गन प्रॉब्लम | 'देखो अमेरिका कैसे पीड़ित है': सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से अवैध हथियारों की मांग के पीछे के सामाजिक-आर्थिक कारणों की जांच करने को कहा
Shahadat
17 May 2023 11:09 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 मई) को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से देश में बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के हथियारों के कब्जे और उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ को अवगत कराया गया कि मणिपुर और नागालैंड राज्यों को अभी इस मामले में सेवा दी जानी है। उसी पर विचार करते हुए उसने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को आवश्यक कदम उठाने को कहा।
खंडपीठ ने मामले को 7 अगस्त, 2023 को अगली सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने खंडपीठ को अवगत कराया कि उसे अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होगी।
जस्टिस जोसेफ ने वकील से पूछा कि अवैध हथियार के उपयोग को रोकने के लिए केंद्र सरकार क्या करने का इरादा रखती है। वकील ने न्यायाधीश को बताया कि इस संबंध में निर्देश मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि संसद इस संबंध में पहले ही कानून पारित कर चुकी है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना है कि कानून का अनुपालन किया जाए।
जस्टिस जोसेफ ने संकेत दिया कि अवैध हथियारों के व्यापक उपयोग को देखते हुए कुछ विधायी परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है।
उन्होंने कहा,
"यह वास्तविक समस्या बनती जा रही है।"
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि विधायी परिवर्तन करने के लिए बड़े परामर्श की आवश्यकता होगी।
जस्टिस जोसेफ ने सुझाव दिया कि लाइसेंस रहित हथियारों को रखने और उपयोग करने के अपराध को और अधिक गंभीर अपराध बनाया जा सकता है; या ऐसी घटना को रोकने के लिए कोई अन्य नीति तैयार की जा सकती है।
एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट एस नागमुथु ने प्रस्तुत किया,
“आर्म्स एक्ट लगभग बेमानी हो गया है। कुछ एक्ट लाना होगा।
जस्टिस जोसेफ ने उनसे पूछा,
"आप क्या सुझाव देंगे?"
एमिक्स क्यूरी ने जवाब दिया कि वह राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे।
गोवा राज्य की ओर से पेश वकील ने अपना हलफनामा दायर करने के लिए कुछ समय मांगा।
जस्टिस जोसेफ ने पूछा,
"क्या आपके साथ गोवा में भी यही समस्या है?"
इस पर वकील ने जवाब दिया,
"मेरे लिए यह कहना मुश्किल होगा कि कोई बिना लाइसेंस वाले हथियार नहीं हैं।"
जज ने कहा,
"लेकिन उस पैमाने पर नहीं जैसे उत्तर भारत में है ... बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में।"
वकील ने खंडपीठ को अवगत कराया कि अवैध हथियार देश भर में निर्मित और तस्करी किए जाते हैं।
उन्होंने प्रस्तुत किया,
“ऐसा नहीं है कि यह एक ही स्थान पर निर्मित होता है। यह आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार हो सकता है। इसकी देशभर में तस्करी की जाती है। ऐसा नहीं है कि यह केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में ही है। हमें पूरे देश में अवैध हथियार की समस्या है।
जस्टिस नागरत्न ने कहा कि बिना लाइसेंसी आर्म्स के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए प्रत्येक राज्य में अवैध हथियारों की मांग के सामाजिक-आर्थिक कारणों पर गौर करना होगा।
उन्होंने कहा,
"आपको प्रत्येक राज्य में सामाजिक-आर्थिक कारणों में जाना होगा - इस प्रकार के अवैध हथियारों की मांग क्यों है।"
जस्टिस जोसेफ ने कहा,
"अगली पीढ़ी के लिए आपके पास यह (अवैध आग्नेयास्त्रों का कब्ज़ा और उपयोग) नहीं होना चाहिए।"
उन्होंने जोड़ा,
"अमेरिका को देखो। वे कैसे पीड़ित हैं, क्योंकि यह उनके मौलिक अधिकार में है। हमारे पास यह नहीं है लेकिन फिर भी हम पीड़ित हैं...अवैध हथियारों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। किसी को भी गोली मारी जा सकती है।”
[केस टाइटल: राजेंद्र सिंह बनाम यूपी राज्य एमए 393/2023 एसएलपी (सीआरएल) नंबर 12831/2022]