दिल्ली के स्मॉग का हवाला देते हुए जस्टिस भूइयां ने चेताया: बाद में दी जाने वाली पर्यावरण मंजूरी स्वीकार नहीं, कोर्ट पीछे नहीं हट सकती
Praveen Mishra
18 Nov 2025 4:32 PM IST

पर्यावरण नियमों में ढील का विरोध: जस्टिस भूइयाँ ने वैनाशक्ति फैसले की समीक्षा पर कड़ा असहमति मत जताया
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्जल भूइयाँ ने वैनाशक्ति फैसले की समीक्षा के खिलाफ कड़े शब्दों में असहमति जताते हुए कहा कि दिल्ली का खतरनाक स्मॉग याद दिलाता है कि पर्यावरण कानूनों को कमजोर नहीं किया जा सकता। उनका मत था कि पर्यावरण मंजूरी (EC) हमेशा पहले लेनी चाहिए, और बाद में दी गई मंजूरी (post-facto EC) पूरी तरह अवैध है।
बहुमत ने कुछ स्थितियों में बाद में मंजूरी की अनुमति देने का रास्ता खोला है, लेकिन जस्टिस भूइयाँ ने कहा कि यह देश में बने मजबूत पर्यावरण कानूनों से “पीछे हटने” जैसा होगा। उन्होंने दो पुराने निर्णायक फैसलों—Common Cause (2017) और Alembic (2020)—का हवाला दिया, जिनमें साफ कहा गया था कि पोस्ट-फैक्टो EC का कोई अस्तित्व नहीं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2021 का सरकारी आदेश, जो पुराने उल्लंघनों को नियमित करने की कोशिश करता है, अवैध है और 2017 की एक-बार की राहत नीति के विरुद्ध है।
जस्टिस भूइयाँ ने यह भी कहा कि नियम तोड़कर निर्माण करने वाले यह तर्क नहीं दे सकते कि इमारत गिराने से प्रदूषण होगा—कानून का पालन पहले करना चाहिए था।
अंत में, उन्होंने लिखा कि पर्यावरण संरक्षण में पीछे हटना देश और दुनिया दोनों के पर्यावरण सिद्धांतों के खिलाफ है और समीक्षा याचिकाएँ खारिज होनी चाहिए थीं।

