"बिना ट्रायल के आप किसी व्यक्ति को कितने समय तक हिरासत में रख सकते हैं?": सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र गाडलिंग के खिलाफ मुकदमे में देरी पर सवाल उठाए

Shahadat

24 Sept 2025 3:34 PM IST

  • बिना ट्रायल के आप किसी व्यक्ति को कितने समय तक हिरासत में रख सकते हैं?: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र गाडलिंग के खिलाफ मुकदमे में देरी पर सवाल उठाए

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (24 सितंबर) को 2016 के गढ़चिरौली आगजनी मामले में वकील और एक्टिविस्ट सुरेंद्र गाडलिंग के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही के लंबे समय तक लंबित रहने पर चिंता जताई।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने पूछा कि क्या किसी व्यक्ति को कई वर्षों तक विचाराधीन कैदी के रूप में हिरासत में रखा जा सकता है।

    जस्टिस माहेश्वरी ने महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा,

    "लेकिन ट्रायल क्यों नहीं चल रहा है? क्योंकि... आप किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल के कितने वर्षों तक हिरासत में रखते हैं?"

    एएसजी राजू ने दलील दी कि देरी अभियोजन पक्ष की वजह से नहीं, बल्कि आरोपी की वजह से हुई। एएसजी ने तर्क दिया कि गाडलिंग ने आरोपमुक्ति के लिए आवेदन दायर किया। हालांकि, जब तक उन्हें अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति नहीं दी जाती, वे उस पर बहस करने से इनकार कर रहे हैं। एएसजी ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं किया जा सकता।

    खंडपीठ ने पूछा कि यदि आवेदक सहयोग नहीं कर रहा है तो आरोपमुक्ति आवेदन को खारिज क्यों नहीं किया जा सकता और इस आधार पर मुकदमे को क्यों रोका जाए।

    जस्टिस माहेश्वरी ने कहा,

    "तो इस पर निर्णय होने दीजिए। यदि वे बहस नहीं कर रहे हैं तो इस पर निर्णय होने दीजिए। उल्लेख करें कि वे बहस करने से इनकार कर रहे हैं।"

    खंडपीठ ने राज्य सरकार से देरी के कारणों को स्पष्ट करते हुए एक बयान दाखिल करने को कहते हुए सुनवाई स्थगित की। गाडलिंग की ओर से सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर द्वारा यह दलील दिए जाने पर कि राज्य फरार अभियुक्तों के संबंध में मुकदमे को विभाजित नहीं कर रहा है, पीठ ने इस पहलू पर भी स्पष्टता मांगी।

    राज्य सरकार से मांगी गई जानकारी निम्नलिखित है:

    1. ट्रायल में देरी का कारण क्या है? अभियोजन पक्ष द्वारा इसे संक्षेप में समझाया जा सकता है।

    2. आरोपमुक्ति के आवेदन लंबित हैं। आदेश पत्रों के सारांश के साथ एक हलफनामे में निपटान न होने का कारण भी स्पष्ट किया जाए।

    3. अभियोजन की योजना - उन्हें किस प्रकार मुकदमे को आगे बढ़ाना है और उन अन्य सह-अभियुक्तों के साथ मुकदमे को किस प्रकार विभाजित करना है, जिन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया।

    4. यह भी बताया जाएगा कि अभियोजन पक्ष कितने समय में मुकदमा पूरा कर लेगा।

    इस मामले की अगली सुनवाई 28/29 अक्टूबर को होगी।

    Case Title – Surendra Pundalik Gadling v. State of Maharashtra

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