'सार्वजनिक स्थान पर आप लड़की के साथ छेड़छाड़ करते हैं? ' : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 के तहत दर्ज FIR में यौन उत्पीड़न के आरोपी को अग्रिम जमानत पर रिहा करने से इनकार किया

LiveLaw News Network

2 Dec 2020 9:20 AM GMT

  • सार्वजनिक स्थान पर आप लड़की के साथ छेड़छाड़ करते हैं?  : सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 के तहत दर्ज FIR में यौन उत्पीड़न के आरोपी को अग्रिम जमानत पर रिहा करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने छेड़छाड़ के एक आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। इस मामले में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (इज्जत खराब करने के इरादे से महिला का उत्पीड़न या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत एक FIR दर्ज की गयी थी।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 21 जनवरी के उस फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) की सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने आईपीसी धारा 354, 506 (डराने-धमकाने के अपराध), 341 (गलत तरीके से कब्जे में रखने) और 34 के तहत दर्ज FIR के सिलसिले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

    हाईकोर्ट ने अपने संबंधित फैसले में कहा था,

    "दरअसल, यह ऐसा मामला है, जहां अपने परिजनों के साथ जा रही एक युवती के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया गया था और अमर्यादित टिप्पणियां भी की गयी थी। FIR में दर्ज आरोपों के अनुसार, जब याचिकाकर्ता दुर्व्यवहार कर रहा था और अमर्यादित टिप्पणियां कर रहा था तब शिकायतकर्ता लड़की ने उसका विरोध किया था। इसके बावजूद आरोपी ने न केवल उसे नाम से पुकारा और उसका अता-पता उजागर किया, बल्कि लड़की को धमकी भी दी कि वह जो कर सकती है, कर ले।"

    याचिकाकर्ता के वकील ने मंगलवार को दलील दी थी,

    "यह मामला 354ए (यौन उत्पीड़न) और 509 (एक महिला की इज्जत खराब करने के इरादे से उसके खिलाफ अपमानजनक शब्द निकालने, भाव भंगिमा दिखाने या व्यवहार करने) से जुड़ा है। केवल धारा 354 का मामला नहीं। ये सभी अपराध जमानत योग्य हैं। धारा 354 को केवल इसलिए जोड़ा गया है कि इस मामले को गैर-जमानती बनाया जा सके। शारीरिक रूप से नुकसान का कोई खतरा नहीं था, न कोई बल प्रयोग किया गया या न उत्पीड़न किया गया। ज्यादा से ज्यादा, कुछ अमर्यादित टिप्पणियां हो सकती हैं।"

    बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल थे ने कहा,

    "जालंधर के सार्वजनिक स्थान पर आप एक लड़की को छेड़ते हैं, उसके परिजनों को धमकी दे रहे हैं? आप नियमित जमानत के समय अपनी दलीलें दीजिएगा। आप अग्रिम जमानत के हकदार नहीं हैं।"

    अंतत: बेंच ने विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

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