श्रम मामलों में श्रमिकों को लेबर यूनियनों के बजाय अपना पता देना चाहिए; नोटिस की तामील श्रमिक को की जाए: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

17 March 2023 1:34 PM GMT

  • श्रम मामलों में श्रमिकों को लेबर यूनियनों के बजाय अपना पता देना चाहिए; नोटिस की तामील श्रमिक को की जाए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में श्रम विवादों से जुड़ी व्यावहारिक कठिनाइयों को नोट किया। कोर्ट ने कहा कि श्रमिकों के अधिकांश मामले लेबर यूनियनों अी ओर से दायर किया जाता है, जिनमें श्रमिक में स्थायी पते का उल्लेख ही नहीं किया जाता हैं। इसलिए, कई मामलों में, यूनियन को नोटिस दिए जाते हैं, और यदि यूनियन मामले को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं रखती है तो प्रभावित श्रमिक का प्रतिनि‌धित्व ही नहीं हो पाता है। अदालत ने लेबर कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "एक कर्मचारी को प्रभावी राहत तभी दी जा सकती है जब याचिका में उसका स्थायी पता दिया गया हो। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कार्यकर्ता का प्रतिनिधित्व नहीं किया जा सका,क्योंकि उसके पते के रूप में यूनियन का पता दिया गया था, जो पेश नहीं हुआ।"

    यह देखते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए-

    -भविष्य में दाखिल किए जाने वाले सभी मामले और सभी लंबित मामलों में पक्षकारों को अपना स्थायी पता देना होगा।

    -यदि कर्मचारी का प्रतिनिधि उपस्थित हो रहा है तो भी वह उसका का स्थायी पता देगा।

    -प्रथम चरण के बाद की कार्यवाही में भी अपनी सेवा के लिए पक्षकार का स्थायी पता देना अनिवार्य होगा।

    -केवल लेबर यूनियन या अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से उल्लेख करना, जो कभी-कभी यूनियन के नेता या लीगल प्रोफेशनल होते हैं, पर्याप्त नहीं होगा।

    -कर्मचारी के नोटिस की तामील कर्मकार के स्थायी पते पर करनी होगी।

    कोर्ट ने कहा,

    "यदि कोई भी पक्ष किसी राहत के लिए किसी प्राधिकरण से संपर्क करता है, तो सबसे पहले उसका पूरा पता बताना आवश्यक है। प्रतिनिधि के पते का उल्लेख गौण है क्योंकि कोई भी व्यक्ति खुद उपस्थित होना पसंद करता है।"

    न्यायालय ने कहा कि वैधानिक प्रपत्र मामलों को दर्ज करने के संबंध में सभी श्रम कानूनों में कर्मचारी के स्थायी पते की प्रस्तुति की आवश्यकता होती है।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि चार लेबर कोड्स- कोड ऑन वेजेस, 2019; ऑक्येपेशनल सेफ्टी, हेल्‍थ, एंड वर्किंग कंडीशन कोड, 2020; इंडस्ट्र‌ियल रीलेशन कोड, 2020; सोशल सिक्योरिटी कोर्ट, 2020 को अभी लागू किया जाना है।

    कोर्ट ने कहा,

    "चार श्रम संहिताओं के लागू होने के साथ, हमें उम्मीद है कि भविष्य में, जब नियम बनाए जाएंगे, अधिकारी इस बात का ध्यान रखेंगे कि पार्टियां श्रम कानून विवादों से संबंधित मामलों में अपना स्थायी पता दें।"

    केस टाइटल: मैसर्स क्रिएटिव गारमेंट्स लिमिटेड बनाम काशीराम वर्मा

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एससी) 198

    फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story