ऊपरी अदालतों को निचली अदालतों में बेवजह केस भेजने से बचना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

9 Dec 2025 9:20 PM IST

  • ऊपरी अदालतों को निचली अदालतों में बेवजह केस भेजने से बचना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 दिसंबर) को ऊपरी अदालतों द्वारा उन मामलों को वापस भेजने के तरीके की आलोचना की जो बहुत पहले ही तय हो चुके हैं। साथ ही कहा कि ऐसे आदेश विवादों को खत्म करने के बजाय सिर्फ़ “बेवजह आगे की मुकदमेबाजी” को बढ़ावा देते हैं।

    जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगभग दो दशक पहले पूरी तरह से सुलझाए गए मामले को फिर से खोल दिया था, जिसमें कथित तौर पर नैचुरल जस्टिस के उल्लंघन के आधार पर रिमांड का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह तरीका न्यायिक कुशलता और आखिरी फैसले के सिद्धांतों के खिलाफ है। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि ऊपरी अदालतों को विवादों को सुलझाने का लक्ष्य रखना चाहिए, न कि उन्हें कार्यवाही के दूसरे दौर में वापस भेजना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा,

    “इस कोर्ट का पहले का मानना ​​था कि अगर नेचुरल जस्टिस के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है तो मामले को संबंधित पार्टी को सुनवाई का मौका देने के लिए वापस भेजा जाना चाहिए। हालांकि, समय बीतने के साथ यह नज़रिया बदल गया। इसका मकसद लिटिगेशन को कम करना है, न कि उसे बढ़ाना। हायर कोर्ट द्वारा कोई भी गैर-ज़रूरी रिमांड लिटिगेशन का नया दौर शुरू करता है, जिससे बचना चाहिए।”

    इस मामले में झगड़ा एक रेवेन्यू मैप में सुधार को लेकर था, जो 2001 में एक अपील खारिज होने के बाद फाइनल हो गया। अधिकारियों ने इस मुद्दे की पहले ही दो बार जांच की थी, दोनों बार प्राइवेट रेस्पोंडेंट्स की अपने प्लॉट को दूसरी जगह ले जाने की कोशिश को खारिज कर दिया।

    कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश रेवेन्यू कोड की धारा 30 का गलत मतलब निकाला था, जो सिर्फ गलतियों या कमियों को ठीक करने की इजाज़त देता है, न कि तय हो चुके दावों पर फिर से लिटिगेशन करने की, और नेचुरल जस्टिस के सिद्धांत के कथित उल्लंघन के लिए केस को रेस्पोंडेंट नंबर 4-एडिशनल कलेक्टर (ज्यूडिशियल) को वापस भेजने के हाई कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई।

    हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए जस्टिस बिंदल के लिखे फैसले में कहा गया कि प्राइवेट रेस्पोंडेंट सिर्फ़ ज़्यादा अच्छी प्लॉट लोकेशन पाने के लिए इस मामले को फिर से उठाने की कोशिश कर रहे थे।

    इसलिए अपील मंज़ूर कर ली गई। रेवेन्यू अधिकारियों के पहले के नतीजों को फिर से लागू कर दिया गया, जिससे लंबे समय से चल रहा विवाद खत्म हो गया।

    Cause Title: SUVEJ SINGH VERSUS RAM NARESH AND ORS.

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