मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हाशिए के तबके से आया एक व्यक्ति भारत का चीफ जस्टिस है: सीजेआई बीआर गवई
Shahadat
7 Jun 2025 11:17 AM IST

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर को दूरदर्शी नींव रखने का श्रेय दिया, जिसने हाशिए पर पड़े समुदायों के व्यक्तियों के लिए उच्च संवैधानिक पदों तक पहुंचना संभव बनाया। उन्होंने यह कहते हुए गर्व महसूस किया कि भारत में अब एक ऐसा चीफ जस्टिस है, जो हाशिए पर पड़े तबके से आया है।
सीजेआई गवई ने कहा,
"यह केवल डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा निर्धारित दूरदर्शी ढांचे के कारण ही है कि मेरे जैसे व्यक्ति, जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, जिन्होंने नगरपालिका स्कूल में पढ़ाई की है। ऐसे परिवार में पले-बढ़े हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया, वे देश में सर्वोच्च पदों की आकांक्षा रखते हैं और अंततः उन्हें प्राप्त करते हैं।"
उन्होंने कहा,
"हमारे संविधान में निहित न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के डॉ. अंबेडकर के दृष्टिकोण ने हाशिए पर पड़े समुदायों के व्यक्तियों के लिए उन सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए दरवाजे खोल दिए, जो कभी उन्हें जीवन की मुख्यधारा में प्रवेश करने से दूर रखती थीं।"
वह लंदन के ग्रेज़ इन में "भारतीय संविधान के 75 वर्ष और डॉ. अंबेडकर की स्थायी प्रासंगिकता का जीवंत दस्तावेज" विषय पर बोल रहे थे।
यह गर्व की बात है कि भारत में अब हाशिए पर पड़े पृष्ठभूमि से संवैधानिक प्रमुख
सीजेआई गवई ने कहा कि यह गर्व की बात है कि 75 वर्षों में भारत में दो महिला राष्ट्रपति रहीं, जिनमें से वर्तमान राष्ट्रपति सबसे हाशिए पर पड़े आदिवासी समुदायों में से एक से आती हैं।
उन्होंने आगे कहा,
"हमारे पास भारत की एक महिला प्रधानमंत्री थीं, हमारे पास भारत के एक दलित चीफ जस्टिस थे, हमारे पास लोकसभा के दो स्पीकर थे, जो दलित समुदाय से थे। और जब भारत के संविधान ने 75 साल पूरे कर लिए हैं तो यह बहुत ही संयोग की बात है कि भारत के पास एक महिला राष्ट्रपति हैं, जो आदिवासी वर्ग से हैं। हमारे पास एक पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री हैं और जो यह कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि यह केवल भारतीय संविधान की वजह से है कि वे प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित कर सके। मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि भारत के पास एक ऐसे चीफ जस्टिस हैं, जो हाशिए के वर्ग और साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद तक पहुंचे।"
उन्होंने कहा,
"हमारे पास हाशिए के वर्ग से आने वाले तीन संवैधानिक प्रमुख हैं। संयोग से हमारे पास एक कानून मंत्री भी हाशिए के वर्ग से हैं।"
अपने जीवन में डॉ. अंबेडकर का गहरा प्रभाव स्वीकार करते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि छोटी उम्र से ही वह डॉ. अंबेडकर के साहस, बुद्धिमत्ता और समानता के लिए अथक प्रयास की कहानियों से प्रेरित होते थे। अपने संबोधन में सीजेआई गवई ने कहा कि भारतीय संविधान के पिछले 75 वर्षों में कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के संवैधानिक उद्देश्य को आगे बढ़ाने और उसका विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम, कृषि सीलिंग अधिनियम, काश्तकारी अधिनियम और अनुच्छेद 21 की सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई विस्तृत व्याख्या जैसे अधिनियमों ने यह सुनिश्चित किया कि हाशिए पर पड़े वर्गों को शोषण से बचाया जाए।
साथ ही संसद और न्यायपालिका दोनों ने संविधान में सकारात्मक कार्रवाई प्रावधानों के दायरे का काफी विस्तार किया है। इसी तरह, कई अधिनियमों और प्रगतिशील निर्णयों ने डॉ. अंबेडकर के लैंगिक समानता के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाया। विभिन्न सामाजिक कल्याण कानूनों का अधिनियमन डॉ. अंबेडकर के अवसर की समानता के दृष्टिकोण का प्रमाण है। सीजेआई ने सामाजिक और आर्थिक न्याय के संवैधानिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करने और डॉ. अंबेडकर सहित हमारे संविधान निर्माताओं के सपने को साकार करने का प्रयास करने की अपील के साथ अपना भाषण समाप्त किया।

