कर्नाटक में बीफ बैन: 13 वर्ष से अधिक उम्र की भैंस को छोड़कर सभी मवेशियों को काटने पर लगा प्रतिबंध

LiveLaw News Network

10 Dec 2020 2:25 PM IST

  • कर्नाटक में बीफ बैन: 13 वर्ष से अधिक उम्र की भैंस को छोड़कर सभी मवेशियों को काटने पर लगा प्रतिबंध

    कर्नाटक विधानसभा ने बुधवार को एक विधेयक पारित किया, जिसके तहत 13 वर्ष से अधिक उम्र की भैंस को छोड़कर सभी मवेशियों को काटने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

    बिल में "मवेशी" को "गाय, बछड़े, बैल और सांड़ या 13 वर्ष से कम उम्र की भैंस" के रूप में परिभाषित किया गया है। "बीफ़" को "मवेशियों के किसी भी प्रकार के मांस" के रूप में परिभाषित किया गया है।

    कर्नाटक प्र‌िवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल बिल, 2020 के तहत मवेशियों के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।

    बिल के सेक्‍शन 4 में कहा गया है, "किसी भी विपरीत कानून, प्रथा या उपयोग के बावजूद, कोई भी व्यक्ति किसी भी मवेशी का न वध करेगा, न वध करवाएगा, न ही वध करने का प्रस्ताव देगा और न ही वध करने के लिए प्रस्ताव द‌िलवाएगा, या न जानबूझकर मारेगा या मारने का प्रस्ताव देगा या मरवाने का प्रस्ताव दिलवाएगा।"

    कई राज्यों में गोहत्या के खिलाफ कानून हैं, हालांकि उनमें से ज्यादातर में भैंस को प्रतिबंध से बाहर रखा गया है। कर्नाटक ने 13 साल से कम उम्र की भैंसों को शामिल करके प्रतिबंध के दायरे को बढ़ा दिया गया है।

    बिल के तहत गोकशी के उद्देश्य से राज्य के भीतर या बाहर मवेशियों के परिवहन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। विधेयक में यह भी कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को वध के लिए किसी भी मवेशी को खरीदने, बेचने या अन्यथा निस्तारित करने या ऐसा करने की पेशकश नहीं करनी चाहिए..

    उप-निरीक्षक के पद से ऊपर का पुलिस अधिकारी, यदि उसके पास "विश्वास करने का कारण" है कि इस अधिनियम के तहत अपराध किया गया है, तो वह किसी भी परिसर का निरीक्षण कर सकता है और तलाशी ले सकता है।

    विधेयक के अनुसार, जब्त किए गए मवेशियों को राज्य द्वारा संचालित संगठनों को देखभाल के लिए सौंप दिया जाएगा। बिल के तहत गोवध का अपराध संज्ञेय हैं और उल्लंघन करने पर तीन से पांच साल की कैद और 50,000 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। दोषी सिद्ध होने पर मवेशियों, वाहनों, सामग्रियों और परिसरों को जब्त करने का भी प्रावधान है।

    2020 विधेयक के तहत 13 वर्ष की अधिक उम्र के भैंस को दी गई छूट गई है, जिसकी आयु एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित हो, साथ ही चिकित्सा अनुसंधान में उपयोग किए पशु, किसी बिमारी से ग्रस्त ऐसे पशु, जिन्हें बिमारी का प्रसार रोकने के लिए मारना आवश्यक है, और यह पशु चिकित्सक द्वारा प्रमाणित किया गया हो, को बिल के तहत वध की छूट दी गई है।

    इस विधेयक ने कर्नाटक गोहत्या एवं मवेशी संरक्षण अधिनियम 1964 को भी रद्द किया है। 1964 के कानून के तहत, बैल या भैंसे का वध सक्षम प्राधिकारी से प्रमाणन के साथ स्वीकार्य था क्योंकि प्रतिबंध केवल "गाय, बछड़े और भैंस" के वध पर ‌था।

    कांग्रेस और जद (एस) वॉकआउट के बीच यह बिल कल विधानसभा में पारित हुआ। पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने कहा कि मवेशियों के संरक्षण के लिए नया कानून आवश्यक है।

    विधेयक का विरोध करते हुए, विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ट्वीट किया कि "सरकार अपनी नाकामियों को ढंकने की कोशिश कर रही है और गौहत्या विरोधी बिल जैसे मुद्दों को उठाकर लोगों को गुमराह कर रही है"।

    विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा गया है।

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