सुप्रीम कोर्ट ने CAPF में IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति घटाने के निर्देश पर पुनर्विचार याचिका खारिज की
Praveen Mishra
31 Oct 2025 3:59 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने 23 मई 2025 के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी, जिसमें यह माना गया था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) सभी कैडर से संबंधित मामलों में ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप-A सर्विसेज (OGAS) का हिस्सा हैं।
उस निर्णय में अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि प्रत्येक CAPF में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति वाले पदों की संख्या सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (SAG) स्तर तक धीरे-धीरे कम की जाए, ताकि CAPF अधिकारियों को पदोन्नति के बेहतर अवसर मिल सकें।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भूयान की खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए कहा—
“हमने पुनर्विचार याचिका की सामग्री और उससे संलग्न अभिलेखों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है और हमें लगता है कि 23.05.2025 के निर्णय की पुनर्समीक्षा के लिए कोई आधार नहीं बनता। अतः पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है।”
पुनर्विचार के लिए दायर निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी CAPFs का कैडर रिव्यू पूरा करे और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के 12 जुलाई 2019 के कार्यालय ज्ञापन के अनुरूप प्रत्येक बल के भर्ती नियमों में संशोधन करे, जिसमें CAPFs को OGAS के रूप में मान्यता दी गई थी।
अदालत ने स्पष्ट किया था कि CAPFs को केवल नॉन-फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन (NFFU) के लिए ही नहीं, बल्कि सभी कैडर से संबंधित मामलों के लिए OGAS माना जाना चाहिए।
अदालत ने आगे कहा था कि जब CAPFs को OGAS के रूप में मान्यता दी गई है, तो OGAS को मिलने वाले सभी लाभ स्वाभाविक रूप से CAPFs को भी मिलने चाहिए — “ऐसा नहीं हो सकता कि उन्हें एक लाभ दिया जाए और दूसरा रोका जाए।”
अदालत ने CAPF अधिकारियों की पदोन्नति में ठहराव और उच्च पदों पर IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति से उत्पन्न असंतोष को स्वीकार करते हुए कहा था कि यह स्थिति अधिकारियों के मनोबल को प्रभावित कर सकती है। इसलिए अदालत ने निर्देश दिया था कि SAG स्तर तक प्रतिनियुक्ति वाले पदों की संख्या दो वर्षों की अवधि में धीरे-धीरे घटाई जाए।
साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि 2021 में लंबित सभी CAPFs के कैडर रिव्यू को निर्णय की तारीख से छह महीने के भीतर पूरा किया जाए और गृह मंत्रालय प्रत्येक बल के सेवा एवं भर्ती नियमों की समीक्षा करे, जिसमें उनके कैडर अधिकारियों के प्रतिनिधियों से परामर्श किया जाए। DoPT को गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मिलने के तीन महीने के भीतर आवश्यक निर्णय लेने का निर्देश दिया गया था।
23 मई के निर्णय तक पहुंचने वाली अपीलें CRPF, BSF, ITBP, CISF और SSB के ग्रुप-A अधिकारियों द्वारा दायर की गई थीं, जिन्होंने अपनी सेवाओं को OGAS के रूप में मान्यता देने और संबंधित सेवा लाभ देने की मांग की थी। उनका कहना था कि लगभग 18,000 अधिकारी 2009 से इस मुद्दे पर मुकदमेबाजी कर रहे हैं, क्योंकि पदोन्नति में ठहराव और कैडर प्रबंधन में असमानता बनी हुई है।
केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि IPS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति राज्य पुलिस बलों के साथ परिचालन समन्वय के लिए आवश्यक है और सभी CAPFs में भर्ती नियमों की एकरूपता न तो उद्देश्य थी और न ही व्यवहारिक।

