हमें मान्यता प्रदान करें ताकि सभी समाचार प्रसारकों को, वह सदस्य हो या नहीं, बाध्यकारी कार्यक्षेत्र के भीतर लाया जा सकेः एनबीए ने सुदर्शन मामले में दायर हलफनामे में कहा

LiveLaw News Network

20 Sep 2020 1:58 PM GMT

  • हमें मान्यता प्रदान करें ताकि सभी समाचार प्रसारकों को, वह सदस्य हो या नहीं, बाध्यकारी कार्यक्षेत्र के भीतर लाया जा सकेः एनबीए ने सुदर्शन मामले में दायर हलफनामे में कहा

    न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में सुझाव दिया है कि उसकी आचार संहिता को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के 'प्रोग्राम कोड' के नियम 6 में शामिल किया जाना चाहिए और एनबीए की सदस्यता के बावजूद, सभी समाचार प्रसारकों के लिए बाध्यकारी बनाया जाए।

    एनबीए ने यह हलफनामा शुक्रवार को अदालत के निर्देशों के जवाब में दायर किया है, जिसमें मांग की गई थी कि कैसे समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) के स्व-नियामक तंत्र को मजबूत किया जा सकता है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संबंध में अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

    हलफनामे में कहा गया है, "अदालत स्वतंत्र स्व-नियामक तंत्र एनबीएसए को मान्यता दे सकती है ताकि सभी समाचार प्रसारकों के खिलाफ शिकायतें, वह एनबीए के सदस्य हों या नहीं, एनबीएसए द्वारा सुनी जाए और एनबीएसए द्वारा पारित आदेश सभी समाचार प्रसारकों के लिए बाध्यकारी और लागू हों। एनबीएसए को मान्यता न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स रेग्युलेशंस को भी मजबूत करेगी और यहां बताए गए जुर्माने को और सख्त बनाया जा सकता है।''

    अधिवक्ता राहुल भाटिया के माध्यम से दायर हलफनामे यह दावा किया गया है कि सदस्य प्रसारणकर्ताओं द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों के संबंध में दर्शकों / व्यथ‌ित व्यक्तियों से प्राप्त शिकायतों पर स्वतंत्र स्व-नियामक सहायक निकाय, एनबीएसए, जिस तरह से फैसला करता है, वह पहले से ही सुनिश्‍चित है। हालांकि, इस तथ्य के मद्देनजर कि सभी समाचार प्रसारणकर्ता/ समाचार चैनल एनबीएसए के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, एनबीएसए ने उपरोक्त सुझावों को स्व-नियामक निकाय और तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने और इसे और अधिक ताकत देने के लिए दिया है।

    सुदर्शन न्यूज टीवी के विवादास्पद शो के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को न्यूज ब्रॉडकास्टर एसोसिएशन (एनबीए) को अपने नियमों को लागू करने में ढिलाई बरतने पर फटकार लगाई थी। पीठासीन जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने एनबीए को 'दंतहीन' कहा था।

    उन्होंने एनबीए की वकील, एडवोकेट निशा भंभानी से पूछा, "क्या आप टीवी देखती हैं या नहीं? आपने खबर में क्या चल रहा है इसे नियंत्रित नहीं किया है।"

    भंभानी ने जवाब दिया कि एनबीए में काफी सुधार हुआ है और उसने कई चैनलों को रिपोर्ट के मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए एयरटाइम के दौरान माफी मांगवाई है। वकील ने पीठ को यह भी बताया कि सभी चैनल इसके सदस्य नहीं हैं।

    प्रतिक्रिया से असंतुष्ट, पीठ ने कहा कि वह एनबीए द्वारा मजबूत विनियमन चाहता था।

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था, "एक चीज जो आप कर सकते हैं, वह एनबीए को मजबूत करने के तरीके को बता सकते हैं, ताकि आपके पास उच्च नियामक सामग्री हो। आपके पास कुछ सदस्य हैं और आपके नियमों को लागू नहीं किया जा सकता है। आपको यह बताने की आवश्यकता है कि इसे कैसे मजबूत किया जा सकता है।"

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और केएम जोसेफ की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा होस्ट किया गया शो 'बिंदास बोल' सिविल सेवाओं में मुसलमानों के प्रवेश को सांप्रदायिक रूप दे रहा था। 15 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अवलोकन करने के बाद शो के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।

    हलफनामा डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें


    Next Story