्यथा बता रहा है।

    उन्होंने कहा,

    "इस अदालत के महासचिव को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से बात करने दें और पूछें कि क्या हाईकोर्ट काम कर रहा है... एक वर्ग यहां सब कुछ ला रहा है और एक तस्वीर पेश कर रहा है कि अदालतें बंद हैं... कल मैं वहां था। उन्होंने बताया कि वकील शारीरिक रूप से और साथ ही वर्चुअली भी पेश हो रहे हैं। मेरा मित्र वर्चुअली पेश हो सकते हैं। इसके अलावा भी कुछ है। मैं इस मामले पर नहीं हूं। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि यह निश्चित वर्ग द्वारा बड़ा पैटर्न बनाने का मामला है।"

    सीजेआई ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त कर्नल है और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "वह सेवानिवृत्त कर्नल हैं। उन्होंने एक किताब लिखी है। उनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। एकमात्र सवाल यह है कि क्या हम यहां आपकी रक्षा करेंगे या आपको वापस हाईकोर्ट भेजेंगे..."

    तदनुसार, खंडपीठ ने ग्रोवर से पूछा कि क्या याचिकाकर्ता इस आशय का हलफनामा दायर करेगा कि याचिकाकर्ता के लिए वकील ढूंढना मुश्किल है, जो दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत कार्यवाही में हाईकोर्ट के समक्ष पेश हो सके। सीनियर एडवोकेट इस पर सहमत हुए। इसके अलावा, याचिकाकर्ता को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई।

    कोर्ट ने कहा,

    "सूचीबद्ध होने की अगली तारीख तक जिला इंफाल पश्चिम, मणिपुर के पुलिस स्टेशन इंफाल में दर्ज एफआईआर नंबर 661(8)2023 दिनांक 9 अगस्त 2023 के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।"

    सीजेआई ने तब पक्षकारों से कहा,

    "हमने कहा है कि आपके लिए ऐसे वकीलों को नियुक्त करना संभव नहीं है, जो हाईकोर्ट में आपकी ओर से पेश होंगे।"

    एसजी ने इस पर आपत्ति जताई और कहा,

    "शुरुआत में बयान यह था कि कोई वकील पेश नहीं हो रहा है।"

    हालांकि, सीजेआई ने टिप्पणी की,

    "हम पंक्तियों के बीच पढ़ेंगे।"

    दूसरे याचिकाकर्ता हेनमिनलुन के मामले के बारे में ग्रोवर ने कहा कि याचिकाकर्ता को अभी तक एफआईआर की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई है। मणिपुर हाईकोर्ट की प्रशासनिक अधिसूचना के अनुसार, याचिका दायर करने के लिए एफआईआर की कॉपी की आवश्यकता होती है। इसलिए ग्रोवर ने कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कहना प्रभावी उपाय नहीं हो सकता।

    इस पर जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा,

    "योग्यता के आधार पर हम आपको सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट में भेजने के इच्छुक हैं। हम क्या कर सकते हैं, हम अभी कह सकते हैं कि एफआईआर की कॉपी एक सप्ताह की अवधि के भीतर दी जाएगी। हम आपको एक सप्ताह की सीमित अवधि तक सुरक्षित रखेंगे। फिर कहेंगे कि अब आप सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट जाएं।''

    इस पर ग्रोवर ने अपनी पिछली बात दोहराई और कहा,

    "मैं हाईकोर्ट नहीं जा पाऊंगा, क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से है। कोई भी मेरी तरफ से पेश नहीं होगा। इम्फाल में उस समुदाय के सभी लोगों को बाहर कर दिया गया है। वहां कोई वकील पेश नहीं हो रहा है।"

    एसजी ने इस पर आपत्ति जताई और कह,

    "इसे हलफनामे में कहें!"

    एसजी की आपत्ति का जवाब देते हुए ग्रोवर ने मणिपुर में वकीलों के खिलाफ हमले की निंदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा हाल ही में पारित प्रस्ताव का उल्लेख किया।

    ग्रोवर ने कहा कि प्रोफेसर के मामले में लीगल एड लॉयर (कानूनी सहायता वकील) नियुक्त करना पड़ा, क्योंकि अन्य वकील पीछे हट गए।

    उन्होंने कहा,

    "दूसरे मामले में सीजेआई इतने दयालु हैं कि उन्होंने उल्लेख किया कि वह कानूनी सहायता नियुक्त करेंगे। वह प्रोफेसर का मामला था। हमारे लिए लीगल एड लॉयर करना असंभव है- यही हो रहा है।"

    आखिरकार, अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पहले बताए अनुसार हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    सीजेआई ने टिप्पणी की,

    "सबसे पहले हमने आपसे हलफनामा मांगा है। फिर हम हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट पेश करने के लिए कहेंगे, क्योंकि अगर इसमें कोई तथ्य है तो यह बहुत गंभीर मामला है। वकील पेश नहीं हो रहे हैं। फिर हम उन कदमों का संकेत देंगे, जो हम उठाएंगे। सबसे पहले, हमें आपके क्लाइंट से कागज पर शपथ लेने की आवश्यकता होगी। फिर हम मणिपुर राज्य से सत्यापन करने के लिए कहेंगे। इसके बाद हम रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगेंगे। भले ही वकील उपलब्ध नहीं है, हम पता लगाएंगे कि क्या आपके क्लाइंट के लिए लीगल एड उपलब्ध कराई जा सकती है। इस मामले पर हमारी अंतरात्मा को संतुष्ट होना होगा कि लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है।"

    जैसे ही अदालत ने अपनी कार्यवाही बंद की, सीजेआई ने यह टिप्पणी की,

    "हम भी अपनी अदालत को सीआरपीसी की 482 अदालत में परिवर्तित नहीं करना चाहते हैं। हमें संतुलन समाधान की आवश्यकता है।"

    गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने आपराधिक मामले में कुकी प्रोफेसर खाम खान सुआन हाउजिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले मणिपुर के वकील एस चित्तरंजन के घर और कार्यालय में तोड़फोड़ की खबरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।

    इससे पहले, रिपोर्टें सामने आई थीं कि हाउजिंग के वकील सोरैशम चित्तरंजन के घर पर भीड़ ने तोड़फोड़ की थी। इसके बाद उन्होंने और इंफाल स्थित तीन अन्य वकीलों ने मणिपुर हाईकोर्ट को बताया कि वे हैदराबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का प्रतिनिधित्व करने से पीछे हट रहे हैं।

    पारित प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि उसने बर्बरता के बारे में समाचार रिपोर्टों पर 'गंभीर नोटिस लिया' है। इसके साथ ही वकीलों को डराने-धमकाने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने के प्रयास की कड़ी आलोचना की गई है। एससीबीए ने यह भी घोषणा की कि वह उन वकील के साथ एकजुटता से खड़ा है, जिनके घर पर गुस्साई भीड़ ने हमला किया था।

    मामले को अगली सुनवाई के लिए 6 अक्टूबर, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (विजयकांत चेनजी बनाम मणिपुर राज्य)

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें (हेनमिनलुन बनाम मणिपुर राज्य)

    Next Story