जस्टिस एसवीएन भट्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चंद्रबाबू नायडू की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
Sharafat
27 Sept 2023 3:33 PM IST
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एसवीएन भट्टी ने बुधवार (27 सितंबर) को आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू द्वारा राज्य में करोड़ों रुपये के स्किल डेवेलपमेंट घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी (जो आंध्र प्रदेश से हैं) की पीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया था। जैसे ही मामला उठाया गया जस्टिस खन्ना ने नायडू के वकील सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे से कहा, "मेरे भाई को मामले की सुनवाई के बारे में कुछ आपत्तियां हैं।"
साल्वे ने जवाब दिया, "हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। कृपया इसे जल्द से जल्द सूचीबद्ध करें।"
जस्टिस खन्ना ने तदनुसार मामले को ऐसी पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया, जिसमें जस्टिस भट्टी शामिल नहीं हों। उन्होंने कहा,
"माननीय मुख्य न्यायाधीश के आदेशों के अधीन वर्तमान विशेष अनुमति याचिका उस पीठ के समक्ष रखी जाएगी जिसका हममें से एक मेरा भाई, सदस्य नहीं हो।"
नायडू ने एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पिछले सप्ताह दिए गए उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री को स्किल डेवलपमेंट घोटाले के आरोपियों में से एक के रूप में दोषी ठहराने वाली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। नायडू को इस मामले के सिलसिले में 9 सितंबर को राज्य के अपराध जांच विभाग ने गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं।
केस की पृष्ठभूमि
तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू को राज्य में स्किल डेवलपमेंट घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है, राज्य अपराध जांच विभाग ने दावा किया है कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रथम दृष्टया सबूत हैं। 2014 और 2019 के बीच टीडीपी के शासन के दौरान फर्जी कंपनियों के माध्यम से आंध्र प्रदेश स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से लगभग 371 करोड़ रुपये के कथित गबन का आरोप है। वह स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले से संबंधित 2021 की एफआईआर में 37वें आरोपी हैं।
विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी के नेता को आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 9 सितंबर को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं। इसके बाद, विजयवाड़ा की एक अदालत ने नायडू को 23 और 24 सितंबर के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया। रविवार को नायडू की न्यायिक हिरासत 5 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई।
पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने की नायडू की याचिका खारिज कर दी थी ।
जस्टिस के. श्रीनिवास रेड्डी ने कहा था कि नायडू पर मुकदमा चलाने के लिए किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सार्वजनिक धन का उपयोग "सत्ता के रंग के तहत लेकिन वास्तव में अपने लाभ के लिए" को उनके आधिकारिक कार्यों के निर्वहन में किया गया कार्य नहीं माना जा सकता।
नायडू ने दावा किया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी अभियोजन पक्ष को भ्रष्टाचार निवारण की धारा 17ए के तहत मिली थी। यह भी प्रस्तुत किया गया कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि विचाराधीन प्रोजेक्ट चालू था और यह नहीं कहा जा सकता था कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया।
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए टीडीपी नेता ने एक विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
मामले का विवरण
नारा चंद्रबाबू नायडू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) नंबर 12289/2023