न्यायिक अधिकारियों ने वाहन लोन न देने का आरोप लगाते हुए अवमानना ​​याचिका दायर की; सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया

Shahadat

18 Sept 2025 10:03 AM IST

  • न्यायिक अधिकारियों ने वाहन लोन न देने का आरोप लगाते हुए अवमानना ​​याचिका दायर की; सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवमानना ​​याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें न्यायिक अधिकारियों के वाहन/परिवहन भत्ते के संबंध में द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) की सिफारिशों को स्वीकार करने और राज्य सरकारों को इसे लागू करने का निर्देश देने वाले अदात के आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया।

    चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन, जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा की दलील सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। मीनाक्षी अरोड़ा ने तर्क दिया कि इस मामले में अदालत द्वारा आगे के आदेश पारित किए जाने और अदालत के निर्देशों के अनुपालन के संबंध में संबंधित एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के बयान के बावजूद, दिल्ली सरकार आवश्यक कदम उठाने में विफल रही है।

    अदालत ने न्यायिक अधिकारियों (वाहन खरीदने के लिए) को 10 लाख रुपये तक की रियायती नाममात्र ऋण सुविधा प्रदान करने की SNJPC की सिफारिश का पालन न करने के आरोप पर विचार करते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव और वित्त सचिव को नोटिस जारी किया।

    मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को है।

    संक्षेप में मामला

    सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में देश भर के जिला न्यायपालिका से संबंधित न्यायिक अधिकारियों के वेतनमान और अन्य शर्तों की समीक्षा के लिए SNJPC का गठन किया।

    जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीवी रेड्डी को आयोग का अध्यक्ष और केरल हाईकोर्ट के पूर्व जज एवं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट आर बसंत को सदस्य नियुक्त किया था।

    जून, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने 1 जनवरी, 2016 से SNJPC द्वारा अनुशंसित बढ़े हुए वेतनमान को लागू करने का निर्देश दिया। पूर्व सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने केंद्र और राज्यों को अधिकारियों को 3 किस्तों में बकाया राशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया - 3 महीने में 25%, अगले 3 महीनों में 25% और शेष राशि 30 जून, 2023 तक। बकाया राशि के वितरण पर संशोधित निर्देश मई, 2023 में अदालत द्वारा पारित किए गए थे।

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