'आप उन्हें सिर्फ 'वर्मा' कैसे कह रहे हैं? वह अब भी जस्टिस वर्मा हैं': चीफ जस्टिस ने वकील द्वारा जस्टिस वर्मा को सिर्फ 'वर्मा' कहने पर जताई आपत्ति
Shahadat
21 July 2025 11:23 AM IST

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने सोमवार को एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा को केवल "वर्मा" कहने पर आपत्ति जताई। जस्टिस वर्मा अपने सरकारी आवास पर नकदी मिलने के विवाद में आरोपी हैं।
यह रेखांकित करते हुए कि जस्टिस वर्मा अभी भी हाईकोर्ट जज हैं, चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि उन्हें "जस्टिस" कहकर संबोधित किया जाना चाहिए।
नेदुम्परा जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली अपनी रिट याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध कर रहे थे।
नेदुम्परा ने कहा,
"यह तीसरी रिट याचिका है।"
चीफ जस्टिस गवई ने उनसे पूछा,
"आप चाहते हैं कि इसे अभी खारिज कर दिया जाए?"
नेदुम्परा ने जस्टिस वर्मा द्वारा आंतरिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली रिट याचिका का हवाला देते हुए जवाब दिया,
"इसे खारिज करना असंभव है। FIR दर्ज होनी चाहिए। अब वर्मा बस यही मांग कर रहे हैं। FIR होनी चाहिए, जांच होनी चाहिए।"
सीजेआई ने इस पर नेदुम्परा द्वारा जस्टिस वर्मा को केवल "वर्मा" कहने पर आपत्ति जताई।
चीफ जस्टिस ने कहा,
"क्या वह आपके मित्र हैं? वह अभी भी जस्टिस वर्मा ही हैं। आप उन्हें कैसे संबोधित करते हैं? थोड़ी शालीनता रखें। आप एक जज का उल्लेख कर रहे हैं। वह अभी भी हाईकोर्ट जज हैं।"
नेदुम्परा ने जवाब दिया,
"मुझे नहीं लगता कि यह महानता उन पर लागू हो सकती है। मामले को सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।"
चीफ जस्टिस ने पलटवार किया,
"न्यायालय को निर्देश न दें।"
नेदुम्परा द्वारा मार्च में दायर पहली रिट याचिका उसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि आंतरिक जांच की कार्यवाही चल रही है। तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा आंतरिक जाँच रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे जाने के बाद उन्होंने बाद में एक और रिट याचिका दायर की।
बता दें, मई में सुप्रीम कोर्ट ने उक्त रिट याचिका का निपटारा करते हुए नेदुम्परा को FIR के लिए पहले केंद्र सरकार के अधिकारियों से संपर्क करने का निर्देश दिया था।

