'पहले हाईकोर्ट कॉलेजियम को निर्णय लेना होगा': हाईकोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों पर विचार करने के SCBA अध्यक्ष के अनुरोध पर सीजेआई गवई
Shahadat
15 Aug 2025 3:39 PM IST

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान, SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने हाईकोर्ट जजों के रूप में पदोन्नति के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों पर विचार करने और उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए विचार किए जा सकने वाले सभी योग्य वकीलों का एक डेटाबेस बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की नियुक्ति के संबंध में पहला निर्णय हाईकोर्ट कॉलेजियम को लेना होगा।
उन्होंने कहा,
"हम केवल हाईकोर्ट कॉलेजियम को नामों की अनुशंसा करते हैं और उनसे नामों पर विचार करने का अनुरोध करते हैं। उनकी संतुष्टि के बाद ही नाम सुप्रीम कोर्ट में आते हैं।"
हालांकि, सीजेआई गवई ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने हाईकोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के कुछ नामों की अनुशंसा की है। ऐसी कई अनुशंसाओं को स्वीकृत भी किया गया। उन्होंने आगे कहा कि कॉलेजियम ऐसे और नामों की सिफ़ारिश करने की प्रक्रिया में है।
योग्य वकीलों के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर
अपने संबोधन में विकास सिंह ने कहा:
"जब हम न्यायपालिका की बात करते हैं तो लोग उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका साहसी, निडर और पूरी तरह स्वतंत्र हो। स्वतंत्रता की एक विशेषता, निश्चित रूप से उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति है। अगर न्यायपालिका में सही लोग नहीं होंगे तो हम सही फैसलों की उम्मीद नहीं कर सकते। अंततः हमें वह सच्ची आज़ादी नहीं मिलेगी जिसके लिए हमने आज़ादी के समय प्रयास किया था।"
सिंह ने आगे बताया कि जब राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति समिति (NJAC) लागू की गई थी तो उसके दो भाग थे: (1) यह तय करना कि उच्च न्यायपालिका में नियुक्ति के लिए कौन पात्र हो सकता है, और (2) पात्र व्यक्तियों के डेटाबेस से इन जजों की नियुक्ति कौन करेगा।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यह तो माना कि जजों की नियुक्ति के मामले में सरकार को प्राथमिकता नहीं मिल सकती, लेकिन नियुक्ति के लिए पात्र वकीलों का डेटाबेस इकट्ठा करने के मुद्दे को छोड़ दिया गया।
इसी को ध्यान में रखते हुए सिंह ने कहा,
"पहले भाग, पात्र वकीलों के डेटा संग्रह पर उस फैसले में कोई टिप्पणी तक नहीं की गई। फिर मैंने एक कानून का मसौदा तैयार किया और इसे मिस्टर मेघवाल के पूर्ववर्ती को कॉलेजियम प्रणाली को विनियमित करने के लिए एक विधेयक लाने के लिए दिया।"
उन्होंने आगे कहा कि मसौदा इस कानून का उद्देश्य न्यायिक सचिवालय स्थापित करना था ताकि सिफ़ारिश के लिए सभी योग्य वकीलों के नामों का डेटा एकत्र किया जा सके।
उन्होंने कहा,
"इसका उद्देश्य यह था कि जजों के पास एक सचिवालय हो, जहां वे सभी नामों, सभी योग्य लोगों को एकत्रित कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि उच्च न्यायपालिका में पदोन्नति के लिए व्यवस्था के सर्वश्रेष्ठ लोगों पर विचार किया जाए।"
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि वह मसौदा अभी तक प्रकाश में नहीं आया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि NJAC के फैसले में उल्लिखित 'प्रक्रिया ज्ञापन' के माध्यम से कोई रास्ता निकल आएगा।
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को हाईकोर्ट जज के रूप में विचार किए जाने से अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को भी हाईकोर्ट के वकीलों के समान ही योग्य माना जाना चाहिए। उन्हें हाईकोर्ट जज के रूप में अनुशंसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा,
मुझे पूरी उम्मीद है कि हम प्रक्रिया ज्ञापन पर सार्थक बातचीत कर पाएंगे, जिससे जजों की नियुक्ति के मामले में पारदर्शिता आएगी, न्यायपालिका में नियुक्ति के योग्य लोगों का डेटाबेस बनाने की व्यवस्था बनेगी, जिससे विभिन्न हाईकोर्ट में पदोन्नति के लिए नियमित आधार पर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों पर विचार करने का आधार तैयार होगा, क्योंकि अंततः सुप्रीम कोर्ट के वकील भी हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए उतने ही योग्य हैं, जितने कि हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अन्य वकील।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा,
"यह तथ्य कि वे वहां प्रैक्टिस नहीं करते, अयोग्यता नहीं, बल्कि पदोन्नति पर विचार करने के लिए उच्च योग्यता होनी चाहिए।"
इस बात का ज़िक्र करते हुए कि कैसे अक्सर पीठ के समक्ष बहस करने वाले वकील को ब्रीफ करने वाले 'अनाम' वकीलों पर ध्यान नहीं दिया जाता, सिंह ने ऐसे ब्रीफिंग वकीलों पर विचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जो बैकफुट पर काम करते हैं लेकिन समान रूप से योग्य हैं।
उन्होंने कहा,
"अक्सर, कॉलेजियम जिन लोगों को पदोन्नति के लिए बहस करते देखता है, वे प्रतिभाशाली लोग नहीं होते, क्योंकि वे शायद सीनियर एडवोकेट के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं। जो वकील सीनियर एडवोकेटको ब्रीफिंग देते हैं, वे कई बार व्यवस्था में असली योग्यता वाले होते हैं, जबकि व्यवस्था में उनका कोई चेहरा नहीं होता। अगर यह प्रक्रिया ज्ञापन तैयार हो जाता है तो मुझे लगता है कि इन सब पर ध्यान दिया जाएगा।"
सीजेआई गवई का जवाब
सीजेआई बीआर गवई ने अपने संबोधन के दौरान सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दिया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह सुनिश्चित करने में सफल रहा है कि उनकी अधिकांश सिफ़ारिशें आधिकारिक नियुक्तियों में फलीभूत हों।
कॉलेजियम हमेशा से SCBA की ज़रूरतों के प्रति सजग रहा है। हम जानते हैं कि विभिन्न राज्यों से आने वाले वकील बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उनकी सेवाओं का उपयोग विभिन्न हाईकोर्ट के लिए किया जाना चाहिए। मैं यह ज़रूर कहना चाहूंगा कि मैं और मेरे सहयोगी यहां वकालत कर रहे उम्मीदवारों के नामों की न केवल विभिन्न हाईकोर्ट में सिफ़ारिश करवाने में सफल रहे हैं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में उनमें से कुछ की नियुक्ति भी हुई है। हम कुछ और नामों की सिफ़ारिश करने की प्रक्रिया में हैं।
चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि इस बारे में पहला फ़ैसला हाईकोर्ट को करना है।
उन्होंने कहा,
मैंने हाल ही में यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से श्रेष्ठ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ही संवैधानिक न्यायालय हैं। जहां तक संवैधानिक व्यवस्था का प्रश्न है, वे एक-दूसरे से न तो निम्नतर हैं और न ही श्रेष्ठ। इसलिए पहला फ़ैसला हाईकोर्ट कॉलेजियम को करना है।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

