'अनिश्चितकालीन हिरासत से कैसे मदद मिलेगी?': सुप्रीम कोर्ट ने क्रॉस बॉर्डर कैटल स्मगलिंग मामले में आरोपी को जमानत दी
LiveLaw News Network
26 Jan 2022 4:14 PM

Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कथित व्यापक साजिश की ओपन-एंडेड जांच, जमानत से इनकार करने और किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल के लिए कैद करने का इकलौता आधार नहीं हो सकता।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ आईपीसी की धारा 120बी/420 और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 7, 11, 12 के तहत कलकत्ता हाईकोर्ट के नवंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
मामला
अभियोजन का मामला यह था कि 06.04.2018 को सीबीआई, एसीबी, कोलकाता ने सीमा सुरक्षा बल की 36वीं बटालियन के तत्कालीन कमांडेंट सतीश कुमार, मोहम्मद इमानुल हक (एसएलपी पटिशनर), श्री भुवन भास्कर पुत्र सतीश कुमार एवं अन्य के खिलाफ प्रारंभिक जांच दर्ज की। उनपर लोक सेवक द्वारा कदाचार का आरोप लगाया गया था।
प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि भारत और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा से बड़ी संख्या मवेशियों को अवैध रूप से पार कराया जा रहा है। ऐसा बीएसएफ कर्मियों को अवैध परितोषण प्रदान कर किया जा रहा है।
इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया था कि श्री सतीश कुमार को बीएसएफ की 36 वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में 19.12.2015 से 22.04.2017 तक तैनाती की अवधि के बीच सीमा सुरक्षा बल ने 20,000 से अधिक गायों को सीमा पार कराते समय जब्त किया गया, हालांकि जब्ती के समय न तो जानवरों के परिवहन में शामिल किसी वाहन को जब्त किया गया और न ही किसी व्यक्ति को पकड़ा गया।
जब्त किए गए मवेशियों को बीएसएफ के जब्ती ज्ञापन में कम आकार/सामान्य नस्ल का दिखाती थी, ताकि ऐसे मवेशियों के नीलामी मूल्य को कम किया जा सके।
इसके बाद मवेशियों की जब्ती के 24 घंटे के भीतर कस्टम स्टेशन जंगीपुर, मुर्शिदाबाद और मोहम्म इनामुल हक, अनारुल एसके, गोलम मुस्तफा जैसे व्यापारियों की मदद से नीलामी में डाल दिया जाता था। यह भी आरोप लगाया गया कि इस प्रकार की मदद के एवज में, मोहम्मद इनामुल हक बीएसएफ अधिकारियों को 2000 रुपये प्रति मवेशी और कस्टम अधिकारियों को 500 रुपये प्रति मवेशी अलग से देते थे।
कस्टम अधिकारी मोहम्मद इनामुल हक, अनारुल एसके, गोलम मुस्तफा जैसे सफल बोली लगाने वालों से नीलामी की कीमत का 10 प्रतिशत रिश्वत भी लेते थे। इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया कि व्यापारियों के उक्त बैच को ही नीलामी में बहुत कम कीमत पर मवेशी खरीदने की अनुमति दी गई थी।
नीलाम मवेशियों को बाद में अवैध रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार ले जाया जाता था। इसके अलावा, श्री सतीश कुमार ने अपने पुत्र श्री भुवन भास्कर को मई, 2017 से दिसंबर, 2017 के बीच मोहम्मद इनामुल हक की कंपनी में 30,000/- से 40,000/- रुपये के मासिक वेतन पर नियुक्त कराया था। यह दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध को दिखाता था। इस आधार पर उक्त मामले के संबंध में याचिकाकर्ता को 06.11.2020 को गिरफ्तार किया गया और तब से वह हिरासत में था।
सोमवार को हक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र पिछले साल ही दायर किया गया है, जिसमें बीएसएफ कमांडेंट सहित सह-आरोपी को पहले ही जमानत दे दी गई है, जबकि एसएलपी याचिकाकर्ता एक वर्ष से अधिक समय से जेल में है। मामले में अधिकतम कारावास 7 वर्ष का ही है।
सीबीआई की ओर से पेश एएसजी अमन लेखी ने पीठ को बताया कि एसएलपी याचिकाकर्ता भारत-बांग्लादेश सीमा पर सक्रिय मवेशी तस्करी रैकेट का हिस्सा है। लुक-आउट नोटिस जारी होने के बावजूद वह बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने में सफल रहा; और इसलिए, यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है और एक "बड़ी साजिश" की जांच चल रही है।
पीठ ने कहा, "हम इस ओपेन एंडेड जांच को नहीं समझ सकते। सह-आरोपियों को जमानत दे दी गई है। याचिकाकर्ता एक साल दो महीने जेल में रहा है। यह अवधि बड़ी साजिश की जांच के लिए पर्याप्त नहीं है? अनिश्चितकालीन हिरासत से कैसे मदद होगी?"
इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता को जमानत देने का आदेश सुनाया।
केस शीर्षक: मोहम्मद इनामुल हक बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो