'अगर बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से बाहर हुए तो हम हस्तक्षेप करेंगे': सुप्रीम कोर्ट 12 अगस्त से करेगा बिहार SIR मामले की सुनवाई
Shahadat
29 July 2025 12:09 PM IST

बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची से 65 लाख मतदाताओं के बाहर होने की आशंकाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि अगर बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से बाहर हुए तो अदालत हस्तक्षेप करेगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने बिहार SIR को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 12 और 13 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रशांत भूषण ने न्यायालय को चुनाव आयोग के इस कथन के बारे में बताया कि 65 लाख लोगों ने SIR प्रक्रिया के दौरान गणना फॉर्म जमा नहीं किए, क्योंकि वे या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं। भूषण ने खंडपीठ को बताया कि इन लोगों को सूची में शामिल होने के लिए नए सिरे से आवेदन करना होगा।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत का चुनाव आयोग (ECI) संवैधानिक संस्था होने के नाते कानून के अनुसार कार्य करने वाला माना जाएगा। साथ ही आश्वासन दिया कि न्यायालय आपकी चिंताओं पर सुनवाई करेगा।
जस्टिस कांत ने आश्वासन दिया,
"हम यहां हैं, हम आपकी बात सुनेंगे।"
जस्टिस बागची ने कहा,
"अगर SIR नहीं था तो जनवरी 2025 की सूची शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी। आपकी आशंका है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे... वे (चुनाव आयोग) 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहे हैं। हम एक न्यायिक प्राधिकारी के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। अगर बड़े पैमाने पर बहिष्कार होता है तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। 15 लोगों को यह कहते हुए लाएं कि वे जीवित हैं।"
राजद सांसद मनोज झा की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,
"वे जानते हैं कि 65 लाख लोग कौन हैं... अगर वे मसौदा सूची में नामों का उल्लेख करते हैं तो हमें कोई समस्या नहीं है।"
जस्टिस कांत ने कहा,
"अगर मसौदा सूची में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है तो आप इसे हमारे संज्ञान में लाएं।"
चुनाव आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रक्रिया मसौदा सूची पर आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति देती है।
संक्षेप में मामला
24 जून, 2025 के एक आदेश के तहत चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21(3) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार के लिए SIR प्रक्रिया शुरू की।
न्यायालय ने सोमवार को चुनाव आयोग को मतदाता सूची में संशोधन करते समय आधार कार्ड और EPOC कार्ड पर विचार करने का सुझाव दिया, क्योंकि इन दोनों दस्तावेजों के मामले में "सही होने का अनुमान" है।
सुनवाई की तारीख तय करने के लिए मामले को आज यानी मंगलवार को सूचीबद्ध किया गया था।
बता दें, चुनाव आयोग 1 अगस्त को बिहार की मसौदा मतदाता सूची सार्वजनिक करने वाला है। हालांकि, सोमवार को इसे जारी होने से रोकने का अनुरोध किया गया था। मसौदा सूची पर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अनुरोध अस्वीकार कर दिया कि यह केवल एक मसौदा सूची है और यदि अंततः कोई अवैधता पाई जाती है तो पूरी प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।
साथ ही जस्टिस कांत ने चुनाव आयोग पर ज़ोर दिया कि "सामूहिक बहिष्कार" के बजाय मतदाताओं का "सामूहिक समावेश" होना चाहिए।
Case Title: ASSOCIATION FOR DEMOCRATIC REFORMS AND ORS. Versus ELECTION COMMISSION OF INDIA, W.P.(C) No. 640/2025 (and connected cases)

