कांग्रेस पार्टी को ITAT का झटका, ₹199.15 करोड़ की आयकर छूट की अपील खारिज
Shahadat
22 July 2025 4:41 PM IST

आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) की वह अपील खारिज की, जिसमें वर्ष 2018-19 के दौरान ₹199.15 करोड़ की आय पर आयकर छूट की मांग की गई थी।
ITAT ने कांग्रेस के छूट के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आयकर अधिनियम की धारा 13ए की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। ITAT ने कहा कि रिटर्न देर से दाखिल किए गए थे। छूट संबंधी खंड की सख्त व्याख्या की मांग करते हुए ITAT ने कहा कि "जैसे ही ऐसी "देय" तिथि का उल्लंघन होता है, धारा 13ए का तीसरा प्रावधान लागू हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित राजनीतिक दल को छूट से वंचित कर दिया जाता है।"
ITAT ने दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था,
"यदि कोई राजनीतिक दल अधिनियम की धारा 13ए की मूलभूत आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहता है तो उसे किसी भी उद्देश्य के लिए किए गए व्यय पर कोई कटौती नहीं दी जा सकती।"
छूट की "देय" तिथि 31 अक्टूबर, 2018 थी।
कांग्रेस पार्टी ने धारा 13ए के तहत 199,15,26,560/- रुपये की छूट का दावा करने के बाद 02.02.2019 को "शून्य" आय घोषित करते हुए अपना रिटर्न दाखिल किया। पार्टी ने तर्क दिया कि चूँकि रिटर्न 02.02.2019 को अधिनियम की धारा 139(4) के तहत रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31.03.2019 से काफी पहले दाखिल किया गया था, इसलिए की गई और बरकरार रखी गई अस्वीकृति कानून के अनुसार नहीं है।
ITAT ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि "देय तिथि" के बाद दाखिल किया गया रिटर्न स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सतबीर सिंह गोदारा (न्यायिक सदस्य) और एम. बालगणेश (लेखाकार सदस्य) की बेंच ने अपने आदेश में कहा:
"करदाता के इन सभी जोरदार तर्कों से हमारी सहमति नहीं मिलती। इसका सटीक कारण यह है कि जहां तक किसी राजकोषीय क़ानून में इस तरह के छूट प्रावधान की व्याख्या का संबंध है, न केवल करदाता के मामले में कर निर्धारण वर्ष 1994-95 के पैरा 95 में माननीय हाईकोर्ट के 23 मार्च, 2016 के निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि धारा 13ए का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए, बल्कि कमिश्नर बनाम दिलीप कुमार एंड कंपनी (2018) 9 एससीसी 1 (एससी) (एफबी) में माननीय सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय ने भी इस मुद्दे को सुलझा दिया कि यह उदार नहीं बल्कि केवल कर निर्धारण क़ानून में कठोर व्याख्या है, जिसका उपयोग छूट के दावे में किया जाना है। ऐसा होने पर और इस तथ्य के आलोक में कि धारा 139(4बी) में भी धारा 139(1) के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित तिथि अर्थात रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होने के बावजूद, हमारा यह सुविचारित मत है कि उपरोक्त पूर्व खंड वास्तव में इसमें आगे किसी भी प्रकार की उदारता को प्रतिबंधित करता है, क्योंकि इसमें स्पष्ट रूप से "देय" तिथि की अभिव्यक्ति शामिल है। इसलिए जैसे ही ऐसी "देय" तिथि का उल्लंघन होता है, धारा 13ए का तीसरा प्रावधान लागू हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित राजनीतिक दल को छूट से वंचित कर दिया जाता है। इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 02.02.2019 को दाखिल किया गया करदाता का रिटर्न विवादित छूट के लिए पात्र बनाने हेतु "देय" तिथि के भीतर नहीं है।
चूंकि रिटर्न विलंबित बताकर खारिज कर दिया गया था, इसलिए न्यायाधिकरण ने अन्य तर्कों पर विचार नहीं किया और कहा कि वे अब अतार्किक हो गए हैं।

