PM Modi पर शशि थरूर की 'बिच्छू' वाली टिप्पणी का मानहानि मामला सुप्रीम कोर्ट ने किया बंद, कहा- 'इतना भावुक क्यों हो रहे हैं?'
Shahadat
1 Aug 2025 12:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में की गई "शिवलिंग पर बैठे बिच्छू" वाली टिप्पणी को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत की कार्यवाही बंद कर दी जानी चाहिए।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। थरूर के वकील ने स्थगन की मांग की, जबकि शिकायतकर्ता (BJP नेता राजीव बब्बर) के वकील ने गैर-विविध दिन पर सुनवाई की मांग की।
इस पर जस्टिस सुंदरेश ने मौखिक रूप से कहा:
"कौन सा गैर-विविध दिन? इसे बंद करते हैं। आप इस सब पर भावुक क्यों होना चाहते हैं? इसे बंद करते हैं। इस तरह प्रशासक, राजनीतिक हस्तियां और जज एक ही समूह में आते हैं, उनकी चमड़ी काफी मोटी होती है। चिंता न करें।"
सीनियर एडवोकेट पिंकी आनंद ने जवाब दिया कि मामले की सुनवाई तो होनी ही है। इस पर सहमति जताते हुए न्यायालय ने मामले की सुनवाई किसी अन्य दिन के लिए सूचीबद्ध कर दी। पिछले वर्ष दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
पिछले वर्ष 10 सितंबर को जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने थरूर की उस याचिका पर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जिसमें उन्होंने 29 अगस्त के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में मानहानि का मामला रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। यह दलील दी गई कि थरूर ने 2012 में द कारवां पत्रिका में प्रकाशित एक लेख का केवल हवाला दिया था, जिसमें एक अनाम आरएसएस नेता द्वारा नरेंद्र मोदी की तुलना "शिवलिंग पर बैठे बिच्छू" से करने की कथित टिप्पणी थी। वकील ने कहा कि 2018 में बैंगलोर साहित्य महोत्सव में बोलते हुए थरूर ने इस कथन का हवाला दिया और इसे "असाधारण रूपक" बताया।
इसके अलावा, यह भी दलील दी गई कि द कारवां पत्रिका के लेख में उद्धृत व्यक्ति ने बाद में न्यूज चैनल पर एक वीडियो में यही कथन दोहराया। वकील ने तर्क दिया कि जब 2012 में यह टिप्पणी मानहानिकारक नहीं थी, तो 2018 में थरूर द्वारा इसे दोहराए जाने पर यह अचानक मानहानिकारक कैसे हो गई।
यह भी बताया गया कि आपराधिक मानहानि की शिकायत (BJP नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर) में न तो पत्रिका और न ही मूल उद्धरण देने वाले व्यक्ति को पक्ष/आरोपी बनाया गया था।
Case Title: SHASHI THAROOR Versus STATE OF N.C.T OF DELHI AND ANR., SLP(Crl) No. 12360/2024

