कर्मचारी से बकाये की रिकवरी के लिए ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

29 Dec 2020 3:53 AM GMT

  • कर्मचारी से बकाये की रिकवरी के लिए ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी कर्मचारी से बकाये की वसूली के लिए उसकी ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है।

    इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा दी गयी उन दलीलों को खारिज कर दिया था कि कंपनी को उस सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोकने और उस पर ब्याज का भुगतान न करने का हक है, जिसने कंपनी की ओर से दिया गया आवास खाली नहीं किया था। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 'राम नरेश सिंह बनाम बोकारो स्टील लिमिटेड एवं अन्य' के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में दिये गये फैसले पर भरोसा जताया था।

    न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने 'ओएनजीसी लिमिटेड एवं अन्य बनाम वी. यू. वारियर (2005) 5 एससीसी 245' मामले में दिये गये फैसले का उल्लेख करते हुए कहा,

    "हमारा मानना है कि यदि कोई कर्मचारी निर्धारित अवधि से अधिक समय तक क्वार्टर पर कब्जा बनाये रखता है तो उससे दंड स्वरूप किराया वसूला जायेगा और इस प्रकार का दंडात्मक किराया ग्रेच्युटी सहित विभिन्न बकाया राशि में समायोजित किया जा सकता है।"

    ओएनजीसी लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि आयोग को किसी अधिकारी से उसके बकाये की वसूली के लिए ग्रेच्युटी से बगैर सहमति के रिकवरी के लिए प्रभावी कदम उठाने का हक है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि हाईकोर्ट ने 'राम नरेश सिंह मामले' में दिये गये आदेश पर जो फैसला जताया है, वह त्रुटिपूर्ण है क्योंकि यह कोई निर्णय नहीं, बल्कि संबंधित मामले में दिये गये तथ्यों के आईने में जारी किया गया आदेश है। कथित आदेश में, कोर्ट ने कहा था कि बोकारो स्टील लिमिटेड अपने कर्मचारी की बकाया ग्रेच्युटी राशि नहीं रोक सकती थी।

    कोर्ट ने हालांकि यह कहते हुए रिट याचिका खारिज कर दी कि जिस राशि को लेकर विवाद है वह बहुत ही मामूली है और इस प्रकार यह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप का उपयुक्त मामला नहीं बनता।

    केस का नाम : स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड बनाम राघवेन्द्र सिंह [ एसएलपी 11025 / 2020 ]

    कोरम : न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय

    वकील : सीनियर एडवोकेट ध्रुव मेहता, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यशराज सिंह देवरा

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