शिक्षाविद देखें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड गोवा में कैसे काम करता हैः CJI बोबडे

LiveLaw News Network

28 March 2021 5:56 AM GMT

  • शिक्षाविद देखें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड गोवा में कैसे काम करता हैः CJI बोबडे

    CJI एसए बोबडे ने शनिवार को शिक्षाविदों से अनुरोध किया कि वे देखें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड गोवा निवासियों को, अलग-अलग धर्मों के बावजूद, शादी और उत्तराधिकार के मुद्दों पर कैसे नियंत्रित करता है।

    गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, CJI ने कहा कि गोवा में साढ़े चार शताब्दियों तक फैली न्याय प्रशासन की विरासत को स्वीकार किया जाना चाहिए।

    "गोवा के पास वह है, जिसकी संविधान निर्माताओं ने भारत के लिए परिकल्पना ‌की थी - एक समान नागरिक संहिता। और मुझे उस कोड के तहत न्याय प्रदान करने का महान विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है। मैंने यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में बहुत सारी अकादमिक बातें सुनी हैं। मैं सभी बुद्धिजीवियों से अनुरोध करूंगा कि वह यहां आएं और यह देखे कि न्याय प्रणाली क्या होती है।"

    जस्टिस बोबडे ने कहा कि वह गोवा में इतनी बार बैठे हैं कि उनसे अक्सर कहा जाता था, 'जस्टिस बोबडे गोवा के जज हैं।'

    उन्होंने बॉम्बे में हाईकोर्ट की नई बिल्‍डिंग की आवश्यकता पर जोर दिया।

    "कानून मंत्री के शब्दों का इस्तेमाल करते हुए करते हुए मैं 'फ्लैग करना चाहूंगा ... बॉम्बे को भी एक नई इमारत की जरूरत है। कानून मंत्री और जस्टिस रमना को याद होगा कि बॉम्बे हाईकोर्ट की इमारत का निर्माण 7 जजों के लिए किया गया था, जबकि अब उसमें 40 जज बैठते हैं। यह असंभव है।"

    उन्होंने कहा कि बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नई इमारत का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास लंबित है।

    "मैं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और जस्टिस रमना से इसे आगे बढ़ाने का अनुरोध करूंगा।"

    CJI ने कहा कि जजों का इस्तेमाल अब मामूली मुकदमेबाजी के लिए किया जाता है।

    "न्याय के प्रशासन को, जैसा कि श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, अक्सर कुछ निहित स्वार्थों के कारण कठिन बनाने की कोशिश की जाती है। लेकिन यह ऐसा कुछ है, जैसा कि हम जजों को आदत पड़ गई है।"

    CJI ने आगे कहा कि महामारी ने न्याय तक पहुंच पर कई सवाल खड़े किए हैं, लेकिन इसने कोर्ट रूम को आधुनिक बनाने का मार्ग भी प्रशस्त किया है।

    मध्ययुगीन गोवा में कानून के शासन के बारे में बोलते हुए, जस्टिस बोबडे ने कहा, "गोवा पर विजय पाने और शासन करने वाले सबसे महत्वपूर्ण शासक कदंब थे। 10 वीं से 14 वीं शताब्दी तक और प्राचीन हिंदू ग्रंथों के आधार पर न्यायिक व्यवस्था का संचालन किया। तब न्याय व्यवस्था का नेतृत्व धर्म अध्यक्ष द्वारा किया जाता था।"

    जस्टिस एनवी रमना ने न्याय तक पहुंच के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे के महत्व, खासकर जिला अदालतों में, पर जोर दिया।

    उन्होंने कहा, "हम सच्ची पहुंच का दावा तभी कर सकते हैं, जब अधिकतम वंचित व्यक्ति न्याय के दरवाजे पर दस्तक दे।"

    उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्यों को देश में न्यायिक अवसंरचना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निगम बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "ऐसा निगम न्यायिक अवसंरचना में क्रांति लाने के लिए आवश्यक एकरूपता और मानकीकरण लाएगा।"

    जस्टिस रमना ने महामारी में CJI बोबडे के किए प्रयासों की प्रशंसा की, जिसके कारण न्यायिक वितरण प्रणाली को आभासी सुनवाई के माध्यम से जीवित रखा जा सका।

    केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लॉकडाउन के दरमियान वीडयो कॉन्प्रेंसिंग के जर‌िए से 82 लाख मामलों की सुनवाई की गई, गोवा समते बॉम्बे हाईकोर्ट ने 64000 से अधिक मामलों की सुनवाई की।

    उन्होंने पर्यावरण, संरक्षण और सतत विकास के क्षेत्र में गोवा से आए ऐतिहासिक निर्णयों के बारे में बताया। "उन निर्णयों ने जिन चिंताओं को चिह्नित किया है वे हमेशा प्रासंगिक रहेंगे।"

    इस समारोह में गणमान्य व्यक्ति CJI एसए बोबडे, केंद्रीय मंत्री कानून रविशंकर प्रसाद, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएम खानविलकर, सीजे बॉम्बे एचसी दीपांकर दत्ता, गोवा सीएम प्रमोद सावंत, जस्टिस एए सैय्यद और एसएस शिंदे और विधि शिंदे मौजूद थे।

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