सरकारी प्रेस रिलीज PPA में "कानून में बदलाव" नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने बिजली उत्पादकों की याचिका खारिज की

Shahadat

20 Aug 2025 4:38 PM IST

  • सरकारी प्रेस रिलीज PPA में कानून में बदलाव नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने बिजली उत्पादकों की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (19 अगस्त) को कहा कि 'प्रेस रिलीज' सहित सरकारी निर्णयों और स्पष्टीकरणों को बिजली खरीद समझौतों (PPA) में "कानून में बदलाव" नहीं माना जा सकता।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने नाभा पावर लिमिटेड (NPL) और तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (TSPL) द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिन्होंने कानून में बदलाव के आधार पर पंजाब राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (PSPCL) से मुआवजे की मांग की थी। इस तरह खंडपीठ ने विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (APTEL) के निष्कर्षों को बरकरार रखा, जिसने फैसला सुनाया था कि विधायी या वैधानिक समर्थन के अभाव वाली सार्वजनिक सूचनाएं या प्रेस रिलीज कानून में बदलाव नहीं मानी जा सकतीं, क्योंकि वे केवल सरकार द्वारा स्पष्टीकरण के लिए बनाए गए प्रशासनिक नीतिगत उपकरण के रूप में योग्य हैं।

    यह मामला उस विवाद से उपजा है, जो पंजाब में ताप विद्युत परियोजनाओं के विकास के लिए स्थापित विशेष प्रयोजन वाहन रहे अपीलकर्ताओं द्वारा टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के बाद PSPCL के साथ विद्युत क्रय समझौते (PPA) निष्पादित करने के बाद उत्पन्न हुआ था। बाद में उन्होंने दावा किया कि मेगा विद्युत परियोजनाओं के लाभों पर एक प्रेस रिलीज और उसके बाद DGFT अधिसूचनाओं सहित सरकारी निर्णयों और स्पष्टीकरणों ने राजकोषीय ढांचे को बदल दिया। इस प्रकार इसे "कानून में बदलाव" माना गया, जिससे उन्हें मुआवज़ा पाने का अधिकार मिला।

    APTEL ने अपीलकर्ताओं के खिलाफ फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि न तो FTP लाभ और न ही प्रेस रिलीज उनके दावों का समर्थन कर सकती है, जिसके कारण उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी पड़ी।

    जस्टिस मसीह द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि प्रेस रिलीज केवल प्रशासनिक घोषणा है, जिसका कोई कानूनी बल नहीं है। इसलिए यह "कानून में बदलाव" नहीं हो सकता। न्यायालय ने कहा कि केवल आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित क़ानून, नियम या अधिसूचनाएं ही कानून में बदलाव के योग्य हैं।

    न्यायालय ने नाभा पावर लिमिटेड (NPL) बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) एवं अन्य (2018) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि केवल विधिवत प्रख्यापित अधिसूचनाएं, जैसे कि सीमा शुल्क अधिसूचना, प्रेस रिलीज या संचार, ही "कानून में बदलाव" मानी जाएंगी।

    अदालत ने कहा,

    "तदनुसार, 11.12.2009 और 14.12.2009 की अधिसूचनाओं तक कोई "कानून में बदलाव" नहीं हुआ, जिसका अर्थ है कि लाभ केवल उक्त तिथियों से ही अर्जित माने जाएंगे।"

    न्यायालय ने कहा कि वास्तविक "कानून में बदलाव" तभी हुआ जब औपचारिक सीमा शुल्क अधिसूचनाएं 11 और 14 दिसंबर, 2009 को जारी की गईं, जो अपीलकर्ता की बोली जमा करने की तिथि के बाद की थीं। इसलिए 1 अक्टूबर, 2009 की बोली-पूर्व प्रेस रिलीज के आधार पर कोई वैध अपेक्षा या दावा नहीं किया जा सकता, जो उन्हें मुआवज़े का दावा करने के लिए कानून में बदलाव का लाभ देने का अधिकार देती है।

    अदालत ने आगे कहा,

    "01.10.2009 की प्रेस रिलीज PPA में निहित अर्थ में न तो "कानून" मानी जाएगी, क्योंकि केवल 11.12.2009 और 14.12.2009 की अधिसूचनाएं ही "कानून" मानी जाएंगी, और न ही यह "कानून में परिवर्तन" मानी जाएगी, जैसा कि अपीलकर्ताओं ने वर्तमान सिविल अपीलों में तर्क दिया।"

    तदनुसार, अदालत ने अपीलकर्ताओं के विरुद्ध कानून में परिवर्तन के मुद्दे पर उत्तर दिया और उनकी अपीलें खारिज कर दी गईं।

    Cause Title: NABHA POWER LIMITED VERSUS PUNJAB STATE POWER CORPORATION LIMITED AND OTHERS (and connected case)

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