आप फिर से कैसे उल्लेख कर सकते हैं? आप एक अलग बेंच के पास नहीं आ सकते': सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की 2000 रुपये के नोट से संबंधित याचिका का बार-बार उल्लेख करने पर कहा
Avanish Pathak
7 Jun 2023 1:35 PM IST
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की अधिसूचनाओं के खिलाफ एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की याचिका के अंतिम उल्लेख पर रिपोर्ट मांगी। आरबीआई और एसबीआई की अधिसूचना में 2000 रुपये करेंसी नोट को बिना किसी पहचान पत्र के एक्सचेंज की अनुमति दी गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एडवोकेट उपाध्याय की पीआईएल, जिसमें उन्होंने 2000 रुपये के करेंसी नोटों के एक्सचेंज को पहचान पत्रों के साथ ही अनुमति देने की मांग की थी, को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील का उल्लेख किया था। उन्होंने अपील में कहा था कि मामला बेहद जरूरी है।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने हस्तक्षेप करते हुए पूछा - "क्या इसे पहले भी उल्लेख किया गया था?"
इस पर उपाध्याय ने जवाब दिया- "हां, लेकिन उस समय बहुत खामियां थीं, हमने अब खामियां दूर कर दी हैं ..."
उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट की अवकाश पीठ के समक्ष एक जून 2023 को इसी मामले का उल्लेख किया था। उस बेंच में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे।
पीठ ने यह कहते हुए उल्लेख पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि वह छुट्टियों के दरमियान ऐसे मामलों पर विचार नहीं करेगी और उपाध्याय को गर्मी की छुट्टियों के बाद मामले का उल्लेख करने की अनुमति दी थी।
आज उपाध्याय की प्रस्तुतियों पर जस्टिस राजेश बिंदल ने टिप्पणी की-
"निर्देश दिया गया था कि अदालत के फिर से खुलने के बाद इसका उल्लेख किया जाना चाहिए। आप इसे फिर से कैसे उल्लेख कर सकते हैं? एक समन्वय पीठ ने पहले ही इसका उल्लेख अदालत के फिर से खुलने के बाद करने के लिए कहा था ... आप एक अलग पीठ के पास नहीं आ सकते..."
उपाध्याय ने मामले की तात्कालिकता पर अपनी दलीलें जारी रखीं और कहा-
"समस्या यह है कि गैंगस्टरों द्वारा धन की जमाखोरी की जा रही है। माओवादी, आतंकवादी और अलगाववादी पैसे को एक्सचेंज कर रहे हैं। ऐसी मीडिया रिपोर्टें हैं, जिनमें कहा गया है कि 80,000 करोड़ रुपये एक्सचेंज किया गया है ... मेरा एकमात्र अवलोकन यह है कि जब यह अभी दायर किया गया है तो आप इसका उल्लेख कैसे कर सकते हैं..."
जस्टिस बोस ने कहा-
"हम इस पर रजिस्ट्री से एक रिपोर्ट मांगेंगे। हम आपको शुक्रवार को इसका उल्लेख करने की स्वतंत्रता देंगे।"
उपाध्याय की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था।
याचिका को खारिज करते हुए, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि 2000 रुपये के मूल्यवर्ग को जारी करने का उद्देश्य, नवंबर 2016 में अर्थव्यवस्था की मुद्रा की आवश्यकता को तेजी से पूरा करना था, जब सभी 500 और 1000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को अवैध मुद्रा घोषित किया गया था, जिसे हासिल किया जा चुका है।
इस प्रकार, 2000 मूल्यवर्ग के नोटों को रुपये के आदान-प्रदान के लिए पहचान प्रमाण की आवश्यकता पर जोर न देने का सरकार का निर्णय विकृत, मनमाना या ऐसा कुछ नहीं माना जा सकता है जो काले धन, मनी लॉन्ड्रिंग, मुनाफाखोरी आदि को बढ़ावा देता हो।