सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित पटाखों के निर्माण/इस्तेमाल पर जारी किए नए निर्देश, राज्य एजेंसियों, अधिकारियों की निजी जवाबदेही तय की
LiveLaw News Network
30 Oct 2021 12:59 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम आधारित रसायनों से बने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के पहले के आदेश के कार्यान्वयन और केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल के संबंध में कई निर्देश जारी किए।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि यदि प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग किसी विशेष क्षेत्र में पाया जाता है तो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव, सचिव (गृह) संबंधित क्षेत्र के पुलिस आयुक्त, जिला पुलिस अधीक्षक और संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी एसचओ/पुलिस अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकारों/राज्य की एजेंसियों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से किसी भी चूक को गंभीरता से लिया जाएगा। किसी को भी इस न्यायालय/अदालतों द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन और/या अवज्ञा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। किसी भी प्रकार की इरादतन और जानबूझकर की गई अवज्ञा को बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
पीठ ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यह देखने का भी निर्देश दिया कि पहले और आज जारी किए गए निर्देशों का सही मायने में और पूरी तरह से पालन किया जाए।
पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है और कहा कि केवल उन पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है जिनमें बेरियम आधारित रसायनों का प्रयोग होता है।
कोर्ट ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। केवल उन पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है ..जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और नागरिकों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।"
पीठ ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया/प्रिंट मीडिया/लोकल केबल सेवाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करने और प्रतिबंधित पटाखों के निर्माण, उपयोग और बिक्री के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को जानने के लिए उचित प्रचार करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 23 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी विभिन्न निर्देशों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। पीठ ने अपने आदेश में प्रतिबंधित पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग को जारी रखने के आरोपों को भी ध्यान में रखा।
बेंच ने आदेश में यह भी कहा कि एक बार पटाखा निर्माताओं ने बेरियम नाइट्रेट से पटाखा बनाने की अनुमति मांगी थी, हालांकि उन्हें अनुमति नहीं दी गई, और पटाखों में बेरियम साल्ट के उपयोग पर प्रतिबंध जारी है।
बाजार में नकली ग्रीन पटाखे
कोर्ट ने कहा, "भले ही प्रतिबंध लगा दिया गया हो, लेकिन पटाखों का निर्माण, बिक्री और उपयोग जारी है और न्यायालय की ओर से जारी प्रतिबंध संबंधी निर्देशों का घोर उल्लंघन में किया जा रहा है। यह बताया गया है कि 'ग्रीन क्रैकर्स' की आड़ में भी प्रतिबंधित पटाखों को बेचा जा रहा है। बॉक्सों पर गलत लेबलिंग की गई और 'ग्रीन क्रैकर्स' के बॉक्स पर दिए गए क्यूआर कोड भी फर्जी हैं।"
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर व्यापक जनहित में निर्देश जारी किए हैं और यह देखते हुए कि प्रतिबंधित पटाखों का उपयोग वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों सहित अन्य नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "यह देखना सभी राज्यों/राज्य एजेंसियों का कर्तव्य है कि इस न्यायालय द्वारा दिए पूर्व के आदेशों में जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए। इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के उल्लंघन और त्योहार की आड़ में प्रतिबंधित पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति किसी भी प्राधिकरण को नहीं दी जा सकती है। कोई भी उत्सव दूसरे के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं हो सकता।
उत्सव की आड़ में, किसी को भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत दूसरों के स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और किसी को भी दूसरों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों की।"
सीबीआई ने मामले में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया था कि प्रतिबंधित पटाखों को बाजार में बेचा और इस्तेमाल किया जा रहा है। पीठने कहा कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो वे बहुत गंभीर हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
यह कहते हुए कि कार्यान्वयन एजेंसियों सहित हर कोई यह देखने के लिए बाध्य है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को सही भावना से पालन किया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "यह प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि संबंधित राज्यों की कार्यान्वयन एजेंसियों में या तो इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों को लागू करने की इच्छा नहीं है या वे किसी भी कारण से अपनी आंखें बंद कर लेती हैं... प्रतिबंध के बावजूद पटाखों का निर्माण, परिवहन, बिक्री जारी है और उपयोग किया जा रहा है।"
आवेदन में निम्नलिखित निर्देश जारी करने की मांग की गई थी-
a) भारत में पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध;
b) राज्य सरकारें और पुलिस पटाखों के निर्माण, बिक्री या खरीद की मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ तत्काल उचित कदम उठाएं;
c) पटाखों के निर्माण, बिक्री, खरीद और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध के आदेश का उल्लंघन होने पर प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाया जाएगा;
d) दिल्ली पुलिस को हलफनामे पर यह बताने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए कि वरिष्ठ स्तर के अधिकारी (अधिकारियों) को यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार और व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होना चाहिए कि बाहरी क्षेत्रों से दिल्ली और एनसीआर में पटाखों को लाने-ले जाने पर पर प्रतिबंध को ठीक से लागू किया जाए और उल्लंघन करने वालों को पकड़ा और दंडित किया जाए।
e) नकली 'ग्रीन क्रैकर्स' बेचने वाले सभी निर्माताओं के लाइसेंस निलंबित करें।
आवेदन में 'आवाज फाउंडेशन' द्वारा किए गए परीक्षणों को भी रिकॉर्ड पर लाया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि प्रतिबंधित पटाखों का निर्माण, उपयोग और बिक्री की जा रही है। बाजार में ऐसे ग्रीन पटाखे बेचे जा रहे हैं, जिसमें ऐसे रसायनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिन्हें इस न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मामले में दायर अर्जी पर 30 नवंबर, 2021 को सुनवाई होगी।
केस शीर्षक: अर्जुन गोपाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया
सिटेशन : एलएल 2021 एससी 609