अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन: ICU में आरोपी को हथकड़ी लगाने और बेड पर जंजीर से बांधने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की आलोचना की

Shahadat

22 Oct 2024 10:35 AM IST

  • अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन: ICU में आरोपी को हथकड़ी लगाने और बेड पर जंजीर से बांधने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की आलोचना की

    सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में आरोपी को रोहतक के PGIMS के गहन चिकित्सा इकाई (MICU) में भर्ती होने के दौरान हथकड़ी लगाने और बेड पर जंजीर से बांधने के लिए हरियाणा सरकार की खिंचाई की।

    कोर्ट ने हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) दीपक ठुकराल से पूछा,

    "आपका इस पर क्या स्पष्टीकरण है? यह अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन है। हलफनामे में दर्ज है कि ICU में भर्ती होने के दौरान उसे हथकड़ी लगाई गई थी। आप इसे कैसे उचित ठहराते हैं?"

    जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ आरोपी विहान कुमार द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला खिलाफ दायर एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसकी गिरफ्तारी को चुनौती देने से इनकार किया गया।

    न्यायालय ने आदेश में कहा,

    "राज्य को याचिकाकर्ता को PGIMS रोहतक के MICU में भर्ती होने के दौरान हथकड़ी लगाने और बिस्तर पर जंजीर से बांधने के इस आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।"

    याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि जब उसे ICU में भर्ती कराया गया, तब उसे हथकड़ी लगाई गई और अस्पताल के बिस्तर पर जंजीर से बांधा गया। न्यायालय ने 4 अक्टूबर, 2024 को अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक को इस पहलू पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    खंडपीठ ने PGIMS, रोहतक के मेडिकल अधीक्षक द्वारा 19 अक्टूबर, 2024 को दाखिल हलफनामे पर पुनर्विचार किया। हलफनामे में स्वीकार किया गया कि आरोपी को ICU में रहने के दौरान हथकड़ी लगाई गई।

    जस्टिस ओक ने कहा कि यह "संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन है।" न्यायालय ने एएजी से पूछा कि इस तरह की कार्रवाई को कैसे उचित ठहराया जा सकता है और यह जानने की मांग की कि इसके लिए कौन सा अधिकारी जिम्मेदार है। हरियाणा के एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) दीपक ठुकराल ने दावा किया कि आरोपी को जब पेशाब करने की जरूरत पड़ी तो उसकी हथकड़ी हटा दी गई और हथकड़ी का इस्तेमाल केवल कुछ समय के लिए किया गया।

    उन्होंने कहा कि वह इस बारे में निर्देश लेंगे कि अस्पताल में संबंधित अधिकारी कौन था। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि आरोपी को पूरी रात बिस्तर पर जंजीर से बांधकर रखा गया।

    जस्टिस ओक ने टिप्पणी की कि अगर आरोपी को बिस्तर पर जंजीर से बांध दिया गया तो यह अनजाने में किया गया कृत्य नहीं था और सवाल किया कि आरोपी को बिस्तर पर जंजीर से बांधने की क्या जरूरत थी। उन्होंने आगे पूछा कि अस्पताल के हलफनामे में आरोपी को बिस्तर पर जंजीर से बांधने का उल्लेख क्यों नहीं किया गया, खासकर तब जब सुनवाई के दौरान अस्पताल के वकील ने स्वीकार किया कि आरोपी को बिस्तर पर जंजीर से बांध दिया गया था।

    “अगर उसे बिस्तर पर जंजीर से बांध दिया गया था तो यह अनजाने में नहीं हुआ। हम समझते हैं कि उसे हथकड़ी लगाई गई थी; जब पुलिस अधिकारी अपने कपड़े बदलने गया तो उसे बिस्तर पर डाल दिया गया। लेकिन उसे बिस्तर पर जंजीर से क्यों बांधा गया?

    जस्टिस ओक ने कहा कि अस्पताल इस मामले में पुलिस को क्यों बचाएगा? न्यायालय ने आरोपी की गिरफ्तारी के हालात पर भी सवाल उठाया और कहा कि आरोपी गिरफ्तारी के दिन दोपहर 1:15 बजे से हिरासत में था, लेकिन उसे बाद में गिरफ्तार दिखाया गया।

    जस्टिस ओक ने सवाल किया कि क्या आर्थिक अपराध शाखा (EoW) ने आरोपी को उसके कार्यालय से पुलिस वाहन में ले जाने से पहले कोई नोटिस या समन जारी किया था।

    उन्होंने कहा,

    "हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। साथ ही यह भी कि उसे अस्पताल के बिस्तर पर जंजीर से बांधा गया। प्रथम दृष्टया यह अवैध गिरफ्तारी का मामला है।"

    न्यायालय ने अपने आदेश में इस तथ्य पर आश्चर्य व्यक्त किया कि 4 अक्टूबर, 2024 के आदेश में मेडिकल अधीक्षक से विशेष रूप से यह बताने के लिए कहा गया कि क्या आरोपी को बिस्तर पर जंजीर से बांधा गया, लेकिन हलफनामे में इस मुद्दे पर चुप्पी साधी गई।

    न्यायालय ने मेडिकल अधीक्षक को इस मामले में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, न्यायालय ने हरियाणा राज्य को ICU में भर्ती होने के दौरान आरोपी को हथकड़ी लगाने और जंजीर से बांधने के आचरण के लिए स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की जाए तथा उसकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। न्यायालय ने अगली सुनवाई शुक्रवार को निर्धारित की तथा हलफनामे और मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट गुरुवार तक दाखिल की जाए।

    मामले की पृष्ठभूमि

    याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 10 जून, 2024 को उसे गुरुग्राम स्थित उसके कार्यालय से हिरासत में लिया गया। याचिकाकर्ता ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड की वैधता को चुनौती देते हुए दावा किया कि उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए बिना 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया।

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की तथा इस तर्क में कोई दम नहीं पाया कि आरोपी की गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22 का उल्लंघन करती है। इसलिए उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    केस टाइटल- विहान कुमार बनाम हरियाणा राज्य और अन्य।

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