जस्टिस ए.एम. सप्रे ने 20 लाख रुपये फीस लेने से किया इनकार, चाय बागान मजदूरों की विधवाओं को दी जाएगी राशि
Shahadat
24 April 2025 4:47 AM

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (23 अप्रैल) को तमिलनाडु, केरल और असम राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऐसे मामलों की पहचान करें, जहां मृतक चाय मजदूरों की विधवाएं गंभीर कठिनाइयों का सामना कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें वह राशि वितरित की जाएगी, जो रिटायर सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति ए.एम. सप्रे को दी जानी थी।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह निर्देश तब दिया। खंडपीठ ने यह निर्देश उस वक्त दिया जब उन्हें बताया गया कि जस्टिस सप्रे ने चाय बागान मजदूरों को लंबित बकाया राशि का वितरण सुनिश्चित करने के लिए अपने काम के लिए 20 लाख रुपये का पारिश्रमिक लेने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,
"इस न्यायालय के रिटायर जज जस्टिस ए.एम. सप्रे ने इस मामले में शामिल कारणों पर विचार करते हुए न्यायालय द्वारा निर्देशित राशि स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त की। हम माननीय रिटायर जज की ओर से इस कदम की सराहना करते हैं। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। हम संबंधित राज्य सरकारों को कुछ ऐसे मामलों की पहचान करने का निर्देश देते हैं, जहां श्रमिक की मृत्यु हो गई है और उनकी विधवा को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एमिक्स क्यूरी की सहायता से तमिलनाडु, असम और केरल राज्य योग्य मामलों की पहचान करेंगे। हमारे आदेश के अनुसार माननीय जस्टिस सप्रे को दी जाने वाली राशि का भुगतान करेंगे।"
17 अप्रैल, 2025 को न्यायालय ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम राज्यों को जस्टिस सप्रे को उनके प्रयासों के लिए एकमुश्त पारिश्रमिक के रूप में 5,00,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने कहा कि जस्टिस सप्रे के प्रयासों के कारण तीन राज्यों में चाय बागान श्रमिकों को उनकी बकाया राशि मिलनी शुरू हो गई।
बुधवार को एमिक्स क्यूरी सीनियर एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने न्यायालय को सूचित किया कि जस्टिस सप्रे ने पारिश्रमिक स्वीकार करने से इनकार कर दिया। वह चाहते हैं कि यह धनराशि मृतक श्रमिकों की विधवाओं को मिले। अग्रवाल ने कहा कि असम, केरल तथा तमिलनाडु में श्रमिकों के बकाये का परिमाणीकरण किया जा चुका है तथा विधवाओं को जस्टिस सप्रे को इन राज्यों द्वारा दी जाने वाली राशि से कुछ अतिरिक्त धनराशि मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि वे श्रम आयुक्तों को पत्र लिखकर उन विधवाओं के मामलों की पहचान करेंगे, जिन्हें वास्तव में आवश्यकता है। उन्होंने बालिकाओं वाले परिवारों का उदाहरण दिया।
जस्टिस ओक ने कहा कि कुछ गंभीर मामलों की पहचान की जा सकती है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जैसे ही पश्चिम बंगाल के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, अन्य तीन राज्यों के समान ही कार्यवाही की जाएगी।
न्यायालय ने जस्टिस सप्रे के इस कदम तथा चाय बागानों में काम करने वाले गरीब श्रमिकों के लिए उनके द्वारा की गई सेवाओं की सराहना की।
केस टाइटल- अंतर्राष्ट्रीय खाद्य कृषि संघ एवं अन्य बनाम भारत संघ