गलती से शिकायत वापस लेने पर वकील की त्रुटी के कारण वादी को परेशानी नहीं उठानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
3 Aug 2023 6:10 AM GMT
![गलती से शिकायत वापस लेने पर वकील की त्रुटी के कारण वादी को परेशानी नहीं उठानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट गलती से शिकायत वापस लेने पर वकील की त्रुटी के कारण वादी को परेशानी नहीं उठानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2023/06/14/750x450_476235-supreme-court-of-india-sc-07.jpg)
Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने बीमा दावे से संबंधित मामले में कहा कि वकील की त्रुटी के कारण किसी वादी को परेशान नहीं होना चाहिए। केवल वकील की त्रुटी के कारण किसी पक्ष को कष्ट नहीं उठाना चाहिए।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ एनसीडीआरसी के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बीमा दावा खारिज कर दिया गया।
इस मामले में एनसीडीआरसी ने पहले माना कि चूंकि शिकायत वापस ले ली गई, इसलिए कोई नई शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती, क्योंकि यह नागरिक प्रक्रिया संहिता1 (सीपीसी) के आदेश XXIII नियम (1) (4) के तहत वर्जित है।
जिला फोरम के समक्ष वकील ने प्रस्तुत किया,
“मैं सुरेंद्र कुमार गुलिया, ए़डवोकेट, कहता हूं कि मैं अपने मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता हूं। इसे ख़ारिज किया जा सकता है। जिला फोरम ने उसके वापसी के बयान को दर्ज करते हुए दावे का निपटारा कर दिया।
दावेदार ने नई शिकायत दर्ज की और कहा कि निकासी उसके वकील द्वारा गलती से की गई।
अदालत ने कहा,
''शिकायत वापस लेने के स्पष्ट निर्देश दिए बिना बीमा कंपनी के वकील द्वारा मामला लंबा खिंचने के बहाने शिकायतकर्ता के वकील द्वारा उक्त शिकायत वापस ले ली गई। हालांकि, वकील की गलती के लिए शिकायतकर्ता को परेशान नहीं किया जा सकता।”
इस प्रकार, शिकायत को आदेश XXIII नियम (1)(4) सीपीसी की सीमा पर खारिज नहीं किया जा सकता है और विशिष्ट तथ्यों में इस पर गुण-दोष के आधार पर विचार करने की आवश्यकता है।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता ट्रक का मालिक है, जिसके पास 2008 से 2009 तक 8,40,000 की वैध बीमा पॉलिसी थी। 26 जून 2008 को अपीलकर्ता का वाहन तब चोरी हो गया जब ड्राइवर ने चाबी छोड़ दी और एक व्यक्ति के बारे में पूछताछ करने के लिए वाहन से उतर गया। उसने एफआईआर दर्ज की और प्रतिवादी को बीमा का दावा करने के लिए चोरी के बारे में सूचित किया। उसने जिला फोरम के समक्ष शिकायत दर्ज की, जिसने उन्हें गैर-मानक आधार पर सुनिश्चित राशि का 75% प्रदान किया। राज्य आयोग ने इसकी पुष्टि की। लेकिन एनसीडीआरसी ने उसके दावे को खारिज कर दिया। इसी बात से दुखी होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
केस टाइटल: अशोक कुमार बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
केस नंबर: सिविल अपील नंबर 4758/2023
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