जस्टिस बीआर गवई ने महाराष्ट्र सरकार की जांच के खिलाफ परम बीर सिंह की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

LiveLaw News Network

18 May 2021 8:26 AM GMT

  • जस्टिस बीआर गवई ने महाराष्ट्र सरकार की जांच के खिलाफ परम बीर सिंह की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई ने मुंबई के निष्कासित पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

    याचिका को आज न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

    जब मामले की सुनवाई की गई तो न्यायमूर्ति सरन ने परम बीर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली से कहा कि,

    ''उनके भाई जज को मामले की सुनवाई करने में दिक्कत हो रही है।''

    न्यायमूर्ति गवई, जिनका मूल उच्च न्यायालय बॉम्बे उच्च न्यायालय है, ने वकील से कहा,

    "मैं इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता।"

    पीठ ने मामले को उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जिसमें न्यायमूर्ति गवई सदस्य नहीं हों।

    अपनी याचिका में, सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के जांच अधिकारी उन्हें झूठे मामलों की धमकी दे रहे हैं, जब तक कि उनके द्वारा पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ की गई शिकायत - जिसकी सीबीआई द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार जांच की जा रही है- वापस ना ले लें। मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी का कहना है कि उन्होंने सीबीआई को उन्हें धमकी देने वाले जांच अधिकारी से कथित फोन कॉल वार्तालापों के टेप पेश किए हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर रिट याचिका में, सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के जांच अधिकारी द्वारा की गई कथित धमकियों के खिलाफ दिए गए उनके प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की प्रार्थना की है।

    सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के तहत जांच पर अविश्वास व्यक्त करते हुए पहले से शुरू की गई सभी विभागीय जांच को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की मांग की है।

    इसके अलावा, उन्होंने किसी भी दंडात्मक अभियोजन के लिए पहले से शुरू की गई या विचाराधीन जांच को सीबीआई जैसी एक स्वतंत्र एजेंसी को स्थानांतरित करने की मांग भी की है।

    सिंह, जिन्हें इस साल 17 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से होमगार्ड विभाग में स्थानांतरित किया गया था, ने देशमुख पर भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सरकार को एक पत्र लिखा था।

    20 मार्च के पत्र में आरोप लगाया गया कि देशमुख ने फरवरी में निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे सहित अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और प्रति माह 100 करोड़ रुपये की वसूली के लिए कहा।

    सिंह समेत अन्य कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने 5 अप्रैल को सिंह के पत्र में लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को निर्देश जारी किया था। इन निर्देशों का पालन करते हुए देशमुख ने राज्य के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

    1 अप्रैल को, महाराष्ट्र सरकार ने डीजीपी संजय पांडे को अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों के कथित उल्लंघन के लिए सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया। महाराष्ट्र पुलिस ने भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक प्राथमिकी दर्ज की है।

    सिंह ने प्राथमिकी और विभागीय जांच को चुनौती देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। हाईकोर्ट के समक्ष महाराष्ट्र पुलिस ने 20 मई तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का वादा किया है।

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