'बार का अनुभव नहीं होने के कारण न्यायिक अधिकारी ज्यादातर मामलों में अक्षम पाए जाते हैं': न्यायिक सेवा में अनिवार्य व्यावहारिक अनुभव के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाख‌िल करेगी बीसीआई

LiveLaw News Network

3 Jan 2021 10:03 AM GMT

  • बार का अनुभव नहीं होने के कारण न्यायिक अधिकारी ज्यादातर मामलों में अक्षम पाए जाते हैं: न्यायिक सेवा में अनिवार्य व्यावहारिक अनुभव के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाख‌िल करेगी बीसीआई

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करेगी, जिसमें उस आदेश को संशोधित करने की मांग की जाएगी, जिसके तहत नए लॉ ग्रेजुएट को न्यायिक अधिकारी बनने की अनुमति दी गई थी। बीसीआई की ओर से जारी विज्ञप्त‌ि में कहा गया है कि बीसीआई और स्टेट बार काउंसिल न्यायिक सेवा परीक्षा में बैठने की योग्यता के रूप में बार में 3 साल के न्यूनतम अनुभव के पक्ष में दृढ़ता से है।

    विज्ञप्ति में कहा गया है, "न्यायिक अधिकारियों को बार में व्यावहारिक अनुभव नहीं होने के कारण ज्यादातर मामलों को संभालने में अक्षम और अकुशल पाया जाता है"।

    बीसीआई ने कहा कि ऐसे न्यायिक अधिकारियों के पास अधिवक्ताओं और वादियों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को समझने का अनुभव नहीं होता है। इस प्रकार के अधिकांश अधिकारी बार के सदस्यों और वादियों के साथ अपने व्यवहार में अयोग्य और अव्यवहारिक पाए जाते हैं।

    विज्ञप्‍ति में कहा गया है, "बार में अनुभवहीनता अधीनस्थ न्यायपालिका में मामलों के निस्तारण में विलंब के प्राथमिक और प्रमुख कारणों में से एक है। प्रशिक्षित और अनुभवी न्यायिक अधिकारी मामलों को बहुत तेजी से निपटा सकते हैं।"

    ऐसा कहते हुए, बीसीआई ने कहा कि वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2002 में ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के आदेश को संशोधित करने के लिए एक आवेदन दायर करेगा, जिसमें न्यायिक सेवा परीक्षाओं में बैठने के लिए बार में 3 साल के अनुभव की आवश्यकता को हटा दिया गया था।

    बीसीआई ने यह भी कहा कि वह आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा जारी अधिसूचना के ख‌िलाफ उच्चतम न्यायालय में दायर हालिया याचिका

    के मामले में भी एक अर्जी दाखिल करेगी, जिस मामले में सिविल जज के पदों के लिए आवेदन करने के लिए एक वकील के रूप में 3 साल की न्यूनतम प्रैक्टिस को सिविज जज, जूनियर डिवीजन के पद के लिए आवेदन करने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। उस मामले में याचिकाकर्ता रेगलगड्डा वेंकटेश ने 2007 के आंध्र प्रदेश राज्य न्यायिक सेवा नियम के नियम 5 (2) (ए) (i) को चुनौती दी है।

    पिछले हफ्ते जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अनिरुद्ध बोस की एक अवकाश पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया था, लेकिन नियम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। बीसीआई ने कहा कि वह उक्त मामले में अपना पक्ष रखने के लिए एक अर्जी दाखिल कर रहा है।



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