कांचा गच्‍चीबावली | आईटी साइट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसमें पर्यावरण हितों के साथ संतुलन हो: तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

Avanish Pathak

13 Aug 2025 3:48 PM IST

  • कांचा गच्‍चीबावली | आईटी साइट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं, जिसमें पर्यावरण हितों के साथ संतुलन हो: तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    सुप्रीम कोर्ट बुधवार (13 अगस्त) को कांचा गच्चीबावली वनों की कटाई मामले की सुनवाई की, जिस दरमियान तेलंगाना सरकार ने कोर्ट को बताया कि सतत विकास को ध्यान में रखते हुए अपने आईटी स्थल के लिए एक बेहतर प्रस्ताव लाने की योजना बना रही है।

    चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ हैदराबाद के बाहरी इलाके कांचा गच्चीबावली क्षेत्र में तेलंगाना सरकार की ओर से 1,000 पेड़ों की कटाई के स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

    राज्य की ओर से सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक बेहतर क्रियान्वयन योजना बनाने पर विचार कर रही है।

    "अब हम एक बहुत बड़ी योजना पर विचार कर रहे हैं, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वन्यजीव, जंगल, झील-"

    सीजेआई ने बीच में ही कहा, "कोई अच्छा प्रस्ताव लेकर आओ!"

    उन्होंने आगे कहा, "अगर आप कोई अच्छा प्रस्ताव लेकर आते हैं, तो हम पहले के सभी कॉ‌‌म्प्लिमेंट्स वापस ले लेंगे और आपको असली कॉ‌‌म्प्लिमेंट्स देंगे।"

    इससे पहले, अदालत ने राज्य के अधिकारियों को अवमानना की कार्यवाही और अस्थायी कारावास की चेतावनी दी थी, क्योंकि उसने कहा था कि लंबे सप्ताहांत का दुरुपयोग इस क्षेत्र में बुलडोज़र चलाने के लिए किया गया था।

    सीजेआई ने ज़ोर देकर कहा कि अदालत का ध्यान केवल उन सभी पेड़ों के बदले में पुनः पेड़ लगाने जैसे पर्याप्त प्रतिपूरक उपायों पर है, जिन्हें उखाड़ दिया गया था।

    राज्य को 6 हफ़्ते का समय देने पर सहमति जताते हुए, पीठ ने निम्नलिखित आदेश दर्ज किया,

    "राज्य की ओर से श्री एएम सिंघवी ने कहा कि राज्य पूरे मामले को समग्र रूप से देख रहा है, जिसमें पर्यावरण और वन्यजीवों के हितों को विकास के साथ संतुलित करने का प्रयास किया जाएगा।

    अगर राज्य ऐसा रुख़ अपनाता है, तो हम इसकी सराहना करते हैं। हमने बार-बार कहा है कि हम विकास के ख़िलाफ़ नहीं हैं। हालांकि, विकास सतत विकास होना चाहिए। विकासात्मक गतिविधियां करते समय, पर्यावरण और वन्यजीवों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि क्षति-निवारक और प्रतिपूरक उपाय किए जाएं। यदि राज्य ऐसा कोई प्रस्ताव लेकर आता है, तो हम उसका स्वागत करेंगे।"

    पृष्ठभूमि

    यह मुद्दा तेलंगाना राज्य औद्योगिक अवसंरचना निगम (TSIIC) की ओर से जारी एक सरकारी आदेश से पैदा हुआ है, जिसमें कांचा गच्चीबावली वन क्षेत्र में 400 एकड़ हरित भूमि को आईटी अवसंरचना स्थापित करने के लिए हस्तांतरित करने का अनुरोध किया गया है।

    2 अप्रैल को, तेलंगाना हाईकोर्ट ने 3 अप्रैल तक, जब इस मामले की सुनवाई होनी थी, संबंधित भूमि पर पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। 7 अप्रैल को, हाईकोर्ट ने इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई 24 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी, यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार कर रहा है।

    दावों के अनुसार, TSIIC ने 2012 में भूमि का अधिग्रहण किया और आईटी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भूमि हस्तांतरित करने के इरादे से 2024 में संबंधित आदेश जारी किया। इसी क्रम में, इसने भूमि पर पेड़ों की कटाई शुरू कर दी और हाल ही में, पेड़ों की कटाई की दर तेज़ हो गई। पेड़ों को काटने के लिए मौके पर बड़ी-बड़ी मशीनें लाई गईं, जिसके कारण हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएँ दायर की गईं।

    याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के दो निर्णयों, टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अशोक कुमार शर्मा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, की घोर अवहेलना कर रही है, जिनमें सभी राज्यों को वन के शब्दकोशीय अर्थ के अनुसार वन और वन जैसे क्षेत्रों की पहचान के लिए समितियाँ बनाने का निर्देश दिया गया था। उनका यह भी तर्क था कि ज़मीन की नीलामी एक आईटी पार्क स्थापित करने के लिए की जा रही थी, फिर भी ईआईए अधिसूचना, 2006 के अनुसार कोई पर्यावरणीय मूल्यांकन नहीं किया गया।

    दूसरी ओर, राज्य का बचाव यह था कि संबंधित भूमि "औद्योगिक भूमि" थी और याचिकाकर्ताओं के दावे गूगल इमेज पर आधारित थे। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का स्वतः संज्ञान लिया।

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