Krishna Janmabhoomi Case | सुप्रीम कोर्ट में सभी भक्तों का प्रतिनिधित्व करने वाले केस को लेकर विवाद, अगले सोमवार को होगी सुनवाई

Shahadat

24 Nov 2025 9:00 PM IST

  • Krishna Janmabhoomi Case | सुप्रीम कोर्ट में सभी भक्तों का प्रतिनिधित्व करने वाले केस को लेकर विवाद, अगले सोमवार को होगी सुनवाई

    कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में एक केस (जो विवादित जगह से मस्जिद हटाने की मांग के लिए दायर किया गया) के वादी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें दूसरे केस के वादियों को भगवान कृष्ण के सभी भक्तों का प्रतिनिधि माना गया।

    कुल मिलाकर इस मुद्दे पर 18 केस हैं, जिन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया। उनमें से 15 को एक साथ कर दिया गया और बाकी को अलग से लिस्ट किया गया। इस साल जुलाई में हाईकोर्ट ने केस नंबर 17 के वादियों को सभी भक्तों का प्रतिनिधि मानने की अनुमति दी थी। केस नंबर 17 भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के नाम पर नेक्स्ट फ्रेंड के ज़रिए दायर किया गया। केस नंबर 17 के दूसरे वादी सुरेंद्र कुमार गुप्ता, महावीर शर्मा और प्रदीप कुमार श्रीवास्तव हैं।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए सूट नंबर 1 के वादी, जो नेक्स्ट फ्रेंड के ज़रिए देवता के नाम पर भी फाइल किया गया, सुप्रीम कोर्ट गए। सूट नंबर 1 के दूसरे वादी रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, करुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह और त्रिपुरापुरी तिवारी हैं।

    सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान की तरफ से पेश इन याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे सूट फाइल करने वाले पहले पक्ष हैं, और दूसरे सूट सिर्फ़ "कॉपीकैट" सूट हैं।

    दीवान ने जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच को बताया कि याचिकाकर्ताओं के सूट को लीड मैटर बनाया गया और हाईकोर्ट के लिए सूट नंबर 17 को इस तरह से आगे बढ़ाना गलत था।

    दीवान ने कहा,

    “ओरिजिनल सूट नंबर 1/2023 को लीडिंग केस बनाया गया। अगर हम प्लेनटिफ की तरफ से कोई रिप्रेजेंटेटिव सूट करते हैं तो उसे लीडिंग सूट होना चाहिए, क्योंकि इसी सूट ने सब कुछ किया। बाकी सब कॉपीकैट हैं और थीम के हिसाब से उन्होंने मुद्दों को बड़े पैमाने पर लिया। इसलिए यह बहुत, बहुत सीरियस हिस्सा है…अगर ऐसा करना है तो एक सही प्रोसेस होना चाहिए। आप कुछ कॉपीकैट सूट नहीं कर सकते, जो अचानक इस तरह से सामने आ जाएं।”

    हाईकोर्ट ने CPC के ऑर्डर 1 रूल 8 के तहत प्लेनटिफ द्वारा सूट नंबर 17 में फाइल की गई एप्लीकेशन को इस तरह से मंज़ूरी दी कि “प्लेनटिफ को भगवान श्री कृष्ण के सभी भक्तों की तरफ से और उनके फायदे के लिए रिप्रेजेंटेटिव कैपेसिटी में केस करने की इजाज़त है…” हाईकोर्ट ने यह भी ऑर्डर दिया कि सूट में डिफेंडेंट्स को मुस्लिम कम्युनिटी के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर माना जाएगा।

    दीवान ने कहा कि हाई कोर्ट एप्लीकेशन से बहुत आगे निकल गया। उन्होंने कहा कि सूट नंबर 17 में एप्लीकेशन में सिर्फ़ डिफेंडेंट्स को मुस्लिम कम्युनिटी के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर मानने की इजाज़त मांगी गई। फिर भी हाईकोर्ट ने सूट 17 में प्लेनटिफ्स को भगवान कृष्ण के भक्तों की तरफ से भी रिप्रेजेंटेटिव प्लेनटिफ के तौर पर काम करने की इजाज़त दी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह कंसोलिडेटेड मामलों में दूसरे प्लेनटिफ्स को कोई नोटिस दिए बिना किया गया।

    दीवान ने बताया कि हाईकोर्ट ने एप्लीकेशन में प्रेयर क्लॉज़ को “सही शब्दों में नहीं लिखा गया” बताया और प्लीडिंग्स से प्लेनटिफ्स के इरादे का मतलब निकाला। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सूट को प्लेनटिफ्स के लिए एक रिप्रेजेंटेटिव एक्शन माना था, भले ही एप्लीकेशन में ऐसी कोई प्रेयर नहीं थी।

    उन्होंने तर्क दिया कि सूट नंबर 17 को प्लेनटिफ साइड पर किसी और को सुने बिना एक रिप्रेजेंटेटिव रोल दिया गया। उन्होंने साफ़ किया कि वह यह तर्क नहीं दे रहे थे कि हाईकोर्ट के पास ऑर्डर 1 रूल 8(1)(b) CPC के तहत राहत को मॉडिफाई करने का अधिकार नहीं है, बल्कि यह कि प्रोसीजर को फॉलो नहीं किया गया।

    उन्होंने कहा,

    “हाईकोर्ट यह भी मान रहा है कि यह सिर्फ़ डिफेंडेंट का एक्शन है, डिफेंडेंट का रिप्रेजेंटेटिव सूट है। फिर फ़ाइनल ऑपरेटिव पार्ट में इसे प्लेनटिफ़ और डिफेंडेंट दोनों में बदल देता है। मैं यह नहीं कह रहा कि कोर्ट के पास ऐसा करने की पावर नहीं है। हो सकता है कि उसके पास ऐसा करने की पावर हो, मुझे लगता है कि मेरी समझ से है, लेकिन फिर एक प्रोसेस फॉलो करना होता है।”

    दीवान ने कहा कि अगर किसी सूट को प्लेनटिफ़ की तरफ़ से रिप्रेजेंटेटिव सूट माना जाना था तो ऐसा सूट नंबर 17 को दूसरे सूट के साथ रखने, सभी प्लेनटिफ़ को सुनने और यह तय करने के बाद ही किया जाना चाहिए था कि किस सूट को रिप्रेजेंटेटिव माना जाना चाहिए।

    दीवान ने कहा,

    “इस प्रोसेस में निश्चित रूप से सूट नंबर 17 को दूसरों के साथ रखना, उन सभी प्लेनटिफ़ को सुनना और फिर यह तय करना शामिल होगा कि इसे बनाने के लिए कौन सा केस सही होगा, इसे प्लेनटिफ़ साइड पर ऑर्डर 1 रूल 8 बनाना, और फिर, बेशक, डिफेंडेंट साइड पर।”

    सूट नंबर 17 में प्लेनटिफ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गुरु कृष्ण कुमार ने कहा कि जब सभी एक ही वजह से केस लड़ रहे हैं तो पिटीशनर्स को इस मुद्दे पर उनसे बहस नहीं करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हाईकोर्ट ने सभी प्लेनटिफ को एप्लीकेशन पर जवाब देने का मौका दिया था। कृष्ण कुमार के साथ सीनियर एडवोकेट दामा शेषाद्रि नायडू भी पेश हुए।

    सुनवाई अगले सोमवार को भी जारी रहेगी।

    Case Title – Bhagwan Shrikrishna Virajman v. Anjuman Islamia, Committee of Shahi Masjid Idgah

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