"मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं": विष्णु मूर्ति मामले में सीजेआई गवई ने दी सफाई

Shahadat

18 Sept 2025 3:33 PM IST

  • मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं: विष्णु मूर्ति मामले में सीजेआई गवई ने दी सफाई

    खजुराहो के एक मंदिर में भगवान विष्णु की जीर्ण-शीर्ण मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए अपनी टिप्पणियों से उपजे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

    सीजेआई ने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी इस तथ्य के संदर्भ में थी कि मंदिर ASI के अधिकार क्षेत्र में है।

    सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ कर्नाटक में बड़े पैमाने पर अवैध लौह अयस्क खनन के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान हुआ है।

    सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उल्लेख किया कि पिछली सुनवाइयों के बारे में मीडिया द्वारा बहुत कम लेख प्रकाशित किए गए। कहा कि केंद्र सरकार के वकील मौजूद नहीं हैं।

    सीजेआई ने कहा कि सोशल मीडिया पर चीजों को गलत तरीके से पेश किया जाना चिंताजनक है।

    जीर्ण-शीर्ण 7 फीट ऊंची विष्णु प्रतिमा के पुनर्निर्माण के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर अपनी हालिया टिप्पणियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा:

    "सोशल मीडिया पर आजकल कुछ भी हो सकता है। परसों किसी ने मुझसे कहा था - आपने कुछ नकारात्मक कहा है।"

    उन्होंने आगे कहा,

    "मैं सभी धर्मों में विश्वास करता हूं, मैं सभी (धर्मों) का सम्मान करता हूं।"

    एसजी ने आगे कहा,

    "मैं पिछले 10 वर्षों से चीफ जस्टिस को जानता हूं, माई लॉर्ड सभी धर्मों के मंदिरों और स्थलों में श्रद्धापूर्वक जाते हैं।"

    चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी मंदिर की देखरेख ASI के अधीन आने के संदर्भ में की गई।

    उन्होंने कहा:

    "हमने यह ASI के संदर्भ में कहा था... मैंने मिस्टर नूली को यह भी बताया कि खजुराहो में शिव मंदिर भी है, जो सबसे बड़े लिंगों में से एक है।"

    जस्टिस के. विनोदचंद्रन ने यह भी उल्लेख किया कि वेदांत ग्रुप में कथित वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ जनहित याचिका में उनके अलग होने को संदर्भ से बाहर कैसे देखा गया।

    उन्होंने कहा कि सुनवाई से अलग होने का कारण यह था कि वे पहले उस लॉ फर्म में भागीदार थे, जो प्रतिवादी सेबी की ओर से पेश हो रही थी। हालांकि, यह गलत धारणा थी कि वेदांता कंपनी में उनकी कुछ हिस्सेदारी है।

    उन्होंने कहा,

    "पिछले हफ़्ते, प्रतिवादियों की ओर से जनहित याचिका दायर की गई, के.जे. जॉन कंपनी पेश हुई थी। इसलिए मैंने के.जे. जॉन कंपनी से संपर्क नहीं किया। लोगों ने मुझे फ़ोन करके पूछा- क्या वेदांता में आपकी हिस्सेदारी है?"

    हास्यास्पद अंदाज़ में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल होने के आगे न्यूटन का नियम भी विफल हो गया।

    आगे कहा गया,

    "यह गंभीर भी है, हम न्यूटन के नियम को जानते हैं- हर क्रिया की एक समान प्रतिक्रिया होती है। अब हर क्रिया की सोशल मीडिया पर असमान प्रतिक्रिया होती है।"

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,

    "हम हर दिन कष्ट झेलते हैं... यह एक अनियंत्रित घोड़ा है, इसे काबू में करने का कोई तरीका नहीं है।"

    इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि सोशल मीडिया कैसे बेकाबू हो सकता है, चीफ जस्टिस ने हाल ही में नेपाल में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का ज़िक्र किया।

    उन्होंने कहा,

    "नेपाल में भी ऐसा ही हुआ था।"

    बता दें, 16 सितंबर को मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली जनहित याचिका खारिज करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता राहत के लिए देवता से प्रार्थना कर सकता है। सोशल मीडिया के कुछ वर्गों ने इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

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