वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, कहा- 'मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आशंकाएं वास्तविक'

Shahadat

20 May 2025 9:44 AM IST

  • वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार, कहा- मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आशंकाएं वास्तविक

    केरल राज्य ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाले मामलों में हस्तक्षेप की मांग की।

    राज्य का तर्क है कि 2025 का संशोधन मूल अधिनियम यानी वक्फ अधिनियम, 1995 के दायरे से भटक गया है। इसमें आगे कहा गया कि वक्फ संपत्ति रखने वाली इसकी मुस्लिम आबादी को "वास्तविक आशंका" है कि संशोधन संविधान के तहत उनके मौलिक अधिकारों को प्रभावित करेगा और उनकी वक्फ संपत्तियों की प्रकृति को नकार देगा/बदल देगा।

    याचिका में कहा गया,

    "राज्य को लगता है कि केरल में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की यह आशंका वास्तविक है कि धार्मिक मामलों, वक्फ और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के अधिकार के मामले में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। संशोधन अधिनियम के कई प्रावधान अत्यधिक अन्यायपूर्ण हैं और संवैधानिक वैधता संदिग्ध है।"

    राज्य द्वारा उठाए गए कुछ अन्य तर्क इस प्रकार हैं:

    - "एक बार वक्फ हमेशा वक्फ" एक स्थापित सिद्धांत है। किसी भी रूप में बनाए गए वक्फ को मूल अधिनियम के दायरे से बाहर करके अस्थिर नहीं होने दिया जा सकता [संदर्भ: 2025 अधिनियम की धारा 2]।

    - वर्तमान संशोधन के अनुसार, वक्फ बनाने के उद्देश्य से किसी व्यक्ति को अन्य बातों के साथ-साथ यह दिखाना चाहिए कि वह कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा है। हालांकि, राज्य और उसके अधिकारियों के लिए यह जाँचना संभव नहीं है कि कोई व्यक्ति इस्लाम का पालन कर रहा है या नहीं [संदर्भ: 2025 अधिनियम की धारा 3(आर)]।

    - धारा 3सी(1) कई राज्य विषयों पर अतिक्रमण करती है, जिन पर राज्यों के पास विशेष विधायी शक्ति है जैसे सूची II की प्रविष्टियां 18, 35, 45, 64, 65।

    - वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के पीछे कोई तर्क नहीं है। गैर-मुस्लिमों को इस तरह शामिल करना संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन है। "अधिनियम की संशोधित धारा 14 के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के सदस्य बोर्ड में अल्पसंख्यक होंगे।"

    राज्य का आवेदन एओआर सीके शशि के माध्यम से दायर किया गया।

    17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों पर कार्रवाई न करने के केंद्र के वचन को दर्ज करते हुए राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को अपने जवाब दाखिल करने की अनुमति दी।

    सात राज्यों - असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र - ने 2025 संशोधन अधिनियम का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप आवेदन दायर किए।

    केरल राज्य वक्फ बोर्ड भी वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 का विरोध करते हुए न्यायालय के समक्ष है। इसका तर्क है कि यह कानून असंवैधानिक है, क्योंकि यह "धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को नष्ट करता है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।"

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ अंतरिम आदेशों पर विचार करने के लिए कल मामले की सुनवाई करेगी।

    केस टाइटल: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025(1) के संबंध में | डब्लू.पी.(सी) संख्या 269/2025 (और संबंधित मामले)

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