NIA पर ड्रग मामले को पहलगाम हमले से जोड़ने के बाद बच्चों को धमकाने का आरोप; सुप्रीम कोर्ट ने कहा- परिवार को परेशान नहीं होना चाहिए
Shahadat
24 April 2025 10:33 AM

जमानत मामले के संबंध में NIA ने शुक्रवार को ड्रग की आय को आतंकवाद के वित्तपोषण से जोड़ा और हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले की त्रासदी का हवाला दिया। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में "आतंकवादियों के बच्चे" कहकर धमकाया गया, क्योंकि उन्होंने टिप्पणी की थी और उन्हें वापस लाना पड़ा।
इस मामले का उल्लेख जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट आर्यमा सुंदरम ने किया, जिन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इस मामले को "राष्ट्रीय जांच एजेंसी का मामला" कहा, भले ही इसकी जांच NIA द्वारा नहीं की गई और कथित ड्रग आय को आतंकवाद के वित्तपोषण से जोड़ा।
रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता की जमानत का विरोध करते हुए एएसजी भाटी ने कल तर्क दिया कि 21,000 करोड़ रुपये की कीमत की 3,000 किलोग्राम हेरोइन की जब्ती लश्कर की नार्को-तस्करी रणनीति का हिस्सा थी।
उन्होंने कहा,
"देखिए, पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को गोली मारकर उन्होंने भारत के साथ क्या किया।"
NIA के अनुसार, यह मामला "अवैध साधनों के माध्यम से भारत में लाए जा रहे नार्को-पदार्थ की सबसे बड़ी खेप से संबंधित है, जिसका उपयोग न केवल जनता के बीच तबाही मचाने के लिए किया जाना था, बल्कि बिक्री की आय का उपयोग आतंकवाद को निधि देने के लिए भी किया जाना था"।
सुंदरम ने आरोप लगाया कि इस "इप्से दीक्षित" बयान के कारण याचिकाकर्ता के परिवार को धमकी भरे कॉल आए, इतना कि उसके बच्चों को स्कूल से वापस लाना पड़ा। सीनियर वकील ने अदालत से यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि इस मामले का आतंकवादी हमले से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा,
"यह सब कोर्ट में कही गई बातों के कारण है, यह NIA का मामला है। NIA ने जांच भी नहीं की। सभी को पता होना चाहिए कि टिप्पणियां निर्दोष लोगों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।"
जवाब में जस्टिस कांत ने कहा कि एएसजी एक अलग संदर्भ में बहस कर रहे थे और उन्होंने आश्वासन दिया कि कोर्ट मीडिया रिपोर्टों से प्रभावित नहीं होगा। मामले का फैसला इस आधार पर किया जाएगा कि क्या तर्क दिया गया है और रिकॉर्ड में क्या है।
आगे कहा गया,
"मैंने इस तरह की खबरें कभी नहीं पढ़ीं। मैं कभी भी खुद को किसी बाहरी कारण से प्रभावित नहीं होने देता, चाहे वह समाचार आइटम हो या कुछ और... बस इसे भूल जाइए। बेहतर है कि इसे न पढ़ें। ये सब धारणाएं हैं, कभी सही, कभी गलत।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुरू में कहा कि एएसजी ने माफी मांग ली। उन्होंने यह भी कहा कि जांच से पता चला है कि ड्रग की आय लश्कर को गई। इस दलील पर आपत्ति जताते हुए सुंदरम ने कहा कि दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
उन्होंने कहा,
"कागज का एक टुकड़ा दें, जो आपने कोर्ट में पेश किया हो, जिसमें यह कहा गया हो।"
स्थिति को शांत करते हुए जस्टिस कांत ने कहा कि एएसजी ने वास्तव में इन आधारों पर जमानत का विरोध नहीं किया।
न्यायालय ने कहा,
"यह ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए। इसलिए अनावश्यक रूप से इस पर बहस न करें। कभी-कभी लोग मामलों पर बहस करते समय भावनाओं में बह जाते हैं। यह दोनों पक्षकारों में होता है।"
बाद में एएसजी भाटी पेश हुए और उन्होंने कहा,
"बच्चों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। अगर यही मुद्दा है तो पुलिस इसका ध्यान रखेगी।"
न्यायालय ने मामले को अलग करते हुए जस्टिस कांत की टिप्पणी के साथ कहा,
"किसी भी व्यक्ति के परिवार के किसी भी सदस्य को, जिसने कुछ किया हो या नहीं किया हो, उसके कारण तकलीफ नहीं होनी चाहिए। उस हिस्से का ध्यान रखें। हम वास्तव में कुछ नहीं कहना चाहते। आप अच्छी तरह जानते हैं कि क्या करना है।"
केस टाइटल: हरप्रीत सिंह तलवार @ कबीर तलवार बनाम गुजरात राज्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 8878/2024