"योग्यता की उपयुक्तता का निर्धारण नियोक्ता की जिम्मेदारी": सुप्रीम कोर्ट ने ओवर क्वालिफाइड कैंड‌िडेट को चपरासी की नौकरी के लिए अयोग्य ठहराया

LiveLaw News Network

4 Nov 2020 5:20 AM GMT

  • योग्यता की उपयुक्तता का निर्धारण नियोक्ता की जिम्मेदारी: सुप्रीम कोर्ट ने ओवर क्वालिफाइड कैंड‌िडेट को चपरासी की नौकरी के लिए अयोग्य ठहराया

    सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब नेशनल बैंक द्वारा एक उम्मीदवार की उम्मीदवारी को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है। पंजाब नेशनल बैंक ने उम्‍मीदवार को चपरासी के पद के लिए ओवर क्वालिफाइड बताते हुए उसे पद के लिए अयोग्य ठहराया था।

    जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने उड़ीसा हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उम्मीदवार को इस आधार पर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है कि उसकी योग्यता ज्यादा है। अदालत ने यह भी कहा कि ठोस सूचनाओं का छुपाना और गलत बयान देना सेवा में निरंतरता के संबंध में कर्मचारी के चरित्र और पिछले जीवन पर स्पष्ट प्रभाव डालता है।

    नौकरी के विज्ञापन में, बैंक ने उल्लेख किया था कि चपरासी के पद के लिए एक उम्मीदवार को स्नातक नहीं होना चाहिए, लेकिन अंग्रेजी पढ़ने/लिखने के बुनियादी ज्ञान के साथ 12 वीं या उसके समकक्ष कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। एक उम्मीदवार ने इस तथ्य को छुपाया कि वह स्नातक है और उसे चपरासी के पद पर नियुक्ति किया गया है। उसकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई क्योंकि बैंक ने पाया कि वह स्नातक था और उसे अधीनस्थ संवर्ग में बैंक में शामिल होने की अनुमति नहीं थी। इससे व्य‌थ‌ित होकर उसने रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने बैंक को निर्देश दिया कि वह उसे चपरासी के रूप में काम करने की अनुमति दे। हाईकोर्ट ने कहा कि एक उम्मीदवार को केवल इस आधार पर नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह उच्च योग्यता रखता है।

    बैंक द्वारा दायर अपील में, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने देखा कि पात्रता मानदंड / शैक्षिक योग्यता के अनुसार एक स्नातक आवेदन करने के लिए पात्र नहीं होगा, यह बैंक द्वारा लिया गया एक सचेत निर्णय था।

    अदालत ने कहा, "किसी पद के लिए योग्यता की प्रासंगिकता और उपयुक्तता क निर्धारित करना नियोक्ता की जिम्मेदारी है, न्यायालय का यह कार्य नहीं है। नियोक्ता द्वारा किसी भी पद के लिए योग्यता निर्धारित करने के लिए न्यायालयों द्वारा अधिक विस्तार की अनुमति है। इसके पीछे एक तर्क है। योग्यता किसी संस्थान या उद्योग या प्रतिष्ठान की आवश्यकता और रुचि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की जाती है, जैसा कि मामला हो सकता है। न्यायालय योग्यता की उपयोगिता का आकलन करने के लिए उपयुक्त उपकरण नहीं हैं। हालांकि,नियोक्ता भी पदों के लिए योग्यता निर्धारित करने में मनमाना या काल्पनिक कार्य नहीं कर सकता है।"

    अदालत ने उल्लेख किया, पात्रता मानदंड/ शैक्षिक योग्यता के अनुसार, उम्मीदवार विज्ञापन में वर्णित पात्रता मानदंड / शैक्षिक योग्यता के अनुसार पात्र नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि एक कर्मचारी से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी योग्यता की सही जानकारी दे।

    हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए पीठ ने कहा, "ठोस जानकारी को छुपाना और गलत बयान देने से सेवा में निरंतरता के संबंध में कर्मचारी के चरित्र और पिछले जीवन पर स्पष्ट असर पड़ता है। एक उम्मीदवार, ठोस जानकारी को छुपाकर और/ या गलत जानकारी देने से सेवा में निरंतरता का दावा नहीं कर सकता है। "

    केस: मुख्य प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक बनाम अनित कुमार दास [CIVIL APPEAL NO.3602 OF 2020]

    कोरम: जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह

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