Jaipur Blasts 2008 : सुप्रीम कोर्ट ने घटना की तारीख पर एक आरोपी को किशोर घोषित करने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया
Shahadat
13 Dec 2023 10:20 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (08 दिसंबर को) ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। उक्त आदेश में घोषित किया गया कि 2008 जयपुर बम विस्फोट मामले में दोषियों में से एक घटना की तारीख पर किशोर था। ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने सेशन जज का आदेश रद्द कर दिया था और दोषी को किशोर घोषित करने के किशोर न्याय बोर्ड के फैसले की पुष्टि की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसे देखते हुए अपील खारिज कर दी गई।
13 मई 2008 को जयपुर में कई विस्फोट हुए, जिनमें 71 लोगों की मौत हो गई और 185 लोग घायल हो गए। इस साल मार्च में मोहम्मद सलमान नाम के आरोपी को हाईकोर्ट ने अपराध के समय किशोर पाया। इस आदेश के खिलाफ राजस्थान राज्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
अन्य फैसले में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा उनके खिलाफ सुनाई गई मौत की सजा को पलटते हुए सलमान और तीन अन्य को भी बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने मामले में पांचवें आरोपी को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश की भी पुष्टि की। गौरतलब है कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ राज्य और पीड़ितों द्वारा दायर की गई अलग-अलग अपीलें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।
सलमान ने अपनी उम्र के निर्धारण के लिए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आवेदन दायर किया। अदालत ने उसे 18 साल से अधिक उम्र का माना। सलमान की ओर से सेशन जज के समक्ष अपील दायर की गई, जिसने बदले में किशोर न्याय बोर्ड को उसी आवेदन पर फैसला करने का निर्देश दिया।
किशोर न्याय बोर्ड ने प्रासंगिक दस्तावेजों और सबूतों पर गौर करने के बाद निष्कर्ष निकाला कि कथित जयपुर विस्फोट की तारीख तक सलमान कानून का उल्लंघन करने वाला किशोर था। चुनौती दिये जाने पर सेशन जज ने इस आदेश को रद्द कर दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने आक्षेपित आदेश द्वारा बोर्ड के आदेश की पुष्टि की और आरोपी को किशोर घोषित कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"किशोर न्याय बोर्ड ने सलमान की उम्र निर्धारित करने और कथित घटना की तारीख पर उसे नाबालिग मानने में कोई अवैधता या त्रुटि नहीं की है।"
हाईकोर्ट ने बोर्ड के समक्ष रिकॉर्ड पर रखे गए सबूतों का हवाला देते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि सलमान की जन्मतिथि 09.02.1992 है। जिस स्कूल में वह पहली बार गया था, उसके रिकॉर्ड के अनुसार भी यही सच है।
कहा गया,
“उसी के अनुसार, एडमिशन फॉर्म और स्कूल छोड़ने के फॉर्म में सलमान की जन्म तिथि 09.02.1992 बताई गई है। इसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि उसने 02.07.1997 यानी 5 साल की उम्र में एडमिशन लिया और कक्षा-7 तक पढ़ाई की और 28.04.2004 को स्कूल छोड़ दिया।''
इसके अलावा हाईकोर्ट ने राज्य की ओर से पेश किए गए मेडिकल साक्ष्यों पर विचार नहीं किया। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट और पहली बार जिस स्कूल में एडमिशन लिया गया, उसमें उल्लिखित जन्मतिथि के दस्तावेज़ उपलब्ध हैं।
आगे कहा गया,
“एडिशनल एडवोकेट जनरल का यह तर्क कि मेडिकल साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि कथित बम विस्फोटों के समय सलमान की उम्र लगभग 19 वर्ष थी, इस एकमात्र कारण पर विचार नहीं किया जा सकता है कि मेडिकल साक्ष्यों पर केवल तभी गौर किया जा सकता है, जब मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट या पहली बार स्कूल में एडमिशन लेने या जन्मतिथि के संबंध में नगरपालिका सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं है, जैसा कि अश्वनी कुमार सक्सेना बनाम एमपीआई राज्य में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था।''
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने किशोर न्याय बोर्ड द्वारा पारित आदेश बरकरार रखा।
कोर्ट ने कहा,
"उसी के मद्देनजर, हमारा मानना है कि सेशन जज ने राज्य द्वारा दायर अपील की अनुमति देकर गंभीर अवैधता की है। इस प्रकार, हम सेशन जज द्वारा पारित आदेश और राज्य न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश रद्द करते हैं। किशोर न्याय बोर्ड ने इसे बरकरार रखा है। याचिकाकर्ता - सलमान को जयपुर बम विस्फोट की घटना की तारीख पर किशोर माना जाता है।''
केस टाइटल: राजस्थान राज्य बनाम मोहम्मद सलमान, डायरी नंबर. 25547/2023
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