'समाज और राज्य ऐसे मामलों में जिम्मेदारी लेने में नाकाम रहा': हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को देह व्यापार में शामिल करने वाली महिला को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

18 July 2021 7:00 AM GMT

  • समाज और राज्य ऐसे मामलों में जिम्मेदारी लेने में नाकाम रहा: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की को देह व्यापार में शामिल करने वाली महिला को जमानत देने से इनकार किया

    हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की को देह व्यापार में शामिल करने के आरोप में 32 वर्षीय एक महिला को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि समाज और राज्य दोनों ऐसे मामलों में जिम्मेदारी लेने में नाकाम रहे हैं।

    न्यायमूर्ति अनूप चितकारा ने कहा,

    "पीड़िता के अपने घर से भागने के कारण बहुत दुखद थे। उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। समाज और राज्य इस तरह के मामलों में जिम्मेदारी लेने में नाकाम रहे। याचिकाकर्ता ने पीड़िता से बातचीत के बाद महसूस किया कि वह असुरक्षित है और उसने उसका फायदा उठाया और कथित तौर पर उसे पैसे के लिए सेक्स करने के लिए मजबूर किया।"

    इसके अलावा, यह कहा:

    "वह अपनी दुर्दशा के कारण अपने घर से भाग गई थी। इस तरह, उसने व्यावहारिक रूप से अपने भाग्य के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। मगर इससे न तो राज्य और न ही समाज में सुधार हुआ।"

    मामले में पीड़िता ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि आरोपी याचिकाकर्ता ने उसके साथ गलत काम किया है। बाद में बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किए जाने पर पता चला कि उसकी दूसरी मां उसे डांटती थी, जिसके चलते वह अपने घर से भागकर करीब एक माह तक गुरुद्वारा में ही रही।

    इस मामले में एक एसआईटी का गठन किया गया था, जिसमें यह पाया गया कि तीन पुरुषों ने पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाने के लिए आरोपी को पैसे दिए थे।

    मामले के तथ्यों और याचिकाकर्ता की दलीलों को देखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया:

    "प्रथम दृष्टया आरोप याचिकाकर्ता की ओर इशारा करते हैं कि जो मुख्य आरोपी है, उसने एक दलाल की तरह काम किया और इस तरह के व्यक्ति किसी भी जमानत के हकदार नहीं होते हैं।"

    इसके अलावा, कहा:

    "इस प्रकार वर्तमान याचिकाकर्ता, जो एक दलाल है, समानता के आधार पर जमानत का दावा नहीं कर सकता है। समता के आधार पर वर्तमान याचिकाकर्ता को जमानत देने के विद्वान वकील का तर्क दृढ़ता से खारिज किया जाता है।"

    इसने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा की गई इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता ने खुद पुलिस से संपर्क नहीं किया था और वास्तव में पुलिस ने ही उसे चोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के दौरान पुलिस को पूर्वोक्त अपराध के बारे में पता चला।

    इस पर अदालत ने कहा,

    "सिर्फ इसलिए कि पीड़िता अनजान थी या उसने उस समय पुलिस को सूचित करने का विकल्प नहीं चुना था, इस आधार पर याचिकाकर्ता को जमानत के लिए मामला नहीं बनाया जाएगा।"

    केस शीर्षक: रेणु देवी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य।

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