डीईआरसी चेयरपर्सन की नियुक्ति में विलंब पर सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली एलजी को फटकार, कहा- 'राज्यपाल इस तरह एक सरकार का अपमान नहीं कर सकते'

Avanish Pathak

19 May 2023 12:38 PM GMT

  • डीईआरसी चेयरपर्सन की नियुक्ति में विलंब पर सुप्रीम कोर्ट की दिल्ली एलजी को फटकार, कहा- राज्यपाल इस तरह एक सरकार का अपमान नहीं कर सकते

    दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के प्रस्ताव को पांच सप्ताह से अधिक समय तक टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल को जमकर फटकार लगाई।

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज, जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव को डीईआरसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में एलजी की ओर से देरी से नाराज दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

    जीएनसीटीडी की ओर से पेश एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड शादान फरासत के निर्देश पर सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को सूचित किया कि एलजी को प्रस्ताव भेजे हुए पांच महीने बीत चुके हैं। हालांकि, एलजी यह कहकर अपने फैसले में देरी कर रहे थे कि नियुक्ति करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सहमति की आवश्यकता है या नहीं, यह पता लगाने के लिए उन्हें कानूनी राय की आवश्यकता है।

    इस संदर्भ में, सिंघवी ने बताया कि विद्युत अधिनियम की धारा 84 (2) के अनुसार, नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति के मूल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श की आवश्यकता थी। मुख्य न्यायाधीश ने उसी पर सहमति व्यक्त करते हुए मौखिक टिप्पणी की-

    "यदि नियुक्त किया जा रहा व्यक्ति मद्रास हाईकोर्ट का न्यायाधीश था, तो किससे परामर्श किया जाएगा? यह मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश होगा। यह कोई अन्य हाईकोर्ट क्यों होगा?"

    एलजी की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, एलजी एंट्री 1, 2 और 18 से संबंधित मामलों पर स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं।

    उन्होंने आगे कहा-

    "अन्य मामलों में, यदि कोई मतभेद है, तो राज्यपाल राष्ट्रपति को संदर्भित कर सकता है। और उस निर्णय के लंबित रहने तक, राज्यपाल अपने दम पर कार्य कर सकता है।"

    इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-

    "गवर्नर इस तरह एक सरकार का अपमान नहीं कर सकते... असाधारण मामलों में संदर्भित करने की शक्ति का भी प्रयोग किया जाना चाहिए।"

    विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 84(2) के प्रावधान को स्पष्टता प्रदान करते हुए, जो राज्य आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान करता है, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश लिखवाते हुए कहा-

    "इस प्रावधान का मूल हिस्सा इंगित करता है कि राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति को 'जो हाईकोर्ट का न्यायाधीश है और रह चुका है' नियुक्त कर सकती है। हालांकि, नियुक्ति उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद की जानी है। जहां एक आसीन न्यायाधीश नियुक्त किया जाना है, वहां उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श होगा, जहां से न्यायाधीश को लिया जाएगा।

    इसी तरह, जहां यह एक पूर्व न्यायाधीश है, उस हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श किया जाएगा जहां न्यायाधीश ने पहले सेवा की थी। स्पष्ट प्रावधानों के मद्देनजर डीईआरसी के अध्यक्ष की नियुक्ति दो सप्ताह में तय की जाएगी।"


    केस टाइटल: एनसीटी दिल्‍ली सरकार बनाम एनसीटी दिल्‍ली एलजी का कार्यालय और अन्य, WP(C) No. 467/2023]


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