अगर बरामद प्रतिबंधित पदार्थ में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' पाया जाता है, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि यह 'अफीम पोस्त' है: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

25 Nov 2022 4:59 AM GMT

  • अगर बरामद प्रतिबंधित पदार्थ में मॉर्फिन और मेकोनिक एसिड पाया जाता है, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि यह अफीम पोस्त है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जब्त किए गए मादक पदार्थ में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' पाया जाता है, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि यह एनडीपीएस एक्ट की धारा 2 (xvii) में परिभाषित 'अफीम पोस्त' है।

    इस मामले में, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अभियुक्तों को उनकी अपीलों को इस आधार पर स्वीकार करते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष यह स्थापित करने में विफल रहा है कि जब्त की गई सामग्री 'पैपेवर सोम्निफेरम एल' या किसी अन्य पौधे की उत्पत्ति नहीं है, जो केंद्र सरकार द्वारा नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंसेज (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 की धारा 2(xvii) के तहत अधिसूचित की गयी है।

    जब सरकार की ओर से दायर अपील सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तो उसने 'हिमाचल प्रदेश राज्य बनाम निर्मल कौर उर्फ निम्मो' मामले के हालिया फैसले का उल्लेख किया।

    बेंच ने कहा कि यह माना गया है कि एक बार जब यह पाया जाता है कि जब्त सामग्री में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' शामिल हैं, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि जब्त सामग्री एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 (xvii) की परिभाषा के अंतर्गत आती है।

    इसलिए कोर्ट ने 'निर्मल कौर उर्फ निम्मो (सुप्रा)' के फैसले के अनुसार, हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और नये सिरे से विचार के लिए मामलों को वापस भेज दिया।

    निर्मल कौर उर्फ निम्मो जजमेंट

    'निर्मल कौर उर्फ निम्मो' मामले के परिप्रेक्ष्य में जस्टिस बीआर गवई और सीटी रविकुमार की पीठ ने इस प्रकार कहा:

    एक बारगी यदि एक रासायनिक परीक्षक यह स्थापित कर देता है कि जब्त किया गया 'पॉपी स्ट्रॉ' में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' की मौजूदगी है, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि यह 1985 के एक्ट 2 खंड (xvii) के उपखंड (ए) के तहत आता है तथा इसके लिए कोई और परीक्षण आवश्यक नहीं होगा कि जब्त की गई सामग्री 'पैपेवर सोम्निफेरम एल' का एक हिस्सा है। दूसरे शब्दों में, एक बार जब यह स्थापित हो जाता है कि जब्त किया गया 'पॉपी स्ट्रॉ' के परीक्षण में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' की सामग्री मिलती है तो 1985 के एकट की धारा 15 के प्रावधानों के तहत आरोपी के अपराध को वापस लाने के लिए कोई अन्य परीक्षण आवश्यक नहीं होगा।

    केस विवरण

    हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम अंगेजो देवी | 2022 लाइवलॉ (एससी) 990 | सीआरए 959/2012 | 23 नवंबर 2022 | जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ

    हेडनोट्स

    नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंसेज एक्ट, 1985; धारा 2(xvii) - एक बार जब यह पाया जाता है कि जब्त की गई सामग्री में 'मॉर्फिन' और 'मेकोनिक एसिड' है, तो यह स्थापित करने के लिए पर्याप्त है कि जब्त की गई सामग्री (अफीम पोस्त) एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2(xvii) की परिभाषा के अंतर्गत आती है। - हिमाचल प्रदेश सरकार बनाम निर्मल कौर उर्फ निम्मो मामले का अनुसरण- 2022 लाइवलॉ (एससी) 866 (पैरा 3-4)

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